भारत में कोविड वैक्सीन की पहली डोज पिछले साल 16 जनवरी 2020 से लगनी शुरू हुई. उस दौरान पूरी आबादी को वैक्सीन लगने में देरी होने को लेकर चिंताएं थीं. इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) के डॉ जयप्रकाश मुलियिल ने NDTV से बात करते हुए कहा कि कोविड की पहली वैक्सीन की डोज़ ने बूस्टर की तरह काम किया. आईसीएमआर ही कोविड महामारी से निपटने वाली केंद्र की नोडल बॉडी है. डॉ मुलियिल ने कहा कि शुरुआती संक्रमण से लड़ते हुए शरीर में जो एंटीबॉडी बनती हैं वह प्राकृतिक तौर से जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता ( इम्यूनिटी) विकसित करती हैं. कोविड से लड़ते हुए बनीं एंटीबॉडी भारत के मामले में ताउम्र रह सकती हैं. उन्होंने आगे कहा कि और वैसे भी अधिकतर लोग अब तक संक्रमित हो ही चुके हैं क्योंकि भारत में दूसरे देशों की तुलना में देर से वैक्सीनेशन शुरू हुआ था.
उन्होंने कहा कि भारत में 85% से अधिक, कोविड वैक्सीन आने से पहले ही कोरोना से संक्रमित हो चुके थे फिर चाहे उन्हें इसके पता चला हो या नहीं. इसलिए जब लोगों को कोरोना की पहली वैक्सीन मिली तो उसने एक बूस्टर डोज़ की तरह काम किया. इसलिए मैं कहूंगा कि भारत में एक बूस्टर डोज़ पहले ही लग चुकी है कोरोना की पहली वैक्सीन के तौर पर. महामारी विशेषज्ञ डॉ मुलियिल ने यह भी कहा कि वो बूस्टर डोज़ की ज़रूरत के बारे में निश्चित तौर पर कुछ नहीं कह सकते. उन्होंने कहा, "दुनिया में एक विचार ये भी है कि नैसर्गिक तौर से हुए संक्रमण से देर तक इम्युनिटी नहीं रहती. अब मुझे लगता है कि ये विचार ग़लत है."
डॉक्टर ने भी कहा है कि फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60 वर्ष से अधिक के गंभीर बीमारी से ग्रस्त (comorbidities) लोगों के लिए सोमवार से शुरू हुए बूस्टर डोज से ओमिक्रॉन स्ट्रेन के खिलाफ बचाव के लिहाज से बहुत कम या लगभग नहीं के बराबर फर्क पड़ेगा. उन्होंने कहा, 'इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. संक्रमण हो जाएगा. यह इसकी (बूस्टर डोज की) परवाह किए बगैर पूरी दुनिया में हुआ है.' ब्रिटेन और अमेरिका में तेजी से बढ़ रहे केसों का जिक्र करते हुए उन्होंने यह बात कही. इन देशों में ओमिक्रॉन के मामले आने के बूस्टर डोज को गति प्रदान की.
उन्होंने कहा, 'यह उच्च स्तर पर संक्रामक है और हम में से ज्यादातर इससे किसी न किसी रूप में 'प्रभावित' होंगे क्योंकि यह वायरस तेजी से फैलता है, अविश्वसनीय रूप से बहुत तेजी से. हमने वुहान वायरस (मूल कोरोनावायरस स्ट्रेन) देखा, हमने डेल्टा स्ट्रेन देखा..और जिस दर से यह (ओमिक्रॉन वेरिएंट) फैल रहा है...वह अविश्वसनीय है.' यह पूछने पर कि फिर पश्चिमी यूरोप और ऑस्ट्रेलिया सहित विदेशी सरकारें, बूस्टर डोज देने को लेकर तेजी क्यों दिखा रही हैं, डॉ. मुलियिल ने कहा, 'आप गलत व्यक्ति से यह पूछ रहे. मैंने यह आदेश नहीं दिया.' गौरतलब है कि चिकित्सा विशेषज्ञों, डॉक्टरों और चिंतित आम लोगों के दबाव के बाद पीएम मोदी ने पिछले माह बूस्टर डोज देने का ऐलान किया था.
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