राहुल गांधी महोबा से 7 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर रहे हैं
नई दिल्ली:
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर सार्वजनिक मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर आलोचना की। बुंदेलखंड के महोबा जिले में जनता को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि उद्योगपतियों के लिए पीएम किसानों के कल्याण को अनदेखा नहीं कर सकते।
देश सिर्फ उद्योगपति नहीं चलाते
राहुल ने कहा 'मोदीजी थोड़ा ध्यान भारत के किसानों और मजदूरों पर भी दीजिए, अकेले उद्योगपती ही देश को नहीं चला रहे हैं।' महोबा से 7 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर रहे गांधी ने कहा कि वह संसद में सरकार के किसानों के प्रति रुख़ की चर्चा करेंगे। इस दौरे के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष सुपा रेलवे स्टेशन पर स्व-सहायता समूह की महिलाओं और लाडपुर गांव के किसानों से मुलाकात करेंगे।
गौरतलब है कि 2011 सेंसस के मुताबिक एक करोड़ 80 लाख से ज्यादा की जनसंख्या वाले बुंदेलखंड क्षेत्र सूखे औऱ बेमौसम बरसात का शिकार बना हुआ है जिसकी वजह से यहां की सर्दियों की फसल पूरी तरह तबाह हो चुकी है। पिछले कुछ सालों से इस क्षेत्र के 13 जिलों में खराब फसल की वजह से कई किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो गए हैं। उत्तरप्रदेश सरकार के किए गए वादे भी किसी भी तरह की राहत नहीं पहुंचा पाए हैं। स्थानीय नेताओं का आरोप है कि न तो बीज के लिए पैसे हैं और सिंचाई के लिए पानी नदारद है, ऐसे में किसानों को मजबूरीवश आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ रहा है।
देश सिर्फ उद्योगपति नहीं चलाते
राहुल ने कहा 'मोदीजी थोड़ा ध्यान भारत के किसानों और मजदूरों पर भी दीजिए, अकेले उद्योगपती ही देश को नहीं चला रहे हैं।' महोबा से 7 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर रहे गांधी ने कहा कि वह संसद में सरकार के किसानों के प्रति रुख़ की चर्चा करेंगे। इस दौरे के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष सुपा रेलवे स्टेशन पर स्व-सहायता समूह की महिलाओं और लाडपुर गांव के किसानों से मुलाकात करेंगे।
गौरतलब है कि 2011 सेंसस के मुताबिक एक करोड़ 80 लाख से ज्यादा की जनसंख्या वाले बुंदेलखंड क्षेत्र सूखे औऱ बेमौसम बरसात का शिकार बना हुआ है जिसकी वजह से यहां की सर्दियों की फसल पूरी तरह तबाह हो चुकी है। पिछले कुछ सालों से इस क्षेत्र के 13 जिलों में खराब फसल की वजह से कई किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो गए हैं। उत्तरप्रदेश सरकार के किए गए वादे भी किसी भी तरह की राहत नहीं पहुंचा पाए हैं। स्थानीय नेताओं का आरोप है कि न तो बीज के लिए पैसे हैं और सिंचाई के लिए पानी नदारद है, ऐसे में किसानों को मजबूरीवश आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ रहा है।
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