बिहार में एक मुस्लिम परिवार ने सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करते हुए एक हिंदू शख्स का अंतिम संस्कार किया. इस मामले में मोहम्मद रिजवान खान का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जबरदस्त वायरल हो रहा है. इस वीडियो में अपने यहां काम करने वाले कर्मचारी रामदेव साह के पार्थिव शरीर को एक अर्थी पर ले जाते हुए रिज़वान दिख रहे हैं. रामदेव साह पटना में रिजवान के कपड़ों की दुकान पर काम करते थे. उन्होंने 25 साल तक दुकान पर काम किया. मोहम्मद रिज़वान उनके साथ परिवार के सदस्य की तरह व्यवहार करते थे.
रामदेव साह का पिछले सप्ताह 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया. रिजवान और उनके परिवार द्वारा हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार उनका अंतिम संस्कार किया गया. अंतिम संस्कार के दौरान कई मुस्लिम पड़ोसी भी मौजूद थे.
स्थानीय लोगों के मुताबिक रामदेव साह करीबन दो दशक से भी पहले रिजवान खान की दुकान पर नौकरी तलाश करते हुए आए थे. रिज़वान खान उनकी सादगी से प्रभावित हो गए थे.
"वह मेरे पिता की तरह थे. जब वह नौकरी की तलाश में मेरी दुकान पर आए, तो उनकी उम्र लगभग 50 के आसपास रही होगी। मैंने उनसे कहा था कि आप भारी काम नहीं कर पाएंगे. तो उन्होंने कहा था कि वो एकाउंट का काम कर सकते हैं और साथ ही एकाउंट से जुड़ी किताबों और फाइलों का सही तरीके से देखभाल कर सकते हैं, " रिजवान ने कहा.
उन्होंने कहा, "उम्र बढ़ने के साथ साह अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर पा रहे थे. मैंने उन्हें आराम करने के लिए कहा. मैंने उनसे यह भी कहा कि उनका वेतन भुगतान किया जाएगा और उन्हें किसी भी चीज़ की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है."
रिजवान खान ने कहा कि रामदेव साह उनके परिवार के लिए एक अभिभावक की तरह थे.
उन्होंने चल रही सांप्रदायिक झड़पों पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह इंसानों का असली स्वभाव नहीं है. "टेलीविजन पर जो दिखाया जा रहा है वह सही तस्वीर नहीं है. जब कोई बच्चा घायल हो जाता है तो हम उसका धर्म नहीं पूछते हैं, हम प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करते हैं. इसी तरह, हिंदू हमारे कार्यक्रमों में शामिल होते हैं और हम उनके कार्यक्रमों में शामिल होते हैं."
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