हरियाणा में कथित धार्मिक घृणा अपराध के एक मामले में एक लड़के का यौन उत्पीड़न करने के आरोप में यूपी के एक 29 वर्षीय व्यक्ति को उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों से बरी कर दिया गया है. इखलाक सलमानी के रिश्तेदारों ने दावा किया था कि पानीपत में कुछ स्थानीय लोगों ने उनके हाथ पर धार्मिक टैटू '786' देखने के बाद उनका हाथ काट दिया था. इखलाक सितंबर 2020 में नौकरी की तलाश में पानीपत पहुंचा था.
पुलिस ने इखलाक की शिकायत पर इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी. हालांकि, दूसरी प्राथमिकी उसी दिन उन लोगों द्वारा दर्ज की गई, जिन्होंने कथित तौर पर इखलाक पर हमला किया था, उस पर अगस्त में अपने परिवार में एक युवा लड़के का यौन शोषण करने का आरोप लगाया था और साथ ही ये दावा किया था कि जब वह भाग रहा था तो पास के रेलवे ट्रैक पर उसे चोट लगी.
अदालत ने बाल यौन शोषण से जुड़े सख्त कानून के तहत इखलाक को उसके खिलाफ चल रहे आरोपों से बरी कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने अभियोजन पक्ष पर संदेह जताया है. दरअसल इस मामले में देखा गया कि यौन उत्पीड़न के आरोपों की "किसी भी चिकित्सा साक्ष्य द्वारा पुष्टि नहीं की गई थी, जो पीड़ित द्वारा किए गए दावे के बिल्कुल विपरीत है.
इस पर अदालत का विचार है कि पीड़ित, उसके पिता और चाचा (शिकायतकर्ता) की गवाही में विसंगतियों, विरोधाभासों और असंभवताओं के कारण, सभी अनुमानों का खंडन किया गया है. नतीजतन, यह माना जाता है कि पीड़ित की गवाही, उसके पिता और चाचा पर्याप्त नहीं हैं और आरोपी को सिर्फ इसी के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता.
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शिकायतकर्ता ने खुद अपनी शिकायत में कहा है कि आरोपी ने मौके से भागने से पहले उसे अपना नाम और पता बताया. इसलिए अदालत ने पूछा कि उन्होंने तुरंत पुलिस को इस मामले की सूचना क्यों नहीं दी और आरोपियों की खुद की तलाश करने की क्या जरूरत है? देरी से यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करने में देरी पर भी सवाल उठाया गया .
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