
- जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश के कारण माता वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर भूस्खलन हुआ
- भूस्खलन के बाद पूरे यात्रा मार्ग को खाली कर यात्रा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है
- उधमपुर में एक दिन में 629.4 मिमी और जम्मू में 296 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो रिकॉर्ड बारिश है
जम्मू-कश्मीर में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने माता वैष्णो देवी मंदिर के पवित्र यात्रा मार्ग को मातम में बदल दिया. अर्धकुंवारी के पास हुए भीषण भूस्खलन में 34 श्रद्धालुओं की जान चली गई, जबकि 22 लोग घायल हैं. मंगलवार दोपहर को जब पहाड़ से भारी मात्रा में मलबा गिरा, तब हजारों की संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए कटरा से भवन की ओर बढ़ रहे थे. पलभर में हुआ यह हादसा इतना भयावह था कि श्रद्धालुओं के पास भागने का भी मौका नहीं मिला. रेस्क्यू ऑपरेशन रातभर चलता रहा और बुधवार दोपहर तक मलबे में दबे सभी श्रद्धालुओं को निकाल लिया गया. हादसे के बाद पूरे यात्रा मार्ग को खाली करा दिया गया और यात्रा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है.
हजारों श्रद्धालु अब भी कटरा में फंसे हैं, जबकि कई दर्शन किए बिना ही लौटने लगे हैं. इस बीच, कटरा से जम्मू तक के होटल और गेस्ट हाउस श्रद्धालुओं से खचाखच भरे हैं. भारी बारिश ने न केवल यात्रा मार्ग को तबाह किया, बल्कि जम्मू-कश्मीर के कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए. नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, कई इलाकों में पानी भर गया है और बिजली व संचार सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं.

माता वैष्णो देवी मंदिर की यात्रा पर निकले श्रद्धालुओं के लिए मंगलवार का दिन मौत और तबाही लेकर आया. अर्धकुंवारी के पास भूस्खलन में 34 श्रद्धालुओं की जान चली गई और 22 लोग घायल हो गए. बुधवार दोपहर तक रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा कर लिया गया और पूरे यात्रा मार्ग को खाली करा दिया गया.
यात्रा मार्ग में मातम
कटरा से मंदिर तक 12 किलोमीटर का पैदल मार्ग है. मंगलवार दोपहर बाद जब हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आगे बढ़ रहे थे, तभी अर्धकुंवारी के पास पहाड़ का एक हिस्सा अचानक खिसक गया. देखते ही देखते भारी मात्रा में मलबा 200 फीट क्षेत्र में फैल गया. कुछ ही मिनटों में यात्रा का माहौल चीख-पुकार में बदल गया. लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागे, लेकिन कई श्रद्धालु मलबे में दब गए.

हजारों श्रद्धालु फंसे, यात्रा स्थगित
हादसे के बाद पूरे मार्ग को खाली कराया गया और यात्रा को तत्काल रोक दिया गया. प्रशासन ने बताया कि चार हजार से अधिक श्रद्धालु कटरा में ही यात्रा शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं, जबकि कई श्रद्धालु दर्शन किए बिना ही लौट गए हैं. मंगलवार तक कटरा और जम्मू के होटलों में करीब 20 हजार श्रद्धालु ठहरे हुए थे. अब उन्हें वापसी का इंतजार है क्योंकि मार्ग की मरम्मत में समय लगेगा.

भारी बारिश का रिकॉर्ड
मंगलवार सुबह साढ़े आठ से बुधवार सुबह साढ़े आठ बजे तक उधमपुर में 629.4 मिमी और जम्मू में 296 मिमी बारिश दर्ज की गई. यह पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में एक दिन की रिकॉर्ड बारिश है. इसी बारिश ने न केवल भूस्खलन कराया, बल्कि जम्मू-कश्मीर के कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए. कुल 42 लोगों की मौत पिछले दो दिनों में बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से हो चुकी है.

कश्मीर में बाढ़ का खतरा
बुधवार दोपहर बाद जम्मू में मौसम में सुधार जरूर हुआ, लेकिन कश्मीर घाटी में बारिश लगातार जारी रही. झेलम समेत कई नदियां खतरे के निशान पर पहुंच गईं.
श्रीनगर के राजबाग इलाके में पानी भरने के बाद पुलिस ने लोगों को बाहर निकाला. अनंतनाग जिले के अच्छाबल इलाके में भी नदी का पानी घरों में घुस गया.

बचाव कार्य जारी
एसडीआरएफ और प्रशासनिक टीमें लगातार राहत कार्य में जुटी हुई हैं. अनंतनाग में लिद्दर नदी में फंसे 22 लोगों को सुरक्षित निकाला गया, जबकि पहलगाम में शेषनाग नाले में आई बाढ़ से चार इमारतें क्षतिग्रस्त हुईं. जम्मू के अखनूर में चिनाब नदी के पास फंसे सात बीएसएफ जवानों को ग्रामीणों ने मंगलवार रात बचा लिया, लेकिन एक जवान का शव बुधवार सुबह बरामद हुआ.

कई जिलों में तबाही
कुलगाम, पुलवामा, शोपियां, श्रीनगर, बड़गाम और गांदरबल जिलों में भी भारी बारिश हुई है. किश्तवाड़ जिले के वाढवन में बादल फटने से 10 मकान बह गए. प्रशासन ने कहा है कि सभी जिलों में राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहा है और हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है.
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