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आईआईएससी बंगलुरु के वैज्ञानिकों ने बनाई एक ऐसी चिप, जो बना सकती है भारत को ग्लोबल लीडर

बंगलुरु के आईआईएसी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी चिप विकसित की है जो किसी मॉलिक्यूलर या नैनो फिल्म पर डाटा को साढ़े 16 हजार तरीके से स्टोर और प्रॉसेस कर सकती है.यह एक क्रांतिकारी खोज साबित हो सकती है. इससे एआई हार्डवेयर के क्षेत्र में भारत ग्लोबल लीडर बन सकता है.

आईआईएससी बंगलुरु के वैज्ञानिकों ने बनाई एक ऐसी चिप, जो बना सकती है भारत को ग्लोबल लीडर
नई दिल्ली:

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी चिप का विकास किया है, जो कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में क्रांति ला सकती है.बंगलुरु स्थित आईआईएसी के वैज्ञानिकों ने जो चिप विकसित की है, वो किसी मॉलिक्यूलर या नैनो फिल्म पर डाटा को साढ़े 16 हजार तरीके से स्टोर और प्रॉसेस कर सकती है.शोधकर्ताओं का मानना है कि इस विकास के जरिए भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हार्डवेयर विकास के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बन सकता है. 

टीम में कौन कौन वैज्ञानिक शामिल थे

विज्ञान पत्रिका 'नेचर' में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक इस चिप को डिजाइन करने वाली टीम में आईआईएसी के श्रीतोष गोस्वामी, नवकांत भट, दीपक शर्मा, शांति प्रसाद रथ, विद्याभूषण कुंडू और श्रीब्रता गोस्वामी शामिल थे. ये वैज्ञानिक आईआईएसी के सेंटर फार नैनो साइंस एंड इंजीनियरिंग में काम करते हैं. इनके अलावा इसमें टेक्सास के ए एंड एम विश्वविद्यालय के अनिल कोरकाम्ज, आर स्टैनली विलियम्स और आयरलैंड के यूनिवर्सिटी ऑफ लिमरिक के डामिन थॉम्पसन शामिल थे.इसका विकास पूरी तरह से आईआईएससी में ही हुआ. दूसरे देशों के वैज्ञानिकों ने केवल सिमुलेशन और मॉडेलिंग में ही मदद की.

नई तकनीक कंप्यूटर ब्रेन सिस्टम में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी. इससे लैस मशीनें अपने आसपास के माहौल से सीख सकती हैं. ये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा सकता है. आईआईएससी की टीम का नेतृत्व करने वाले श्रीतोष गोस्वामी के मुताबिक एक दशक से भी अधिक समय से न्यूरोमोर्फिक कंप्यूटिंग का अनसुलझी चुनौतियों में एक उचित हिस्सा रहा है. उन्होंने कहा कि इस खोज के साथ हमने लगभग संपूर्ण प्रणाली हासिल कर ली है.उन्होंने इसे एक दुर्लभ उपलब्धि बताया है.

ठीक इंसानी दिमाग की ही तरह काम करता है

यह खोज एआई के क्षेत्र में क्रांति ला सकती है. इससे Chat GPT जैसे लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) को लैपटॉप और स्मार्टफोन पर चलाया जा सकता है.यह तकनीक एआई की दो बड़ी समस्याओं हार्डवेयर की कमी और ज्यादा बिजली की खपत का समाधान करती है.इस खोज के प्रमुख हिस्से माल्युकूलर सिस्टम को प्रोफेसर श्रीब्रता गोस्वामी ने डिजाइन किया है. यह डाटा को स्टोर और प्रॉसेस करने के लिए आयनों की गति का इस्तेमाल करता है. यह ठीक उसी तरह से होता है, जैसा इंसान के दिमाग में होता है.यह माल्यूकुलर डायरी तैयार करता है, जो एक कंप्यूटर की तरह काम करता है. यह बहुत अधिक उर्जा और जगह बचाता है. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोर देश में सेमीकंडक्टर बनाने की दिशा में है.उनकी कोशिशों को इस खोज से पंख लग सकते हैं. 
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से आईआईएससी की टीम अब एक इंटीग्रेटेड न्यूरोमॉर्फिक चिप बनाने की दिशा में काम कर रही है. संस्थान अब इसके जरिए एक चिप में एक पूरा का पूरा कंम्यूटर विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है.शोधकर्ताओं का मानना है कि यह खोज एआई हार्डवेयर विकास की दिशा में भारत को ग्लोबल लीडर बना सकती है. ट

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