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इब्राहिम रईसी की मौत पर क्यों गम में हैं कारगिल के लोग?

दुनिया के मुस्लिम देशों में  ज़्यादातर में सुन्नी मुसलमान बहुसंख्यक हैं. हालांकि ईरान, इराक, अज़रबैजान, और बहरीन में शिया मुसलमानों की आबादी बहुसंख्यक है. इन देशों के अलावा, लेबनान, कुवैत, तुर्की, यमन, और भारतीय उपमहाद्वीप में भी शिया समुदाय की बड़ी आबादी रही है. 

इब्राहिम रईसी की मौत पर क्यों गम में हैं कारगिल के लोग?
नई दिल्ली:

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी (Ebrahim Raisi) का रविवार को हुए एक हेलिकॉप्टर हादसे में निधन हो गया था. उनके निधन पर पूरे दुनिया में मायूसी देखी जा रही है. दुनिया भर में जो भी शिया समुदाय के लोग हैं वो बेहद आहत हैं. भारत के कश्मीर में भी जगह-जगह उनके निधन को लेकर मातम देखा गया है. कश्मीर के कारगिल में शिया मुसलमानों की काफी आबादी है. हालांकि वो सुन्नी की तुलना में अल्पसंख्यक है. लेकिन कई रिपोर्ट में माना जाता रहा है कि उनकी आबादी घाटी में 20-25 प्रतिशत है.

शिया मुसलमानों की सबसे मजबूत देशों में से एक ईरान को माना जाता है. ऐसे में इब्राहिम रईसी की मौत से कारगिल सहित कई जगहों पर लोगों ने मातम मनाया है. भारत ही नहीं पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भी शिया समुदाय के लोगों के द्वारा मातम मनाया गया है. 

दुनिया के मुस्लिम देशों में  ज़्यादातर में सुन्नी मुसलमान बहुसंख्यक हैं. हालांकि ईरान, इराक, अज़रबैजान, और बहरीन में शिया मुसलमानों की आबादी बहुसंख्यक है. इन देशों के अलावा, लेबनान, कुवैत, तुर्की, यमन, और भारतीय उपमहाद्वीप में भी शिया समुदाय की बड़ी आबादी रही है. 

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कौन होते हैं शिया मुसलमान?
शिया इस्लाम के दूसरे सबसे बड़ी आबादी वाला समुदाय है. शिया मुसलमान उन लोगों को कहते हैं जिन्होने हज़रत मुहम्मद की मृत्यु के बाद, पैगंबर की वसीयत के मुताबिक, हज़रत अली को अपना इमाम (धर्मगुरु) और ख़लीफ़ा (नेता) माना था. शिया मुसलमान मानते हैं कि मुहम्मद के बाद, मुस्लिम समुदाय का नेतृत्व अली, उनके चचेरे भाई और दामाद, और उनके उत्तराधिकारियों का होना चाहिए था. 

ईरान के आठवें राष्ट्रपति थे इब्राहिम रईसी
इब्राहिम रईसी ईरान के आठवें राष्ट्रपति थे.उनकी छवि एक कट्टरपंथी नेता की रही. वो मस्जिद का इमाम रहने के अलावा वकालत के पेशे में ज्यूडूशरी से जुड़े थे. इसके बाद वो राजनीति में आए थे. दरअसल रईसी अयातुल्ला (Ayatollah) की डिग्री के साथ राष्ट्रपति चुनाव जीतने वाले पहले व्यक्ति थे. यह शिया मौलवियों के लिए एक डिग्री होती है. 

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2021 में इब्राहिम रईसी बने थे ईरान के राष्ट्रपति
इब्राहिम रईसी ने सबसे पहले साल 2017 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ा था. लेकिन मौजूदा उदारवादी राष्ट्रपति हसन रूहानी से वो चुनाव  हार गए थे. हालांकि साल 2021 में इब्राहिम रईसी ने राष्ट्रपति का चुनाव जीता और ईरान के आठवें राष्ट्रपति बने. कहा जाता है कि रईसी के विरोधियों को ईरान की जांच एजेंसी ने चुनाव लड़ने से ही रोक दिया था. उन्हें 2.89 करोड़ मतों में से लगभग 62 प्रतिशत वोट मिले थे जो इस्लामिक गणराज्य के इतिहास में प्रतिशत के हिसाब से सबसे कम मतदान था.

63 वर्षीय रईसी ने ईरान की न्यायिक प्रणाली में कई पदों पर कार्य किया था. उन्होंने उप मुख्य न्यायाधीश (2004-2014), अटॉर्नी जनरल (2014-2016), और मुख्य न्यायाधीश (2019-2021) के तौर अपनी सेवाएं दी थी. ये ईरान के सुप्रीम लिडर और शिया धर्मगुरु अयातुल्ला अली खामनेई के विश्वासपात्र माने जाते थे.

अंतिम यात्रा में लाखों लोग हुए शामिल
हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए ईरान के दिवंगत राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी को बुधवार को तेहरान में नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई.  तेहरान में दिवंगत लोगों के ताबूतों के साथ अंतिम यात्रा निकाली गई, जिसमें लाखों लोग शामिल हुए.  ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने जनाजे की नमाज (प्रार्थना सभा) का नेतृत्व किया. 

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ईरान के राष्ट्रपति और उनके साथ मारे गए लोगों की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए लोग काले कपड़े पहनकर पहुंचे थे.  तेहरान विश्वविद्यालय में मृतकों के ताबूत रखे गए थे. सभी ताबूतों को ईरानी ध्वज में लपेटा गया था. इन पर मृतकों की तस्वीरें लगाई गई थीं.  तेहरान में अंतिम विदाई के कार्यक्रम को लेकर इब्राहिम रईसी के बड़े-बड़े बैनर लगाए गए, जिनमें दिवंगत राष्ट्रपति को शहीद बताया गया था. 

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