कई विपक्षी दलों के सांसदों और कुछ सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने बृहस्पतिवार को गैर-भाजपा शासित राज्यों में राज्यपालों की भूमिका और आईएएस नियमों में बदलाव (IAS Cadre Rules Row) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) को एक संयुक्त ज्ञापन भेजा. सांसदों ने अखिल भारतीय सेवा कैडर नियमों को बदलने के केंद्र के प्रस्ताव और विपक्ष शासित राज्यों में राज्यपालों द्वारा कथित हस्तक्षेप को रेखांकित किया. केंद्र सरकार की कार्रवाई को लोकतंत्र और संघीय शासन के खिलाफ बताते हुए उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ये पूरी तरह से असंवैधानिक हैं'' और अवांछित संकट पैदा कर सकते हैं.
संयुक्त ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘इन संशोधनों को राज्यों को अपने अधीन करने के लिए तैयार किया गया है और हम सामूहिक रूप से केंद्रीय पदस्थापना और तबादलों के माध्यम से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) पर पूर्ण नियंत्रण के केंद्र के कदम का विरोध करते हैं.''
सांसदों और पूर्व नौकरशाहों ने कहा, ‘‘हम केंद्र को किसी भी एकतरफा कदम के खिलाफ आगाह करते हैं और यह स्पष्ट करते हैं कि राज्य इस असंवैधानिक शक्तियों के हड़पने के लिए सहमत नहीं होंगे, भले ही इसे मुख्यमंत्रियों और राज्यों के वैध विरोध के बावजूद थोप दिया जाए.''
विशेष रूप से गैर-भाजपा दलों द्वारा शासित कुछ राज्य आईएएस नियमों में बदलाव का कड़ा विरोध कर रहे हैं और कई मुख्यमंत्रियों ने पूर्व में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था. सांसदों का दूसरा मुद्दा ‘‘विपक्ष शासित राज्यों में निर्वाचित सरकारों के कामकाज में राज्यपालों के निरंतर हस्तक्षेप'' से संबंधित है.
उन्होंने कहा कि वे अपनी सहमति व्यक्त करने के लिए एक साथ आए हैं और मांग करते हैं कि राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों पर केंद्र के दखल को तुरंत रोका जाए. उन्होंने कहा कि जिन मामलों में निश्चित रूप से केंद्र के परामर्श की आवश्यकता होती है, उन पर एकतरफा आदेश जारी करने के बजाय राज्यों के साथ चर्चा की जानी चाहिए.
सांसदों और पूर्व नौकरशाहों ने यह भी आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में राज्यपाल चुनी गई सरकार को नीचा दिखाने और उसकी आलोचना करने के लिए दिन में कई बार सोशल मीडिया का सहारा लेते हैं और मुख्यमंत्री, मंत्रियों और वरिष्ठ नौकरशाहों के काम में ‘‘हस्तक्षेप'' करते हैं.
ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘हम केंद्र द्वारा नियुक्त इन राज्यपालों के अलोकतांत्रिक और संघीय ढांचे के खिलाफ इस निंदनीय आचरण की निंदा करते हैं.''
ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले 21 सांसदों में तिरुचि शिवा (द्रमुक), मनोज कुमार झा (राजद), जयराम रमेश (कांग्रेस), के केशव राव (टीआरएस), संजय राउत (शिवसेना), जवाहर सरकार (तृणमूल कांग्रेस), बिनॉय विश्वम (भाकपा), संजय सिंह (आप), अब्दुल वहाब (आईयूएमएल), सुखराम सिंह यादव (सपा), सुखेंदु शेखर रे (तृणमूल कांग्रेस), अनिल देसाई (शिवसेना), अमी याज्ञनिक (कांग्रेस) समेत अन्य शामिल हैं.
ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले 38 पूर्व नौकरशाहों में वजाहत हबीबुल्लाह, के पी फैबियन, अमिताभ पांडे, एमजी देवसहायम, सुरेंद्र नाथ समेत अन्य नाम शामिल हैं.
वीडियो: केंद्र के IAS नियमों में बदलाव का विरोध, 4 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने PM को लिखी चिट्ठी
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