केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में एक आईएएस अधिकारी ने दलित होने के कारण प्रशासन पर भेदभाव किए जाने का आरोप लगाया है. प्रदेश के प्रमुख सचिव का पिछले एक साल में पांच बार तबादला हो गया है. उन्होंने साजिश के तहत बार-बार ट्रांसफर किए जाने का आरोप लगाया है. उन्होंने आरोपों की निष्पक्ष जांच की मांग की है.
गुजरात के रहने वाले 1992 के आईएएस अधिकारी अशोक परमार ने जल शक्ति विभाग में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का भंडाफोड़ किया था. उन्होंने जम्मू-कश्मीर प्रशासन पर उत्पीड़न, धमकी और धमकाने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में शिकायत दर्ज की है.
अशोक परमार 1992 बैच के एजीएमयूटी कैडर के अधिकारी हैं. उन्होंने शिकायत में आरोप लगाया है कि अनुसूचित जाति का होने और जल शक्ति विभाग में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी उजागर करने के बाद उनका बार-बार तबादला किया जा रहा है. केंद्रीय सचिव को भी पत्र लिखकर प्रशासन द्वारा झूठे केस में फंसाए जाने की आशंका जाहिर की है.
परमार ने आरोप लगाया कि उन्हें दो हाई-लेवल बैठकों से बाहर निकाल दिया गया और अन्य अधिकारियों के सामने अपमानित किया गया. परमार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर थे. उन्हें मार्च 2022 में एजीएमयूटी कैडर में वापस भेज दिया गया था. फिर पांच में 2022 को उनका तबादला कर उन्हें प्रमुख सचिव जल शक्ति विभाग पर तैनात किया गया. यहां उन्होंने कुछ गड़बड़ी को उजागर किया था. जिसके बाद उनका बार-बार तबादला किया गया.
नेशनल कॉन्फ्रेंस और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है.
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