वायुसेना का लड़ाकू विमान मिग 21 (MiG 21) अब फिर से उड़ान भरने लगा है. इस लड़ाकू विमान की फ्लाइंग पर 8 मई को हुए हादसे के बाद रोक लगा दी गई थी. राजस्थान के हनुमानगढ़ में मिग 21 के दुर्घटनाग्रस्त होने से तीन महिलाओं की मौत हो गई थी.
वायुसेना के मुताबिक किसी भी एयरक्राफ्ट के हादसे के बाद जांच पूरी होने तक उस फ्लीट को ग्राउंड कर दिया जाता है. बाद में तकनीकी जांच के बाद जब एयरक्राफ्ट में आई खामी को दूर कर लिया जाता है तो उसे उड़ने की इजाजत मिल जाती है.
मिग 21 वायुसेना में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाला लड़ाकू विमान है. वायुसेना में मिग 21 लड़ाकू विमान 1963 में शामिल हुआ था. एक अनुमान के मुताबिक अब तक रूस से 700 मिग 21 खरीदे गए हैं जिसमें से करीब 400 मिग 21 दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं.
फिलहाल वायुसेना में मिग 21 बाईसन के तीन बेड़े हैं, यानी 50 के करीब एयरक्राफ्ट हैं. वायुसेना की योजना है कि 2025 तक सारे मिग 21 बाईसन को रिटायर कर दिया जाए. इस लड़ाकू विमान की जगह देश में बने फाइटर तेजस को तैनात किया जा रहा है.
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