कश्मीर में इंटरनेट पर लगी पाबंदी को लेकर नीति आयोग (NITI Aayog) के सदस्य वीके सारस्वत (VK Saraswat) के विवादस्पद बयान देने के बाद हुए बवाल के बाद उन्होंने सफाई दी है. न्यूज एजेंसी ANI से वीके सारस्वत ने कहा, 'मेरे बयान का गलत मतलब निकाला गया है. अगर किसी को मेरी बात से दुख हुआ तो मैं माफी मांगता हूं. मैं नहीं चाहता हूं कि ऐसा लगे कि मैं कश्मीर के लोगों के इंटरनेट इस्तेमाल करने के अधिकार के खिलाफ हूं. उन्होंने कहा था, 'अगर कश्मीर में इंटरनेट न हो तो क्या फर्क पड़ता है? आप इंटरनेट पर क्या देखते हैं? वहां क्या ई-टेलिंग हो रही है? गंदी फिल्में देखने के अलावा आप उस पर (इंटरनेट) कुछ भी नहीं करते हैं.'
NITI Aayog's VK Saraswat: I have been quoted out of context. If this misquotation has hurt the feelings of the people of Kashmir, I apologise and would not like them to carry this impression that I am against the rights of the Kashmiris to have internet access. https://t.co/8bwfkBGk6i pic.twitter.com/jwvHaDPVg1
— ANI (@ANI) January 19, 2020
नीति आयोग के सदस्य के इस बयान पर कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (केसीसीआई) ने कड़ी निंदा की. केसीसीआई ने उनके इस बयान को तत्काल वापस लेने की भी मांग की थी. केसीसीआई के अध्यक्ष शेख आशिक ने कहा, 'हम इस बयान की कड़ी निंदा करते हैं. वह कश्मीर के लोगों के खिलाफ जहर उगल रहे हैं. उन्हें किसी ने जम्मू-कश्मीर के लोगों के बारे में ऐसा बोलने और हमारे खिलाफ ऐसी गलत बातें करने का हक नहीं दिया है.'
This man is a member of the Niti Aayog. He needs to read the Indian Constitution to update himself, and can start with the Preamble. There are numerous anti-CAA/NRC protests in every town and city across the country, and he will easily come across the Preamble in them. https://t.co/zoatHFW1AN
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) January 19, 2020
उधर, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने भी वीके सारस्वत के बयान की निंदा की. येचुरी ने ट्वीट किया, 'ये आदमी नीति आयोग का सदस्य है. इसे खुद को अपडेट करने के लिए भारतीय संविधान पढ़ने की जरूरत है, और वह प्रस्तावना से शुरुआत कर सकता है.'
बता दें कि शनिवार को धीरूभाई अंबानी इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशंस टेक्नोलॉजी गुजरात के वार्षिक दीक्षांत समारोह से इतर सारस्वत ने संवाददाताओं से कहा था, 'कश्मीर में इंटरनेट नहीं होने से क्या फर्क पड़ेगा? वहां इंटरनेट पर आप क्या देखते हैं? वहां कौन-सा ऑनलाइन कारोबार हो रहा है? गंदी फिल्में देखने के अलावा वहां कुछ नहीं होता है.' केसीसीआई अध्यक्ष ने कहा कि पुरी दुनिया जानती है कि घाटी में इंटरनेट बंद है और इसकी वजह से पिछले करीब छह माह में कारोबार जगत को 18,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
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उद्योग मंडल ने हाल ही में कश्मीर घाटी में हुए कारोबारी नुकसान के बारे में विस्तृत रिपोर्ट उपराज्यपाल जीसी मुर्मू और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल तथा प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह को सौंपी है, उन्होंने कहा कि चैंबर में हम जानते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था इंटरनेट बंद होने से कितने गहरे तक प्रभावित हुई है. हमारी अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र को नुकसान उठाना पड़ा है. यदि कोई व्यक्ति ऐसा बयान देता है तो इससे ही पता चलता है कि उसके पास कितना दिमाग है. उन्हें नीति आयोग में रहने का कोई अधिकार नहीं है.
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(इनपुट: भाषा से भी)
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