नई दिल्ली:
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का साक्षात्कार करने के बाद समाजवादी पार्टी से निकाले गए शाहिद सिद्दीकी ने दलगत राजनीति से दूर रहने का ऐलान करते हुए कहा है कि उन्हें पार्टी ने वोट बैंक की खातिर बलि का बकरा बनाया है।
सिद्दीकी ने कहा, मैंने एक पत्रकार के तौर पर मोदी का साक्षात्कार किया। मेरा मकसद मोदी को किसी तरह का भी फायदा पहुंचाना नहीं था। मैंने तो 2002 के दंगों के बाद की स्थिति बताने की कोशिश की है, जिसे लोग भूल चुके थे। समाजवादी पार्टी ने मुझे बाहर करने का फैसला सिर्फ वोट बैंक की राजनीति की वजह से किया है।
उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा, सच कहूं तो मोदी की आड़ में मुझे बलि का बकरा बनाया गया है। सिद्दीकी ने कहा, उनके (सपा के) दिल में चोर है। वह पहले कल्याण सिंह को शामिल करते हैं, साक्षी महाराज को शामिल करते हैं और फिर इसके लिए माफी मांगते हैं। मैं हमेशा धर्मनिरपेक्षता के लिए लड़ा हूं और लड़ूंगा। समाजवादी पार्टी का यह फैसला बेहद अफसोसनाक है और पत्रकारिता पर हमला है। इस पार्टी में सिर्फ परिवारवाद की चल रही है।
हाल ही में अपने उर्दू साप्ताहिक 'नई दुनिया' के लिए सिद्दीकी ने मोदी का साक्षात्कार किया था, जिसमें मोदी ने 2002 के दंगों के लिए माफी मांगने से इनकार करते हुए कहा था कि अगर वह (मोदी) दोषी पाए जाएं, तो उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया जाए।
यह पूछे जाने पर कि उन्होंने इस वक्त मोदी का साक्षात्कार क्यों किया, तो सिद्दीकी ने कहा, बहुत सारे लोग इस तरह के सवाल कर रहे हैं, जो पूरी तरह से बेमानी हैं। एक पत्रकार के रूप में मोदी का साक्षात्कार करने का मौका मिला और मैंने किया। मैंने तो मोदी से वह सवाल पूछे, जो शायद कोई नहीं पूछ सकता था।
उन्होंने कहा, मोदी का साक्षात्कार करने का मेरा कोई दूसरा मकसद नहीं था। अगले सियासी कदम के बारे में पूछे जाने पर सिद्दीकी ने कहा, मैं अब दलगत राजनीति से दूर रहूंगा। लेकिन लिखने, पढ़ने और बोलने का मेरा सिलसिला चलता रहेगा। सभी पार्टियों में बोलने और लिखने की आजादी पर बंदिश है, ऐसे में मैं दलगत राजनीति नहीं कर सकता। इसलिए किसी पार्टी से जुड़ने का सवाल ही नहीं है।
सिद्दीकी ने कहा, मैंने एक पत्रकार के तौर पर मोदी का साक्षात्कार किया। मेरा मकसद मोदी को किसी तरह का भी फायदा पहुंचाना नहीं था। मैंने तो 2002 के दंगों के बाद की स्थिति बताने की कोशिश की है, जिसे लोग भूल चुके थे। समाजवादी पार्टी ने मुझे बाहर करने का फैसला सिर्फ वोट बैंक की राजनीति की वजह से किया है।
उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा, सच कहूं तो मोदी की आड़ में मुझे बलि का बकरा बनाया गया है। सिद्दीकी ने कहा, उनके (सपा के) दिल में चोर है। वह पहले कल्याण सिंह को शामिल करते हैं, साक्षी महाराज को शामिल करते हैं और फिर इसके लिए माफी मांगते हैं। मैं हमेशा धर्मनिरपेक्षता के लिए लड़ा हूं और लड़ूंगा। समाजवादी पार्टी का यह फैसला बेहद अफसोसनाक है और पत्रकारिता पर हमला है। इस पार्टी में सिर्फ परिवारवाद की चल रही है।
हाल ही में अपने उर्दू साप्ताहिक 'नई दुनिया' के लिए सिद्दीकी ने मोदी का साक्षात्कार किया था, जिसमें मोदी ने 2002 के दंगों के लिए माफी मांगने से इनकार करते हुए कहा था कि अगर वह (मोदी) दोषी पाए जाएं, तो उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया जाए।
यह पूछे जाने पर कि उन्होंने इस वक्त मोदी का साक्षात्कार क्यों किया, तो सिद्दीकी ने कहा, बहुत सारे लोग इस तरह के सवाल कर रहे हैं, जो पूरी तरह से बेमानी हैं। एक पत्रकार के रूप में मोदी का साक्षात्कार करने का मौका मिला और मैंने किया। मैंने तो मोदी से वह सवाल पूछे, जो शायद कोई नहीं पूछ सकता था।
उन्होंने कहा, मोदी का साक्षात्कार करने का मेरा कोई दूसरा मकसद नहीं था। अगले सियासी कदम के बारे में पूछे जाने पर सिद्दीकी ने कहा, मैं अब दलगत राजनीति से दूर रहूंगा। लेकिन लिखने, पढ़ने और बोलने का मेरा सिलसिला चलता रहेगा। सभी पार्टियों में बोलने और लिखने की आजादी पर बंदिश है, ऐसे में मैं दलगत राजनीति नहीं कर सकता। इसलिए किसी पार्टी से जुड़ने का सवाल ही नहीं है।
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