नई सरकार की गठन के बाद मुंबई का फेफड़ा कहे जाने वाले आरे में पेड़ काटने के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से एक बार फिर जल्द सुनवाई की मांग की गई. याचिकाकर्ता की ओर से श्याम दीवान ने सीजेआई एन वी रमना को बताया कि रोजाना पेड़ काटे जा रहे हैं. इस पर CJI वी रमना ने कहा कि ये मामला पहले ही जस्टिस चंद्रचूड़ के पास भेजा गया है.
सीजेआई को जवाब देते हुए श्याम दीवान ने कहा कि शुक्रवार को सुनवाई होनी थी. लेकिन बेंच सुन नहीं पाई. ऐसे में इस मामले की मंगलवार को ही किसी दूसरी बेंच के सामने सुनवाई हो. इस पर CJI रमना ने कहा कि वो देखेंगे. बता दें कि इससे पहले वकील गोपाल शंकरनारायण ने जस्टिस चंद्रचूड़ से मामले की जल्द सुनवाई की मांग की थी.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि शुक्रवार को सुनवाई करेंगे. लेकिन मामले की सुनवाई नहीं हुई. इससे पहले पिछले बुधवार को CJI एन वी रमना को याचिकाकर्ता की वकील अनीता शेनॉय ने पेड़ काटने की जानकारी दी थी. उन्होंने कहा था कि हर दिन पेड़ काटे जा रहे हैं. ऐसे में याचिकाकर्ता ने जल्द सुनवाई की मांग की थी.
मांग पर CJI ने कहा था कि जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच सुनवाई करेगी. दरअसल, साल 2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने कानून के छात्र ऋषभ रंजन द्वारा लिखे गए एक पत्र पर संज्ञान लिया था, जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश से आरे में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने के लिए निर्देश जारी करने और इसे एक जनहित याचिका में बदलने का आग्रह किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्वत: संज्ञान लिया था और आगे पेड़ों की कटाई पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बरकरार रखने का फैसला दिया था. हाल ही में नव नियुक्त महाराष्ट्र सरकार के मेट्रो कार शेड के निर्माण को फिर से शुरू करने का फैसला लिया, जिसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं. गौरतलब है कि आरे जंगल 1,800 एकड़ क्षेत्र में फैला है, जिसे अक्सर मुंबई ग्रीन फेफड़ा कहा जाता है.
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