नई दिल्ली:
लंबे समय से पूर्व सैनिकों की ओआरओपी की मांग को आखिरकार सरकार ने मान लिया है। सूत्रों की मानें तो इस मामले में सरकार की सक्रियता के पीछे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की भूमिका भी अहम मानी जा रही है।
बताया जा रहा है कि 25 अगस्त को गृह मंत्री राजनाथ सिंह के निवास पर एक बैठक हुई जिसमें रक्षा मंत्री पर्रिकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत दोभाल मौजूद थे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की ओर से इंद्रेश कुमार, कृष्ण गोपाल और अरुण कुमार उपस्थित थे। बैठक में संघ की ओर से कहा गया कि बिना किसी देर के ओआरओपी की घोषणा कर दी जाए।
सूत्रों की माने तो इसके बाद आरएसएस की शाखा पूर्व सैनिक सेवा परिषद के प्रतिनिधि मंडल ने संघ के मुखिया मोहन भागवत से मुलाकात की जहां उन्हें यह विश्वास दिलाया गया कि सरकार से इस मामले को जल्द से जल्द हल करने के लिए कहा जाएगा।
ख़बर है कि 2 सितंबर यानि आरएसएस समन्वय बैठक के पहले दिन भैयाजी जोशी, दत्तात्रेय होसबोले ने अमित शाह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, पर्रिकर और राजनाथ सिंह के साथ अलग से मुलाकात की जिसमें एक बार फिर सरकार से इस मसले के जल्द निपटारे के लिए कहा गया।
आरएसएस ने कहा कि आर्थिक और प्रशासनिक तौर-तरीकों पर एक उचित प्रक्रिया के तहत बाद में काम किया जा सकता है। लेकिन ओआरओपी की घोषणा में किसी भी तरह के देरी से सरकार की छवि को नुकसान पहुंच सकता है क्योंकि भाजपा को सैनिकों का बड़ा समर्थन हासिल है और इस मामले पर जल्द फैसला नहीं लेने से यह आधार छूट सकता है।
सूत्रों के अनुसार इस पर अमित शाह ने आश्वासन दिया कि ओआरओपी की घोषणा शीघ्र ही की जाएगी। शाह ने कहा कि सरकार इस मुद्दे के कुछ आखिरी बिंदुओं पर काम कर रही है और किसी भी वक्त निर्णय सुनाया जा सकता है। शुक्रवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में एनडीटीवी इंडिया के इस संवाददाता के सवाल का होसबोल ने भी यही जवाब दिया था।
हालांकि आरएसएस ने कहा है कि लंबे समय से अधर में लटकी इस समस्या का समाधान सरकार की इच्छाशक्ति की बदौलत ही संभव है, बाकी संघ तो बस इस मामले का जल्द समाधान चाहती है। संघ ने उम्मीद जताई थी कि इससे जुड़े दो-तीन मुद्दों का भी जल्द ही कुछ हल निकल पाएगा।
बताया जा रहा है कि 25 अगस्त को गृह मंत्री राजनाथ सिंह के निवास पर एक बैठक हुई जिसमें रक्षा मंत्री पर्रिकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत दोभाल मौजूद थे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की ओर से इंद्रेश कुमार, कृष्ण गोपाल और अरुण कुमार उपस्थित थे। बैठक में संघ की ओर से कहा गया कि बिना किसी देर के ओआरओपी की घोषणा कर दी जाए।
सूत्रों की माने तो इसके बाद आरएसएस की शाखा पूर्व सैनिक सेवा परिषद के प्रतिनिधि मंडल ने संघ के मुखिया मोहन भागवत से मुलाकात की जहां उन्हें यह विश्वास दिलाया गया कि सरकार से इस मामले को जल्द से जल्द हल करने के लिए कहा जाएगा।
ख़बर है कि 2 सितंबर यानि आरएसएस समन्वय बैठक के पहले दिन भैयाजी जोशी, दत्तात्रेय होसबोले ने अमित शाह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, पर्रिकर और राजनाथ सिंह के साथ अलग से मुलाकात की जिसमें एक बार फिर सरकार से इस मसले के जल्द निपटारे के लिए कहा गया।
आरएसएस ने कहा कि आर्थिक और प्रशासनिक तौर-तरीकों पर एक उचित प्रक्रिया के तहत बाद में काम किया जा सकता है। लेकिन ओआरओपी की घोषणा में किसी भी तरह के देरी से सरकार की छवि को नुकसान पहुंच सकता है क्योंकि भाजपा को सैनिकों का बड़ा समर्थन हासिल है और इस मामले पर जल्द फैसला नहीं लेने से यह आधार छूट सकता है।
सूत्रों के अनुसार इस पर अमित शाह ने आश्वासन दिया कि ओआरओपी की घोषणा शीघ्र ही की जाएगी। शाह ने कहा कि सरकार इस मुद्दे के कुछ आखिरी बिंदुओं पर काम कर रही है और किसी भी वक्त निर्णय सुनाया जा सकता है। शुक्रवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में एनडीटीवी इंडिया के इस संवाददाता के सवाल का होसबोल ने भी यही जवाब दिया था।
हालांकि आरएसएस ने कहा है कि लंबे समय से अधर में लटकी इस समस्या का समाधान सरकार की इच्छाशक्ति की बदौलत ही संभव है, बाकी संघ तो बस इस मामले का जल्द समाधान चाहती है। संघ ने उम्मीद जताई थी कि इससे जुड़े दो-तीन मुद्दों का भी जल्द ही कुछ हल निकल पाएगा।
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