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वो 4 फॉर्मूले, जिनकी बदौलत केरल बन गया भारत का पहला अत्यधिक गरीबी मुक्त राज्य

केरल भारत का पहला अत्यधिक गरीबी मुक्त राज्य बन गया है, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने विधानसभा में यह घोषणा की. जानें केरल ने आखिर ऐसा क्या किया कि अत्यधिक गरीबी को खत्म कर दिया.

वो 4 फॉर्मूले, जिनकी बदौलत केरल बन गया भारत का पहला अत्यधिक गरीबी मुक्त राज्य
  • केरल भारत का पहला अत्यधिक गरीबी मुक्त राज्य बन गया है. इसके लिए सरकार ने 2021 में प्रयास शुरु किए थे
  • सबसे पहले व्यापक अभियान चलाकर अत्यधिक गरीबी से जूझ रहे 64 हजार परिवारों की पहचान की गई
  • हरेक के लिए अलग-अलग माइक्रो प्लान बनाकर भोजन, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार दिया और गरीबी से निकाला
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भारत के पहले पूर्ण साक्षर राज्य केरल के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गई है. केरल भारत का पहला अत्यधिक गरीबी मुक्त राज्य बन गया है. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने केरल पिरवी दिवस पर विधानसभा में यह घोषणा की. अब सबके मन में सवाल ये है कि केरल ने आखिर ऐसा क्या किया कि अत्यधिक गरीबी को खत्म कर दिया. इसके पीछे मुख्य रूप से सरकार के 4 फॉर्मूले हैं. आइए इनके बारे में विस्तार से बताते हैं. 

2021 में कैबिनेट में लिया गया फैसला

मुख्यमंत्री विजयन ने विधानसभा में बताया कि भारत का पहला अत्यधिक गरीबी मुक्त राज्य बनने की उपलब्धि 2021 में दूसरी बार सत्ता में आई एलडीएफ सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में लिए गए निर्णय का नतीजा है. उन्होंने इस उपलब्धि के लिए अत्यधिक गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम (EPEP) के अलावा जनभागीदारी, स्थानीय निकायों और सरकारी विभागों के समन्वित प्रयासों को श्रेय दिया.  

राज्य में अत्यधिक गरीब कौन? 

केरल सरकार ने सबसे पहले अत्यधिक गरीबी से जूझ रहे लोगों की पहचान की. इसके लिए ये पैमाने तय किए गए- 

  • जो किसी भी सरकारी लाभ योजना के दायरे में नहीं आते.
  • जिनके पास आय का कोई स्थायी स्रोत या आश्रय नहीं है.
  • जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हैं. 
  • जो सोशल सिक्योरिटी सिस्टम से पूरी तरह वंचित हैं.

64 हजार अत्यधिक गरीबों की पहचान

ऐसे लोगों की पहचान के लिए व्यापक अभियान चलाया गया. आशा कार्यकर्ताओं, एनजीओ और सिविल सोसाइटी नेटवर्क की भी मदद ली गई. इसके जरिए 1.18 लाख गरीब परिवारों में से 64,006 अत्यधिक परिवारों की पहचान की गई.

हर परिवार के लिए अलग-अलग प्लान

  • इन्हें गरीबी से निकालने के लिए हर परिवार के लिए अलग कैटिगरी वाइज माइक्रो प्लान बनाए गए. 
  • अल्पकालिक, मध्य कालिक और दीर्घकालिक सहायता योजनाएं तैयार की गईं. 
  • इन परिवारों के लिए नियमित भोजन, घर-मकान, स्वास्थ्य देखभाल, दवाएं-इंश्योरेंस की व्यवस्था की गई. 
  • बच्चों को स्कॉलरशिप, पढ़ाई की चीजें और मुफ्त यात्रा पास दिए गए. मनरेगा जॉब कार्ड के तहत रोजगार सुनिश्चित किया गया. 
  • जिनके पास पहचान का कोई दस्तावेज नहीं थ, उन्हें राशन कार्ड, आधार और पेंशन योजनाओं से जोड़ा गया

घर, जमीन, पेंशन, इलाज सुविधाएं दीं

सीएम विजयन ने सदन में बताया कि करीब 62 लाख परिवारों को कल्याणकारी पेंशन, लगभग 4.70 लाख बेघर परिवारों को घर, लगभग 6,000 सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित करने, 43 लाख परिवारों को मुफ्त स्वास्थ्य बीमा और चार लाख परिवारों को जमीन उपलब्ध कराने जैसे उपायों से केरल में अत्यधिक गरीबी की सीमा और तीव्रता को काफी हद तक कम करने में मदद मिली. 

मिशन पर 1000 करोड़ रुपये खर्च

राज्य सरकार ने इस अभियान पर 1,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए. 2025–26 के बजट में 60 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान इस मिशन के लिए किया गया. इस तरह लगातार प्रयास करके लोगों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाला गया. 

विपक्ष ने बताया फ्रॉड, CM ने दिया जवाब 

केरल को अत्यधिक गरीबी से मुक्त करने का सीएम का दावा भी विवादों में घिर गया है. कांग्रेस की अगुआई वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने सरकार के दावे को फ्रॉड करार दिया है. इसके विरोध में विधानसभा की कार्रवाई का बॉयकॉट भी किया. इसका जवाब देते हुए सीएम विजयन ने कहा कि हम सिर्फ वही कहते हैं जो हम लागू कर सकते हैं. हमने राज्य को अत्यधिक गरीबी से मुक्त करने की बात कही थी, अब वह काम कर दिखाया है. विपक्ष को हमारा यही जवाब है. 

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