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'घर को ऐसे कैसे गिरा सकते हैं...' बुलडोजर से इंसाफ पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट कोर्ट का कहना है कि देशभर में निर्माणों में तोड़फोड़ को लेकर गाइडलाइन जरूरी है. अगर कोई आरोपी या दोषी भी है, तो उसका घर गिराया नहीं जा सकता. अवैध निर्माण गिराने से पहले भी कानून का पालन करना जरूरी है.

'घर को ऐसे कैसे गिरा सकते हैं...' बुलडोजर से इंसाफ पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि देशभर में तोड़फोड़ को लेकर गाइडलाइन बनाई जाएगी
नई दिल्‍ली:

देश के कई राज्‍यों में बुलडोजर ' जस्टिस' यानि अपराधियों के घर पर तोड़फोड़ की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि देशभर में तोड़फोड़ को लेकर गाइडलाइन  बनाई जाएगी. अदालत ने इसे लेकर सरकार और पक्षकारों से सुझाव मांगे हैं. कोर्ट ने कहा कि देशभर में निर्माणों में तोड़फोड़ को लेकर गाइडलाइन जरूरी है. अगर कोई आरोपी या दोषी भी है, तो उसका घर गिराया नहीं जा सकता. अवैध निर्माण गिराने से पहले भी कानून का पालन करना जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 17 सितंबर को करेगा.

'पूरे देश में लोगों के साथ बुलडोजर जैसा न्याय नहीं किया जा सकता'

बुलडोजर जस्टिस मामले में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हमने बहुत पहले एक हलफनामा दाखिल किया था. इस विवाद पर अब विराम लगना चाहिए. वहीं, जमीयत की ओर से पेश हुए दुष्यंत दवे ने कहा कि एक बयान दर्ज किया जाए कि पूरे देश में लोगों के साथ बुलडोजर जैसा न्याय नहीं किया जाएगा. सब राज्य ये कर रहे हैं. ये बड़ा मुद्दा है. तुषार मेहता में सुनवाई के दौरान कहा, 'हमारा जवाबी हलफनामा 09.08.2022 का है. सिर्फ़ इसलिए कि किसी व्यक्ति पर किसी अपराध में शामिल होने का आरोप है, उसे ध्वस्त करने का आधार नहीं बनाया जा सकता. कोई भी अचल संपत्ति सिर्फ़ इसलिए ध्वस्त नहीं की जा सकती क्योंकि मालिक/कब्जाधारी अपराध में शामिल है.'          

'आरोपी का घर कैसे तोड़ा जा सकता है?'

जस्टिस बी आर गवई ने इस दौरान कहा, 'सिर्फ इसलिए कि कोई आरोपी है, उसका घर कैसे तोड़ा जा सकता है? यहां तक कि किसी को सजा भी हो जाती है, तो भी कानूनी प्रक्रिया का पालन किए  बिना घर नहीं तोड़ा जा सकता.' वहीं, जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा, 'इसके क्रियान्वयन में कुछ दिशा-निर्देश क्यों नहीं पारित किए जा सकते, ताकि इसका पालन हो. पहले नोटिस... जवाब देने का समय... कानूनी उपायों को अपनाने के लिए दिया गया समय... जवाब... और फिर तोड़फोड़
- आपने जो कहा है, वह उचित है और ऐसे दिशा-निर्देश क्यों नहीं पारित किए जा सकते.

'दोषी भी है, तो भी घर नहीं गिराया जा सकता'

सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा कि सिर्फ़ इसलिए घर कैसे गिराया जा सकता है, क्योंकि वह आरोपी है? अगर वह दोषी भी है, तो भी घर नहीं गिराया जा सकता. कोर्ट ने कहा, 'हम गैरकानूनी निर्माण के बचाव में नहीं हैं, लेकिन तोड़फोड़ के लिए कोई गाइडलाइन होनी चाहिए.' इस पर तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा केवल नगर निगम के कानून के अनुसार ही किया जा सकता है. सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा, 'सिर्फ इसलिए घर कैसे गिराया जा सकता है, क्योंकि वह आरोपी है? अगर वह दोषी भी है, तो भी घर नहीं गिराया जा सकता.  हमें रवैये में कोई बदलाव नहीं दिखता.' वहीं, जस्टिस विश्वनाथन ने कहा, 'एक पिता का बेटा अड़ियल हो सकता है, लेकिन अगर इस आधार पर घर गिरा दिया जाता है, तो यह सही तरीका नहीं है.

'अवैध निर्माण पर भी कानून के अनुसार चले बुल्‍डोजर' 

तुषार मेहता ने कहा कि अदालत के सामने गलत ढंग से याचिकाकर्ता मामले को रख रहे है. नियमों का पालन करने हुए करवाई की गई है. नोटिस बहुत पहले जारी किए गए थे, ये लोग पेश नहीं हुए. इस पर जस्टिस विश्वनाथन ने तर्क दिया, 'किसी को भी कमियों का फायदा नहीं उठाना चाहिए.' जस्टिस गवई ने कहा, 'अगर निर्माण अनधिकृत है, तो ऐसे मामलों में भी, यह "कानून के अनुसार" होना चाहिए.'
इस पर तुषार मेहता ने दलील दी कि पीड़ित यहां नहीं आए हैं. जमीयत मामले को लेकर आई है. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा क‍ि सभी पक्षों को सुनने के बाद हम इस मामले में दिशा-निर्देश जारी करेंगे, जो पूरे देश भर में लागू होगा. अब इस मामले पर 17 सितंबर को सुनवाई होगी. जस्टिस गवई ने कहा कि सभी पक्षों का सुझाव आने दीजिए. हम अखिल भारतीय स्तर पर दिशा-निर्देश जारी करेंगे.

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