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लू की वार्निंग में कैसे दिए जाते हैं कलर कोड और क्या है इनका मतलब ? मौसम विभाग के सीनियर साइंटिस्ट ने बताया

फील लाइक टेंपरेचर खास तौर पर कोस्टल रीजन में ज्यादा देखा जाता है. उदाहरण का तौर पर केरल को ले लीजिए. जहां हम हॉट और ह्रयूमिड की भी वार्निंग देते हैं. ह्यूमिडिटी जब ज्यादा हो तो और तापमान 38 - 39 भी हो तो फीलिंग टेंपरेचर की ज़्यादा होती है.

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लू की वार्निंग में कैसे दिए जाते हैं कलर कोड और क्या है इनका मतलब ? मौसम विभाग के सीनियर साइंटिस्ट ने बताया
प्रतीकात्मक

उत्तर भारत के ज्यादातर हिस्सों में इस वक्त तपते सूरज ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. आलम ये है कि कड़ी धूप में लोगों का घरों से बाहर निकलना तक दुश्वार हो चुका है. फिलहाल आने वाले कुछ और दिनों तक गर्मी से राहत की कोई उम्मीद नहीं है बल्कि अब गर्मी का कहर और बढ़ जाएगा. पिछले कुछ दिनों से देश के कई इलाकों में पारा 40 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच चुका है. आने वाले दिनों में गर्मी का सितम कम होता नहीं दिख रहा है. लोग बीते शनिवार से भीषण गर्मी और लू के गर्म थपेड़ों से जूझ रहे हैं. बुधवार को भी तेज धूप और लू के चलते लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया.

मौसम विभाग के सीनियर साइंटिस्ट नरेश कुमार ने एनडीटीवी संग बात करते हुए कहा कि सामान्य तौर पर जब हम हीट वेव का वार्निंग देते हैं तो उसमें कलर कोड देते हैं. कलर कोड को लेकर अलग अलग पैमानों का ध्यान रखते हैं. अधिकतम तापमान जिसके हिसाब से हम हीट वेव देते हैं. दूसरा वार्म नाइट, तीसरा ह्यूमिडिटी ज़्यादा है तो असर उसका भी रहता है.  सामान्य तौर पर उत्तरी भारत में विंड स्ट्रांग है, 40 डिग्री तापमान है तो फीलिंग ज़्यादा तापमान की आएगी. फील लाइक टेम्परेचर में ह्यूमिडिटी की भूमिका ज़्यादा होती है.

फील लाइक टेंपरेचर खास तौर पर कोस्टल रीजन में ज्यादा देखा जाता है. उदाहरण का तौर पर केरल को ले लीजिए. जहां हम हॉट और ह्रयूमिड की भी वार्निंग देते हैं. ह्यूमिडिटी जब ज्यादा हो तो और तापमान 38 - 39 भी हो तो फीलिंग टेंपरेचर की ज़्यादा होती है. इसको लेकर एक्सपेरिमेंटल हीट इंडेक्स निकालते हैं. इसमें टेंपरेचर और ह्यूमिडिटी का कॉम्बिनेशन होता है. अप्रैल में पूर्वी भारत का इलाकों में ज्यादा हीट वेव रहा  इसमें बहुत बार ऑरेंज और रेड अलर्ट भी देते हैं. इसमें अधिकतम तापमान पर क्राइटेरिया निकला हीट वेव का और ह्यूमिडिटी सामान्य से ज्यादा रहता है.

इसके साथ ही न्यूनतम तापमान की भी भूमिका काफी होती है. ह्यूमिडिटी की भूमिका जब ज्यादा रहती है तो कलर एक स्टेप हायर कर देते हैं. मसलन, जहां येलो कलर कोड देना चाहिए पर ह्यूमिडिटी ज़्यादा है तो उसको ऑरेंज कर देते हैं. इसके पीछे वजह यही है कि फील लाइक टेंपरेचर बढ़ जाता है. फील लाइक टेंपरेचर की सूरत में आप आप ज्यादा असहज महसूस करेंगे. मानिए कि कोस्टल इलाकों में तापमान 39 हो और ह्यूमिडिटी 60 - 70% है तो ज़्यादा असहज महसूस करेंगे.

इसके लिए कई बार हम hot और humid का टर्म भी प्रयोग करते हैं. अप्रैल में केरल में हम 20 दिनों तक लगातार ये हम देते रहे. यहां तापमान तो सामान्य था पर ह्यूमिडिटी ज़्यादा थी. घर से बाहर निकलने वक्त तापमान का साथ साथ ह्यूमिडिटी भी देख लेनी चाहिए. दिल्ली-एनसीआर में टेंपरेचर बहुत ज्यादा नहीं थे, 42 डिग्री का पास था पर सामान्य से ह्यूमिडिटी ज़्यादा थी. साथ में न्यूनतम तापमान भी सामान्य से 2 से 3 डिग्री ज्यादा था तो फील लाइक टेम्परेचर में डिस्कमफोर्ट ज़्यादा बढ़ जाता है.

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