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This Article is From Jan 16, 2024

केंद्र ने 2 कश्मीरी संगठनों पर प्रतिबंध पर पुनर्विचार के लिए ट्रिब्यूनल का किया गठन

गृह मंत्रालय ने 27 दिसंबर और 31 दिसंबर, 2023 को यूएपीए के तहत मसरत आलम भट के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग और दिवंगत अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी द्वारा स्थापित तहरीक-ए-हुर्रियत पर प्रतिबंध लगा दिया था.

केंद्र ने 2 कश्मीरी संगठनों पर प्रतिबंध पर पुनर्विचार के लिए ट्रिब्यूनल का किया गठन
नई दिल्ली:

केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने मंगलवार को एक  ट्रिब्यूनल का गठन किया जो यह फैसला करेगा कि कश्मीर के 2 संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंध पर पुनर्विचार किया जाए या नहीं. ये दो संगठन हैं तहरीक-ए-हुर्रियत-जम्मू-कश्मीर और मुस्लिम लीग. दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सचिन दत्ता दोनों न्यायाधिकरणों की अध्यक्षता करेंगे. गृह मंत्रालय ने 27 दिसंबर और 31 दिसंबर, 2023 को UAPA के तहत मसरत आलम भट के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग और दिवंगत अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी द्वारा स्थापित तहरीक-ए-हुर्रियत पर प्रतिबंध लगा दिया था.

संगठनों को पक्ष रखने का दिया जाएगा समय

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ट्रिब्यूनल संबंधित संगठनों को कारण बताओ नोटिस जारी करेगा और अपना पक्ष रखने के लिए उन्हें समय देगा. कार्यवाही में जांच अधिकारियों और विशेषज्ञों के बयानों की रिकॉर्डिंग की जाएगी. गृह मंत्रालय द्वारा तहरीक-ए-हुर्रियत और मुस्लिम लीग की गतिविधियों के खिलाफ सबूत के साथ-साथ संगठनों द्वारा तर्कों की रिकॉर्डिंग भी की जाएगी. 

संपत्ति जब्त करने का दिया था आदेश

पिछले हफ्ते,गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मुस्लिम लीग और तहरीक-ए-हुर्रियत के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार देने के लिए दो अधिसूचनाएं जारी की थीं. अधिसूचनाएं जम्मू-कश्मीर प्रशासन को दोनों समूहों की संपत्ति जब्त करने और बैंक खातों और संपत्ति को जब्त करने का अधिकार देती हैं. 

इन संगठनों पर लगे थे गंभीर आरोप

मंत्रालय ने कहा कि तहरीक ए हुर्रियत के नेता और सदस्य जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने और सुरक्षाबलों पर निरंतर पथराव सहित गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान और उसके समर्थन वाले संगठनों सहित विभिन्न स्रोतों के माध्यम से धन जुटाने में शामिल रहे हैं. अधिसूचना में कहा गया कि संगठन के सदस्य उन आतंकवादियों को भी श्रद्धांजलि दे रहे हैं, जो सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे जाते हैं और ये लोग देश में आतंक का शासन स्थापित करने के इरादे से आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने में शामिल रहे हैं.

गृह मंत्रालय ने कहा कि तहरीक-ए-हुर्रियत और इसके लोग गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त रहे हैं, जो देश की अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए हानिकारक हैं. इसने कहा कि संगठन ने कभी भी शासन की लोकतांत्रिक प्रणाली में विश्वास नहीं किया और इसके नेताओं ने कई मौकों पर विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करने का आह्वान किया है. 

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