गुजरात के साबरकांठा जिले में शुक्रवार को आठ वर्षीय एक लड़के के ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है, जिससे प्रदेश में एचएमपीवी मामलों की संख्या बढ़कर तीन हो गई है. वहीं देश में ये आंकड़ा दहाई में पहुंच गया है. ऐसे में कोरोना वायरस के दहशत से उबरे लोगों में अब एचएमपीवी ने डर पैदा कर दिया है. लोगों के जेहन में इस वायरस को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं.
एचएमपीवी को लेकर लोगों के मन में उठ रहे सवाल:
- क्या यह वायरस भी कोरोना के जैसा ही खतरनाक है?
- क्या दोनों एक ही प्रक्रिया के तहत किसी को अपना शिकार बनाते हैं?
- दोनों के लक्षणों के बीच क्या अंतर है?
- दोनों से कैसे निपटा जाए?
- क्या यह वायरस चीन से आया है?
विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस और एचएमपीवी को आपस में जोड़कर देखा जा रहा है. लेकिन, हमें ये बात समझनी होगी कि दोनों एक-दूसरे से बहुत अलग हैं. दोनों के बीच किसी भी प्रकार का संबध नहीं है. दोनों अलग फैमिली से आते हैं. ऐसे में दोनों के बीच किसी भी तरह का संबंध तलाशना, सही नहीं है. यहां पर आपको एक बात समझनी होगी कि चिकित्सकीय विज्ञान में वायरस को उनकी फैमिली के मुताबिक बांटा जाता है, जिसके आधार पर सभी वायरस को श्रेणीबद्ध किया जा सकता है.
एचएमपीवी और कोरोना में समानता और असमानता
डॉक्टर बताते हैं कि अगर दोनों वायरस के समानता और असमानता की बात करें, तो दोनों ही वायरस से संक्रमित होने पर कुछ विशेष लक्षण सामने आते हैं, जैसे सर्दी, जुकाम और गले में दर्द, लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि कोरोना वायरस की जद में आने के बाद मरीज में सूंघने और स्वाद की क्षमता खत्म हो जाती है. लेकिन, एचएमपीवी में ऐसा नहीं होता है. कोरोना वायरस में भी निमोनिया होता है और एचएमपीवी में भी निमोनिया हो सकता है. लेकिन, दोनों ही वायरस में होने वाले निमोनिया थोड़े अलग होते हैं. दोनों ही निमोनिया मरीज को अलग तरह से प्रभावित करते हैं. इसे आप एक अंतर के रूप में देख सकते हैं. कोरोना वायरस में मरीज में लंग्स के अंदर क्लाउटिंग की समस्या आती है, जबकि एचएमपीवी में ऐसा नहीं होता है.
कोरोना वायरस का डेथ रेट ज्यादा है. आसान भाषा में कहें तो कोरोना से संक्रमित होने के बाद मरीज के मौत की संभावना ज्यादा होती है, जबकि एचएमपीवी में ऐसा नहीं होता है.
दोनों वायरस के रोकथाम का तरीका
डॉक्टर कहते हैं कि अगर दोनों वायरस के रोकथाम की बात करें, तो आपको सबसे पहले उन लोगों से दूर रहना होगा, जो कोरोना या एचएमपीवी से संक्रमित हों. यहां आपको एक बात समझनी होगी कि किसी वायरस से संक्रमित मरीज छह फीट के दायरे में किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित रखने की क्षमता रखता है. जिसका विशेष ध्यान रखना होगा. ऐसी स्थिति में अगर आपको एहसास हो कि आप इस वायरस से संक्रमित हो रहे हैं, तो सबसे पहले आप खुद को आइसोलेट कर लें. इसके अलावा, अगर आप खांसे तो मास्क जरूर लगाएं. ऐसा करके आप खुद को संक्रमण से बचा सकते हैं.
वहीं अगर किसी की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, या किसी को लंग्स या डायबिटीज की समस्या है, तो उसे भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए. अगर किसी कारणवश जाना भी पड़ रहा है, तो उसे मास्क जरूर पहनना चाहिए, क्योंकि आमतौर पर देखा जाता है कि कम उम्र वाले, बुजुर्ग और जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, उनके अंदर संक्रमण की आशंका ज्यादा रहती है, क्योंकि यह वायरस खांसने और छींकने से फैलता है, जिसे देखते हुए आपको विशेष सावधानी बरतनी होगी.
क्या एचएमपीवी वायरस चीन से आया है?
कई जगह ये दावा किया जा रहा है कि ये वायरस चीन से आया है, तो ऐसी स्थिति में यह सवाल लोगों के जेहन में है कि क्या यह वायरस चीन से आया है, तो इस पर डॉ. कहते हैं कि बिल्कुल भी नहीं. यह वायरस चीन से नहीं आया है. इस वायरस की खोज सबसे पहले हॉलैंड के एक वैज्ञानिक ने की थी. 1958 में कुछ वैज्ञानिकों ने इसके ब्लड सैंपल को संभालकर रखे थे, जब इसकी एंटीबॉडी चेक की गई, तो उसी में से इस वायरस का एवीसेंड मिला. यह वायरस चीन से नहीं आया है, यह दुनिया में पहले से मौजूद है. वहीं, अगर कोरोना की बात करें, तो वो भी चीन से नहीं आया था. यह वायरस भी पूरी दुनिया में पहले से ही मौजूद है, लेकिन चीन में एक नए फॉर्म में आया था. आप कह सकते हैं कि कोविड-19 कोरोना वायरस का एक नया प्रतिरूप है.
डॉक्टर बताते हैं कि अगर आप इस वायरस से संक्रमित हो जाते हैं, तो किसी भी कीमत पर तीन से पांच दिन तक अपने घर से बाहर न निकलें. इसके बाद वायरस का प्रभाव खुद ब खुद खत्म हो जाएगा. जब तक खांसी, जुकाम और बुखार न उतर जाए, तब तक विशेष सावधानी रखें और खुद को आइसोलेट रखें.
खतरनाक नहीं है एचएमपीवी : विशेषज्ञ
भारत के कई राज्यों में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के मामले देखने को मिले हैं. सरकार ने भी इसके लिए कमर कस ली है. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है. यह कोई नया वायरस नहीं है. यह मुख्य रूप से हल्के श्वसन रोगों से जुड़ा हुआ है. कर्नाटक में हाल ही में तीन महीने के बच्चे का मामला पाया गया जो इस वायरस से संक्रमित था. बच्चे को अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई. यह मामला बताता है कि इस वायरस से उत्पन्न बीमारी में आमतौर पर हल्के लक्षण पैदा होते हैं.
हालांकि, एक साल से छोटे बच्चे, 60 साल से अधिक उम्र के लोग, और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग या जो लोग पहले से ही कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उन्हें ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है. ये लोग हाई रिस्क ग्रुप में आते हैं.
एचएमपीवी के गंभीर मामलों में ऑक्सीजन थेरेपी और वेंटिलेशन की भी जरूरत
विशेषज्ञों का कहना है कि इसके लक्षणों में खांसी, बुखार, नाक बंद होना और सांस लेने में तकलीफ होना शामिल है. वहीं, इसके गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती होने के साथ ऑक्सीजन थेरेपी और वेंटिलेशन की भी आवश्यकता हो सकती है. हालांकि, आम लोगों के लिए यह वायरस बहुत खतरनाक नहीं माना जाता. यह कोविड-19 वायरस के मुकाबले ज्यादा खतरनाक नहीं है. पहले के संपर्क से बनी आंशिक रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) इसके असर को कम कर सकती है. इसका जल्दी पता लगाए जाने के साथ जागरुकता से काबू पाया जा सकता है.
वर्तमान आंकड़ों से पता चलता है कि एचएमपीवी खतरनाक वायरस नहीं है. इसलिए इससे डरने की जरूरत नहीं है. इससे बचने के लिए मास्क पहनना और लक्षण वाले व्यक्तियों से दूरी बनाए रखने से इसे फैलने से रोका जा सकता है.
वहीं, एचएमपीवी वायरस को लेकर देश के अलग-अलग राज्यों ने अलर्ट जारी किया है. केंद्र सरकार ने भी इस वायरस को लेकर सभी राज्यों से सावधानी और सतर्कता बरतने को कहा है.
गुजरात में एचएमपीवी के अब तक तीन मामले
गुजरात के प्रांतिज तालुका के खेतिहर मजदूर परिवार से ताल्लुक रखने वाले एक आठ साल के लड़के के एक निजी प्रयोगशाला द्वारा किए गए परीक्षण में एचएमपीवी से संक्रमित पाया गया था, लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियों ने पुष्टि के लिए उसके ब्लड के नमूने एक सरकारी प्रयोगशाला भेजे थे. बच्चा वर्तमान में हिम्मतनगर शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती है. इस मामले को अब तक संदिग्ध एचएमपीवी मामला माना जा रहा था.
साबरकांठा के जिलाधिकारी रतनकंवर ने कहा कि सरकारी प्रयोगशाला ने शुक्रवार को पुष्टि की कि लड़का एचएमपीवी से संक्रमित है. फिलहाल उसका इलाज हो रहा है और उसकी हालत स्थिर है. अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि लड़का वेंटिलेटर पर है.
लखनऊ में एचएमपीवी के मरीज की खबर अफवाह : सीएमओ
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एचएमपीवी का मरीज सामने आने की खबर को मुख्य चिकित्सा अधिकारी एनबी सिंह ने अफवाह करार दिया. सीएमओ एनबी सिंह ने कहा कि लखनऊ में अब तक इस वायरस का कोई भी मामला सामने नहीं आया है. यदि भविष्य में इस तरह के मामले सामने आते हैं, तो हम जल्द ही संज्ञान लेकर मीडिया के जरिए जनता को सूचित करेंगे.
उन्होंने कहा कि सर्दियों के मौसम में सामान्य रूप से सांस और हृदय संबंधित बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है, जो कि एक सामान्य प्रक्रिया है और इसमें कोई आशंका की बात नहीं है. यह वायरस सामान्य हो सकता है और इसे लेकर अभी तक किसी प्रकार की कंफर्मेशन नहीं आई है. इसलिए, जनता को इस प्रकार की भ्रामक खबरों से परेशान होने की कोई आवश्यकता नहीं है. हम पूरी तरह से स्थिति पर निगरानी रख रहे हैं और समय-समय पर सही जानकारी देंगे.
छत्तीसगढ़ सरकार ने एचएमपीवी को लेकर तकनीकी समिति गठित की
छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में मानव मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) संक्रमण की स्थिति की निगरानी के लिए एक तकनीकी समिति का गठन किया है. अधिकारी के मुताबिक, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राज्यों को एचएमपीवी के बारे में जागरूकता पैदा करने के निर्देश दिए जाने के बाद इस समिति का गठन किया गया.
उन्होंने बताया कि समिति का नेतृत्व महामारी नियंत्रण निदेशक डॉ. एस के पामभोई करेंगे और यह समिति एचएमपीवी संक्रमण के खिलाफ रोकथाम, जागरुकता और भविष्य की कार्य योजना के संबंध में आवश्यक सुझाव देगी और दिशानिर्देश जारी करेगी. अधिकारी के मुताबिक, यह समिति समय-समय पर राज्य के स्वास्थ्य विभाग को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
एचएमपीवी खतरनाक नहीं, लेकिन सावधानी जरूरी : हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री
हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल ने एचएमपीवी को लेकर लोगों से अपील की है कि वे चिंतित न हों. हालांकि, सावधानी रखना जरूरी है. उन्होंने बताया कि ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस कोई खतरनाक वायरस नहीं है. कोरोना वायरस खतरनाक था, लेकिन ये खतरनाक नहीं है. इस वायरस के लक्षण जुकाम, खांसी, छींकना, बुखार आदि हैं. लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सावधानी बरतना जरूरी है. अपने पास सैनिटाइजर जरूर रखें.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ज्यादा भीड़ वाले इलाकों में जाने से बचें. यदि किसी को लक्षण महसूस हों तो स्वास्थ्य केंद्र जाकर जांच कराएं. साफ सफाई का अधिक ध्यान रखें. यह सामान्य वायरस है और यह बहुत पहले से है. यह वायरस 2001 से है, ये आता है चला जाता है. ये वायरस दुनिया में घूमता है. बच्चों, बुजुर्गों समेत सभी को सावधानी बरतना जरूरी है.
जम्मू-कश्मीर - एचएमपीवी से निपटने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने कसी कमर
देशभर में एचएमपीवी संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए जम्मू-कश्मीर में भी सतर्कता बढ़ा दी गई है. गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) कठुआ ने एचएमपीवी (ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस) से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर ली है. 50 बेड का आइसोलेशन वार्ड तैयार कर लिया गया है और ऑक्सीजन उत्पादन प्लांट की जांच भी की जा रही है. इस संबंध में जीएमसी कठुआ में एक मॉक ड्रिल भी की गई.
स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की कि अगर किसी को भी शुरुआत में खांसी, बुखार जैसे लक्षण महसूस हों या परिवार के किसी सदस्य में दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. हालांकि, जम्मू-कश्मीर में अब तक एचएमपीवी का कोई मामला सामने नहीं आया है. स्वास्थ्य विभाग ने जिलों को तैयारियों की जांच करने के निर्देश दिए हैं.
एचएमपीवी को लेकर सिक्किम सरकार ने जारी की हेल्थ एडवाइजरी
एचएमपीवी के मामलों में बढ़ोतरी से संबंधित हालिया रिपोर्टों के मद्देनजर सिक्किम सरकार ने स्थिति पर बारीकी से नजर रखने के लिए एक एडवाइजरी जारी की है. सिक्किम चीन के साथ लगभग 200 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है, क्योंकि ये उत्तर और पूर्वोत्तर में तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र से घिरा हुआ है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मुख्य सचिव ने हाल ही में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के साथ बैठक की, ताकि वर्तमान खतरे का आकलन किया जा सके और राज्य की तैयारियों की समीक्षा की जा सके.
अधिकारी ने कहा कि बैठक में वायरस के विभिन्न पहलुओं और इसके संक्रमण के तरीके के साथ-साथ इसके संक्रमण की चपेट में आने पर होने वाले लक्षणों पर बात की गई. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है. लोगों को घबराने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि उपलब्ध डेटा से पता चलता है कि वायरस भारत में कोई असामान्य प्रवृत्ति या गंभीर प्रकोप पैदा नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि लोगों को सलाह दी जाती है कि वे निवारक उपायों का पालन करें और ऐसे किसी भी लक्षण का अनुभव होने पर निकटतम स्वास्थ्य पेशेवरों से परामर्श करें.
बता दें कि चीन से शुरू हुआ एचएमपीवी अब भारत तक पहुंच चुका है. कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल के अलावा तमिलनाडु में इस वायरस से जुड़े मामले की पुष्टि हो चुकी है. इसके अलावा, कई राज्य सरकारों ने इस संबंध में एडवाइजरी भी जारी कर दी है. केंद्र सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को पहले ही कह दिया कि हमें समय-समय पर इस संबंध में अपडेट देते रहना चाहिए.
एचएमपीवी वायरस वायरस मुख्य रूप से पीड़ित व्यक्ति के श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है. इसके लक्षण कई मामलों में कोविड-19 के समान ही होते हैं. हालांकि, ये वायरस मुख्य रूप से शिशुओं और छोटे बच्चों को संक्रमित करता है. इस वायरस से संक्रमित मरीज में सबसे आम लक्षण खांसी है. इसके साथ हल्का बुखार, घरघराहट, नाक बहना या गले में खराश जैसे परेशानी भी हो सकती है. वायरस से संक्रमित होने के बाद कुछ मामलों में गंभीर लक्षण आ सकते हैं. सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती है.
एचएमपीवी की पहली बार 2001 में नीदरलैंड में पहचान की गई थी और तब से दुनिया के लगभग सभी हिस्सों में इसका पता चला है. यह वायरस मुख्य रूप से श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बनता है, हालांकि कम इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए यह गंभीर हो सकता है.
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