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This Article is From Sep 14, 2023

हिन्दी दिवस विशेष : विदेशी राजनयिक क्यों सीख रहे हिन्दी और कैसे इसे सीखने से उनका काम हो जाता है आसान?

आस्ट्रेलिया उच्चायोग में राजनीतिक मामले देखने वाले द्वितीय सचिव माइकल रीस ने बताया, "एक साल से हिन्दी सीख रहा हूं. मेरे लिए यह थोड़ी सी मुश्किल भाषा है, क्योंकि यह अंग्रेजी से एकदम अलग भाषा है."

आस्ट्रेलिया के दो राजनयिकों टॉम ओवरटन और माइकल रीस ने एनडीटीवी से हिन्दी में हिन्दी को लेकर बात की.

हिन्दी दिवस के मौक़े पर कई दूतावास और राजदूत हिन्दी में ट्वीट कर रहे हैं. दरअसल, हिन्दी वो भाषा है, जो इन विदेशी राजनयिकों को हिन्दुस्तान से जोड़ती है. आख़िर यहां आने वाले राजनयिक क्यों और कैसे हिन्दी सीखते हैं? इससे उनको क्या फ़ायदा होता है? इन सारे सवालों का जवाब विशुद्ध हिन्दी में आस्ट्रेलिया के दो राजनयिकों टॉम ओवरटन और माइकल रीस ने हमारे सहयोगी उमाशंकर सिंह को दिया.

आस्ट्रेलिया उच्चायोग में आर्थिक और व्यापारिक मामले देखने वाले द्वितीय सचिव टॉम ओवरटन ने बताया, "लगभग 18 महीने से हिन्दी सीख रहा हूं. आस्ट्रेलिया में एक साल हिन्दी सीखी और छह महीने से यहां सीख रहा हूं. आस्ट्रेलिया में मेरे दो टीचर थे. सच बताऊं, तो हिन्दी सीखना काफी मुश्किल है. अंग्रेजी और हिन्दी काफी अलग-अलग भाषा हैं. मेरे लिए सबसे मुश्किल है हिन्दी के उच्चारण को सीखना. हिन्दी के पास कई तरह के वर्ण हैं और उनके उच्चारण भी अलग-अलग हैं. दफ्तर में मैं अक्सर हिन्दी का इस्तेमाल करता हूं. मेरे काम का फोकस व्यापार है तो मुझे लगता है कि जब दोनों लोगों को एक ही भाषा आती है तो व्यापार करना काफी आसान हो जाता है."

टॉम ओवरटन ने आगे बताया, "दफ्तर के बाहर भी हिन्दी मददगार है. ऑटो, रेस्त्रां वालों से भी मैं हिन्दी में ही बात करता हूं. मेरी हिन्दी सुनकर अधिकतर भारतीय खुश होते हैं. मेरे देश के बारे में पूछते हैं. ये सबसे अच्छी बात है. आस्ट्रेलिया सरकार ने हिन्दी सीखने में मेरी मदद की. आस्ट्रेलिया सरकार भारत से रिश्ते सुधारने पर काफी ध्यान केंद्रित कर रही है. यही कारण है कि हिन्दी सीखने पर बल दिया जा रहा है. टॉम ओवरटन ने मराठी, तमिल, तेलुगु जैसी भाषाएं सीखने की भी इच्छा जताई."  

आस्ट्रेलिया उच्चायोग में राजनीतिक मामले देखने वाले द्वितीय सचिव माइकल रीस ने बताया, "एक साल से हिन्दी सीख रहा हूं. मेरे लिए यह थोड़ी सी मुश्किल भाषा है, क्योंकि यह अंग्रेजी से एकदम अलग भाषा है. हिन्दी में एक विशेष वर्णमाला है और यह अंग्रेजी से बिल्कुल अलग है. हिन्दी में वाक्य संरचना काफी अलग है. आपको एक मिसाल दे सकता हूं. जैसे मुझे बुखार है...अंग्रेजी में इसे टू मी इज ए कोल्ड कहेंगे...तो यह अंग्रेजी से बहुत अलग है. तो जब हम हिन्दी भाषा सीख रहे हैं तो हम सिर्फ एक नई भाषा नहीं सीख रहे हैं, बल्कि नये समाज, नये दिमाग और नई संस्कृति सीख रहे हैं."

माइकल रीस ने आगे बताया, "हम औपचारिक काम करते हैं, इसलिए हम नये शब्द सीखते हैं, जो संस्कृत से आते हैं, इसलिए मेरी हिंदी थोड़ी औपचारिक है. मुझे लगता है कि मेरे काम के लिए हिन्दी काफी मददगार है. जैसे मैंने पीएम मोदी का स्वतंत्रता दिवस का भाषण सुना, जो काफी सुंदर था. अगर मैं हिन्दी में भाषण समझ सकता हूं तो मैं दूसरे लोगों को समझा सकता हूं कि पीएम मोदी का तात्पर्य क्या है और फिर मैं अपने सहयोगियों के लिए काफी मददगार हो जाता हूं. भारत बहुत-बहुत विविध देश है. मुझे लगता है कि मैं अलग-अलग भाषा सीख सकता है. भोजपुरी भाषा सीखने की इच्छा है. हिन्दी एक बहुत सुंदर भाषा है और इसको सीखने के बाद हम भारत के लोगों से घुल-मिल सकते हैं और भारत की संस्कृति को समझ सकते हैं."

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