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घर टूटे.. सड़कें गायब और बाढ़ में बह गईं जिंदगियां, कुल्लू में बादल फटने के बाद अब कैसे हैं हालात?

कुल्लू में करीब 20 किलोमीटर ऊपर लग घाटी है. यहां पर भी तीन दिन पहले देर अचानक बादल फटा, जिससे पहाड़ पर बसे चार गांव का बुरा हाल है. लग घाटी की तरफ जाने वाली सड़क पर जगह - जगह मलबा गिरा है, पहाड़ों से गिर रहा पानी पूरे रास्ते को कीचड़ बना रखा है.

घर टूटे.. सड़कें गायब और बाढ़ में बह गईं जिंदगियां, कुल्लू में बादल फटने के बाद अब कैसे हैं हालात?
  • हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में बादल फटने और भारी बारिश से कई घर, दुकानें और सड़कें तबाह हो गईं हैं
  • लग घाटी में चार गांव पूरी तरह कट गए हैं, सड़क धंसने से लोग खतरनाक रास्तों से आना-जाना कर रहे हैं
  • जीवा नाले में फ्लैश फ्लड से तीन लोगों की मौत हुई है, कई घर बह गए और लोग अस्थायी ठिकानों में रहने को मजबूर हैं
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कुल्लू:

पहाड़ियों से घिरा राज्य हिमाचल प्रदेश इस वक्त दर्द में हैं. इस खूबसूरत राज्य को प्राकृतिक आपदाओं ने चारों तरफ से घेर लिया है. मॉनसून शुरू होने के बाद से यहां संकट के बादल मंडरा रहे हैं. भारी बारिश, भूस्खलन (Landslide) और बादल फटने (Cloudbrust) की घटना ने राज्य के कई जिलों में तबाही ला दी है, जिससे आम जनजीवन रुक सा गया है.

कुल्लू में बादल फटा, कई घर तबाह 

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कुल्लू जिले में मंगलवार देर रात अचानक बादल फटने से हालात बुरे हो गए हैं. शास्त्रीनगर, गांधी नगर और लग घाटी में स्थिति बादल फटने से पत्थर हो गई है. सड़के टूट गईं हैं , पेड़ उखड़ गए हैं और वाहन खाईयों में समां गए. बादल फटने की वजह से कई जगह बाढ़ आ गई है, जिसने अपने आवेश में मकान और दुकान को बहा दिया. लोग अपना घर छोड़कर भाग रहे हैं. पहाड़ से गिरकर बड़ा-बड़ा मलबा सड़कों पर आ गया है, रास्ते बंद हो गए हैं, जिससे संपर्क पूरी तरीके से टूट गया है. 

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शास्त्रीनगर में बाढ़ से बिगाड़े हालात 

पीज की पहाड़ी में बादल फटने से कुल्लू के शास्त्रीनगर नाले में बाढ़ आ गईं. इससे सड़क पर पानी भर गया. पहाड़ी से आये मलबे ने पूरे रास्ते को ब्लॉक कर दिया.

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रेतराम (48) ने बताया, " रात को 1:00 के बाद बारिश शुरू हो गई और 3:30 के करीब बहुत भयंकर आवाज पहाड़ियों से आई. उस वक्त पूरी कॉलोनी घबरा कर जाग गई और सब भाग कर बाहर आ गए. बादल फटने की वजह से नाले का जलस्तर काफी बढ़ गया, जिससे बाढ़ जैसी स्थिति बन गई. "
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रेतराम का परिवार कई दशकों से पीज की पहाड़ियों में रह रहे हैं. इस घटना में उनका घर भी बह गया है. उन्होंने बताया, "मैं मजदूरी करके परिवार का जीवनयापन करता हूं. हम 6 लोग यहां रहते थे लेकिन इस घटना में हमारा घर भी टूट गया. मकान में रखा सामान बर्बाद हो गया. हम अब दूसरों के घर में रह रहे हैं. सड़क बंद होने की वजह से सामान भी ऊपर नहीं पहुंच पा रहा. ऐसे में हमारे लिए रहना बहुत मुश्किल हो गया. पता नहीं कब स्थिति ठीक होगी."

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इत्तीदेवी (44) ने कहा, " बादल जब फटा तो धमाके जैसी आवाज आई. सब सहम गए और घबरा कर उठ गए. पानी का बहाव इतना तेज था कि हमारे सामने घर और दुकान बह गए, कुछ बाइक और स्कूटी को भी नुकसान हुआ. किसी तरह हम जान बचा कर वहां से भागे." उन्होंने कहा, "हमारे पास अब राशन खत्म हो रहा है. सड़क टूटी होने की वजह से नीचे आना-जाना संभव नहीं है. बच्ची भी स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. कुदरत ने ऐसा सितम ढाहा है कि हम बेबस हैं, पता नहीं कब सब सही होगा."
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"भगवान हमारी कितनी परीक्षा लेगा?"

झानूराम ने बताया, " करीब 4 घंटे का मंजर था, सुबह 8:00 बजे तक लगातार तबाही जारी रही. मेरा एक कमरा आगे और एक पीछे था, दोनों का नुकसान हो गया. हम लोगों को रहने की बहुत दिक्कत हो रही है. ऐसे में हम कहां जाएं." वहीं, गौरी कहती हैं, "अभी थोड़ी देर पहले ही एक पत्थर ऊपर से नीचे गिरा. पास में ही एक व्यक्ति खड़ा था, लेकिन गनीमत रही कि वो बच गया. हम चाहते हैं सब कुछ जल्दी ठीक हो जाए. पता नहीं भगवान हमारी कितनी परीक्षा लेगा."

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इस बीच म्युनिसिपल कॉरपोरेशन लगातार रास्ते को साफ करने में लगा हुआ है. स्थानीय लोगों के अनुसार जो कंक्रीट की सड़क कुछ दिन पहले बनाई गई थी वह भी इस तबाही में टूट गई.

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लग घाटी में बड़ी तबाही, चार गांव में टूटा कहर 

कुल्लू में करीब 20 किलोमीटर ऊपर लग घाटी है. यहां पर भी तीन दिन पहले देर अचानक बादल फटा, जिससे पहाड़ पर बसे चार गांव का बुरा हाल है. लग घाटी की तरफ जाने वाली सड़क पर जगह - जगह मलबा गिरा है, पहाड़ों से गिर रहा पानी पूरे रास्ते को कीचड़ बना रखा है. कई जगह पर पेड़ गिर गए हैं और रास्तों से गुजरते हुए हर वक्त ये डर लग रहा है कि कहीं ये पहाड़ ऊपर ना गिर पड़ें. 

क्लाउड ब्रस्ट और फ्लड ने कड़ौन, दली गांव, तेलंग और कश्मटी गांव को बहुत नुकसान पहुँचा है. यहां जमीन धसने से गांव पूरी तरह से कट गए हैं. आने- जाने के लिए सड़क नहीं हैं जहां है वहां झरना बह रहा है. 

गांव में लाइट नहीं, खाना-पानी के लिए तरस रहे लोग 

बादल फटने और फ्लैश फ्लड से लग घाटी का बुरा हाल है. यहां पहाड़ों में बसे गांव के लोग परेशान हैं. सड़क धसने होने से लोगों को आने-जाने में दिक्कत हो रही है. ऐसे में लोग ख़तरनाक तरीके से पहाड़ पर चढ़ कर आ-जा रहे हैं. 

खतरों से खेल रहे ग्रामीण 

पुन्नी देवी (65), यहीं गांव में रहती हैं. पुलिस से उन्हें सूचना मिली कि पहाड़ों से गिरे पत्थर से उनके भाई की मौत हो गईं. वो घबरा कर पहाड़ से उतर कर नीचे आई. एनडीटीवी ने जब उनसे सवाल किया, तो बोली, "भाई की मौत हो गई है. तो जाना है. ऊपर से नीचे आने का हमारे पास यही रास्ता बचा है तो क्या करें, हमें यहीं से आना पड़ रहा है."

हीरा देवी (47), अपने बच्चों को स्कूल से लेकर आई हैं, वो भी पहाड़ चढ़ कर गांव जा रही. " यहां से आने जाने का रास्ता बंद हो गया है. बहुत दिक्कत है लेकिन क्या करें. जाना तो पड़ेगा ही. " बॉबी ठाकुर ने कहा, "जब तक रास्ता नहीं निकलेगा तो यही से जाना पड़ेगा. गांव की कंडीशन बहुत खराब है. बिजली और पानी कई दिन से नहीं है".

बिजली - पानी नहीं होने से ग्रामीण परेशान 

आपदा के बारे में बताते हुए दिलेरम, घबरा उठते हैं. वो कहते हैं, " रात 2 बज रहे थे, तभी भयंकर आवाज आई और पूरा गांव घबरा कर एक घर में जाकर इकट्ठा हो गया. हमने ऐसा मंजरा कभी नहीं देखा. 4 दिन से गांव में न बिजली आ रही और ना ही पानी है. अब राशन भी धीरे खत्म होने लगा है. सरकार भी कोई मदद नहीं कर रही, विधायक आये और तमाशा देखकर चले गए. "

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लग घाटी में आई बाढ़ ने सड़क को दो हिस्सों में कर दिया है. ऐसे में यहां रह रहें लोगों का जीवन थम सा गया है. सूरत राम कहते हैं, " जब तक बिजली-पानी नहीं आ जाता, सड़क नहीं बन जाती, तब तक बहुत दिक्कत है. बाढ़ से चार दुकान और घर भी बह गए. "

"अब कोई दूसरी मुसीबत ना आए "

घाटी में बाढ़ और भूस्खलन ने भयंकर तबाही मचाई है. ऐसे में अब वह भगवान से दुआ कर रहे हैं कि कोई दूसरी मुसीबत उन पर ना आए. आत्माराम कहते हैं, " हमारे पूर्वज भी इसी पहाड़ियों में रहते थे. इस बार जो तबाही आई है उससे हमें बहुत नुकसान हुआ. हम भगवान से दुआ करते हैं कोई गांव में बीमार ना हो क्योंकि अगर ऐसी स्थिति आ गई तो हमारे लिए इलाज के लिए ऊपर से नीचे आना बहुत मुश्किल हो जाएगा.

जीवा नाला बना दरिया, 3 की मौत 

कुल्लू में कुदरत अपना ऐसा रौद्र रूप दिखा रहा है कि सैंज घाटी में बादल फटने से जीवा नाला में आए फ्लैश फ्लड ने तबाही का मंजर ला दिया. इस घटना में एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत हो गईं.

"30 सेकंड में सब खत्म हो गया "

यहां पहले 25 जून को बादल फटा, उसके बाद से हो रही भारी बारिश से लगातार बाढ़ और लैंडस्लाइड हो रहा है. वीर सिंह बताते है, "30 सेकंड में सब कुछ खत्म हो गया. जैसे ही गर्गराहट हुई मैं वहां से भागा. नीचे चार गाय और तीन भेड़ थे. सब बह गए. मेरा घर भी नहीं बचा." वीर सिंह, खेती करते हैं और इस तबाही में उनका टमाटर से भरा पूरा खेत बह गया. मेरे चाचा, बहन और सास सब बह गए. अब कोई टेंट में रह रहा है तो कोई शेड में. सरकार कह रही है कि कुछ देंगे पर दिया नहीं अब तक.

जीवा नाला में आई बाढ़ ने ऐसी तबाही मचाई कि कई घर जमींदोज हो गए हैं तो कुछ का पता ही नहीं चल रहा है. दिनेश कहते हैं, "हमने देखा बहुत भयानक गर्गराहट की आवाज आ रही है. पानी का भाव बहुत तेज है. यहां पांच-छह घर थे, सब 10 सेकंड में खत्म हो गए. मैंने पहली बार यहां ऐसा विराट रूप देखा है. उस वक्त ऐसा लग रहा था मानो पूरी धरती समा जाएगी."

पहाड़ से गिर रहे पत्थर, हर वक्त मौत का खतरा!

घाटी में हालात ऐसे हैं कि सड़कें धरती में समा गईं हैं. आवागमन के कोई संपर्क मार्ग नहीं बचा है. वीर सिंह ने कहा, "हम नीचे से सामान पीठ पर लादकर आते हैं. बहुत रिक्स वाला काम है. ऊपर से लगातार पत्थर नीचे गिर रहे हैं. गांव की स्थिति बहुत खराब है. रात में सब भाग जाते हैं."

वहीं झमेराम बताते हैं, "2 महीने होने वाले हैं, एक भी झूला नहीं लगा. हम अपने रिस्क पर आते जाते हैं, डर लगता है लेकिन कोई विकल्प नहीं है. अगर ऐसे नहीं जाएंगे तो पैदल 6 किलोमीटर चलकर जाना पड़ेगा. हम मजबूरी में यहां रह रहे हैं, अब कहां जाएं."

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झमेराम का घर जीवा नाला के ठीक ऊपर दूसरी पहाड़ी पर है और एकदम किनारे पर स्थित है, जो हर वक्त खतरे को दावत दे रहा है. झमेराम का पूरा परिवार यहीं पहाड़ियों में कई वर्षो से रह रहा है. यह लोग घर से दूसरी तरफ आने के लिए जीवा नल के ऊपर से रोपवे के सहारे आते हैं. वो कहते हैं, " हम लोगों को हर वक्त डर लगता है. जब भी कोई आपदा आती है तो हम इस पार से उस पार जाना बंद कर देते हैं. उस वक्त हमारे लिए राशन पानी की बहुत दिक्कत हो जाती है. हम सरकार से लगातार सुरक्षित ठिकानों की मांग कर रहे हैं. मुख्यमंत्री तक अपनी अर्जी भी लगाई है लेकिन बात आश्वासन तक सीमित रह गई है. "

हिमाचल में जारी रहेगा बारिश का दौर, कई रास्ते बंद 

मौसम विभाग के अनुमान के अनुसार, भारी बारिश का दौर अभी कुछ दिनों तक और जारी रहेगा. आपातकालीन परिचालन केंद्र ने बताया कि नेशनल हाईवे 305 बंद कर दिया गया है. वहीं, दौरान प्रदेश की 339 सड़कें भी बंद हैं. मौसम विभाग ने कहा कि बारिश का सबसे ज्यादा असर कुल्लू और मंडी जिले में देखने को मिला है. कुल्लू में 106 सड़कें, जबकि मंडी जिले में 162 सड़कें बंद हो गई हैं. 

अब तक 151 लोगों की मौत 

हिमाचल प्रदेश में भार बारिश से आई आपदाओं के कारण अब तक कुल 151 लोगों की मौत हो चुकी है. इस दौरान 2,326 करोड़ रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ है. इस मॉनसून में अब तक राज्य में 75 बाढ़ और 39 बादल फटने की घटनाएं हो चुकी हैं. इसके साथ ही अब तक 74 बड़े लैंडस्लाइड की घटनाएं हुईं हैं.

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