आम आदमी पार्टी नेता और पूर्व कानूनमंत्री सोमनाथ भारती को कानूनी पचड़ों में फंसे हैं, लेकिन फिलहाल उन्हें राहत नहीं मिली है। दिल्ली हाइकोर्ट ने उनकी उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें खिड़की एक्सटेंशन छापे के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के फैसले को चुनौती दी गई थी। हाइकोर्ट ने कहा कि मामला आयोग में लंबित है, इसलिए सुनवाई की जरूरत नहीं है।
गौरतलब है कि इस साल जनवरी में मंत्री रहते हुए सोमनाथ भारती ने कुछ लोगों के साथ खिड़की एक्सटेंशन में कुछ अफ्रीकी युवतियों पर देहव्यापार में संलिप्त होने का आरोप लगाते हुए उनके कमरे में रेड की थी। इस मामले में युवतियों ने बदसलूकी के आरोप लगाए और बाद में मामला भी दर्ज किया गया। इधर आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लिया और जांच शुरू की।
सितंबर महीने में आयोग ने भारती को दोषी ठहराते हुए सभी पीड़ितों को मुआवजा देने के आदेश दिए।
इसके खिलाफ सोमनाथ भारती ने हाईकोर्ट में अर्जी दी और कहा कि आयोग ने इस मामले में उनका पक्ष नहीं सुना। कोर्ट में केंद्र की ओर से बताया गया कि आयोग ने मुआवज़े वाले फैसले पर दो महीने के लिए रोक लगा दी है और भारती को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया है। इस मामले की सुनवाई 13 जनवरी को होनी है। इसके बाद हाइकोर्ट ने कहा कि चूंकि यह मामला अभी आयोग में चल रहा है, इसलिए फिलहाल इस अर्जी पर सुनवाई की जरूरत नहीं।
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