इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वर्ष 2008 में दर्ज एक आपराधिक मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम खान की सजा पर रोक लगाने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया. इस मामले में मुरादाबाद की अदालत ने अब्दुल्ला को दो वर्ष की सजा सुनाई थी जिससे वह विधायक के तौर पर अयोग्य घोषित हो गए.
मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान की याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने कहा, ‘‘वास्तव में याचिकाकर्ता बिना किसी आधार के अपनी सजा पर रोक लगवाने का प्रयास कर रहा है. सजा पर रोक का नियम नहीं है, बल्कि यह एक अपवाद है जो दुर्लभ मामलों में लागू होता है.''
अदालत ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता के खिलाफ 46 आपराधिक मामले लंबित हैं. राजनीति में शुचिता लाना आज के समय की मांग है. जनप्रतिनिधि ऐसे व्यक्ति हों जिनका पिछला जीवन मर्यादित हो.''
अदालत ने कहा, ‘‘उपरोक्त परिस्थितियों के आलोक में सजा पर रोक लगाने से इनकार किए जाने से याचिकाकर्ता के साथ किसी प्रकार का अन्याय नहीं होगा. मुरादाबाद की अदालत द्वारा पारित आदेश ना केवल उचित और विधिपूर्ण है, बल्कि इसमें किसी तरह के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है.''
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 में मुरादाबाद के छजलेट पुलिस थाना में अब्दुल्ला आजम खान और उनके पिता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 341 और 353 के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया गया था.
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि मुरादाबाद में जांच के लिए पुलिस द्वारा वाहन रोके जाने के बाद उन्होंने ट्रैफिक जाम कर दिया था.
अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 13 फरवरी, 2023 को आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला को दो-दो वर्ष की सजा सुनाई और प्रत्येक पर तीन-तीन हजार रुपये का जुर्माना लगाया। बाद में मुचलके पर उन्हें जमानत दे दी गई थी.
हालांकि, दोषी ठहराए जाने और सजा सुनाए जाने के दो दिन बाद 15 फरवरी, 2023 को रामपुर की स्वार सीट से सपा विधायक अब्दुल्ला आजम खान को उत्तर प्रदेश विधानसभा से अयोगय घोषित कर दिया गया.
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