
केंद्र सरकार ने देश में बढ़ते हवाई किराए पर अंकुश लगाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) पर वैट कम करने के लिए सभी राज्यों को पत्र लिखा है. यह कदम तब सामने आया जब लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान हवाई टिकटों की कीमतों पर सवाल उठे. नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू ने सदन में बताया कि हवाई किराए का 45 प्रतिशत हिस्सा एटीएफ की लागत से प्रभावित होता है.
फ्यूल पर 29 फीसदी तक वैट लगा रहे राज्य
उन्होंने खुलासा किया कि कुछ राज्य इस ईंधन पर 29 प्रतिशत तक वैट लगा रहे हैं, जिसका सीधा असर एयरलाइंस के परिचालन और यात्रियों के किराए पर पड़ रहा है. मंत्री ने बताया कि जहां कुछ राज्यों ने एटीएफ पर वैट को घटाकर पांच प्रतिशत से भी कम कर दिया है, वहीं तमिलनाडु जैसे राज्य अभी भी 29 प्रतिशत वैट वसूल रहे हैं, जो देश में सबसे अधिक है. इस असमानता के चलते हवाई यात्रा महंगी हो रही है.
मंत्री ने बताई हवाई सफर के महंगा होने की वजह
नायडू ने कहा, "हवाई किराया मांग पर आधारित और गतिशील होता है. सरकार टिकटों की कीमतें तय नहीं करती, लेकिन एटीएफ पर ऊंचा वैट किराए में बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण है." उन्होंने आगे बताया कि केंद्र ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों से संपर्क कर एटीएफ पर वैट कम करने का आग्रह किया है. उनका मानना है कि अगर राज्य सरकारें इस दिशा में सहयोग करें, तो हवाई किराए को यात्रियों की पहुंच में लाया जा सकता है.
किराया सिर्फ वैट से ही प्रभावित नहीं होता
हालांकि, मंत्री ने यह भी साफ किया कि किराया सिर्फ वैट से ही प्रभावित नहीं होता. ऑनलाइन बुकिंग प्लेटफॉर्म और मांग-आपूर्ति का खेल भी इसमें अहम भूमिका निभाते हैं. नायडू ने यह भी जोड़ा कि नागरिक उड्डयन निदेशालय (डीजीसीए) के पास एक टैरिफ निगरानी इकाई है, जो हवाई किराए पर नजर रखती है. सरकार का लक्ष्य न केवल वैट में कमी लाना है, बल्कि विमानन क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना भी है, ताकि किराए को किफायती बनाया जा सके.
यह कदम हवाई यात्रा को आम लोगों के लिए सुलभ बनाने की दिशा में एक सकारात्मक पहल माना जा रहा है. अब गेंद राज्यों के पाले में है कि वे इस अपील पर कितनी जल्दी और प्रभावी ढंग से अमल करते हैं.
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