विज्ञापन
Story ProgressBack

पहले हेमंत को जेल, अब JMM कुनबे में टूट : झारखंड की 14 सीटों पर 'INDIA' की कितनी बड़ी चुनौती

झारखंड की राजनीति में चर्चा यह भी है कि सीता सोरेन के बाद कांग्रेस और जेएमएम के कई और विधायक भी पाला बदल सकते हैं. अगर ऐसी कोई राजनीतिक हलचल झारखंड में होती है तो चंपाई सोरेन सरकार पर भी खतरा बढ़ सकता है. हेमंत सोरेन के जेल जाने और शिबू सोरेन के उम्र बढ़ने के कारण जेएमएम के पास किसी एक सर्वमान्य नेता की कमी देखी जा रही है. 

Read Time: 6 mins
पहले हेमंत को जेल, अब JMM कुनबे में टूट : झारखंड की 14 सीटों पर 'INDIA' की कितनी बड़ी चुनौती
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha elections) की तारीख का ऐलान कर दिया गया है. एक-एक सीट को लेकर रणनीति बनायी जा रही है. इस बीच बीजेपी अपने मिशन 370 को लेकर देश भर में कई राजनीतिक दलों के नेताओं को अपने पाले में करने में लगी है. इसी कड़ी में झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (Jharkhand Mukti Morcha) को बड़ा झटका लगा है. पार्टी महासचिव और हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन (Sita Soren) ने बीजेपी का दामन थाम लिया है.

सीता सोरेन के जेएमएम छोड़ने का असर इंडिया गठबंधन के लोकसभा चुनाव को लेकर जारी तैयारी पर पड़ने की पूरी संभावना जतायी जा रही है. इंडिया गठबंधन को पिछले एक महीने में यह दूसरा झटका है. इससे पहले कांग्रेस सांसद और पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा बीजेपी में शामिल हो गयी थी. जेएमएम के एक अन्य विधायक लोबिन हेम्ब्रम भी लंबे समय से पार्टी से नाराज चल रहे हैं. 

जेएमएम के गढ़ में बीजेपी ने लगायी सेंध
झारखंड मुक्ति मोर्चा में स्थापना के बाद से कई बार टूट हुए हैं लेकिन शिबू सोरेन के परिवार में यह पहली टूट है. सीता सोरेन दुमका जिले के जामा विधानसभा सीट से लगातार तीसरी बार विधायक बनकर आयी थी. इससे पहले उनके दिवंगत पति दुर्गा सोरेन कई दफे इस सीट से विधायक बने थे. दुर्गा सोरेन से पहले इस सीट पर साल 1985 में शिबू सोरेन भी एक बार विधायक बने थे. झारखंड की 14 सीटों में से पिछले चुनाव में एनडीए को 12 सीटों पर जीत मिली थी. एक सीट जेएमएम और एक सीट कांग्रेस के खाते में गयी थी. इस चुनाव में बीजेपी ने सभी 14 सीटों पर जीत का लक्ष्य रखा है. जानकार सीता सोरेन के पार्टी छोड़ने को जेएमएम के लिए पूरे संथाल परगना में एक बड़े झटके के तौर पर देख रहे हैं. 

जेएमएम की बढ़ती जा रही है चुनौती
2019 के लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद जेएमएम ने 2020 के लोकसभा चुनाव में शानदार वापसी की थी. हालांकि पिछले कुछ समय से जेएमएम की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. पहले केंद्रीय जांच एजेंसियों के द्वारा हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया गया.  जिसके बाद अब सोरेन परिवार में बगावत की शुरुआत हो गयी है. झारखंड में इंडिया गठबंधन में अब तक आधिकारित तौर पर सीट बंटवारे पर भी बात फाइनल नहीं हुई है.

झारखंड की राजनीति में चर्चा यह भी है कि सीता सोरेन के बाद कांग्रेस और जेएमएम के कई और विधायक भी पाला बदल सकते हैं. अगर ऐसी कोई राजनीतिक हलचल झारखंड में होती है तो चंपाई सोरेन सरकार पर भी खतरा बढ़ सकता है. हेमंत सोरेन के जेल जाने और शिबू सोरेन के उम्र बढ़ने के कारण जेएमएम के पास किसी एक सर्वमान्य नेता की कमी देखी जा रही है. 

झारखंड में विधानसभा चुनाव से अलग रहा है लोकसभा चुनाव का गणित
अविभाजित बिहार के समय से ही झारखंड क्षेत्र में लोकसभा चुनाव का गणित विधानसभा चुनाव के गणित से पूरी तरह से अलग रहा है. साल 2004 के चुनाव को अगर छोड़ दिया जाए तो बीजेपी को हमेशा से इस क्षेत्र में आधे से अधिक सीटों पर सफलता मिलती रही है. पिछले विधानसभा चुनाव में जहां बीजेपी को मात्र 33 प्रतिशत वोट मिले थे वहीं अगर पिछले लोकसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी का वोट प्रतिशत 51.6 था.

लोकसभा चुनाव में कई ऐसी सीटें थी जहां पर जीत हार का अंतर 3 और 4 लाख मतों से भी अधिक का था. यह आंकड़ें बताते हैं कि झारखंड में बीजेपी को मात देने के लिए विपक्ष को कड़ी मेहनत करनी होगी. ऐसे में एक के बाद एक नेताओं का इंडिया गठबंधन से अलग होने का असर विपक्ष की चुनावी तैयारी पर पड़ सकता है.  

सीता सोरेन के पाला बदलने का दुमका लोकसभा सीट पर पड़ेगा असर
दुमका सीट को जेएमएम का परंपरागत सीट माना जाता रहा है. साल 1980 से 2-3 चुनावों को छोड़कर हर बार शिबू सोरेन इस सीट पर चुनाव जीतते रहे हैं. हालांकि पिछले चुनाव में बीजेपी के सुनील सोरेन ने चुनाव में हरा दिया था. सीता सोरेन का विधानसभा क्षेत्र जामा इसी लोकसभा के अंतर्गत आता है. ऐसे में उनके पाला बदलने का व्यापक असर जेएमएम की लोकसभा चुनाव की रणनीति पर देखने को मिलेगी. इतना ही नहीं दुमका के बगल वाले गोड्डा और राजमहल लोकसभा सीट पर सीता सोरेन का प्रभाव देखने को मिल सकता है. सीता सोरेन के पति दुर्गा सोरेन गोड्डा सीट से एक बार चुनाव लड़ भी चुके थे. 

Latest and Breaking News on NDTV

शिबू सोरेन ने कई बार की थी वापसी,  क्या हेमंत कर पाएंगे? 
झारखंड की राजनीति में यह बड़ा सवाल है कि क्या इन तमाम समस्याओं और चुनौतियों के बीच क्या हेमंत सोरेन वापसी कर पाएंगे? जेएमएम की राजनीति को करीब से जानने वालों का मानना रहा है कि शिबू सोरेन तमाम चुनौतियों के बाद शानदार वापसी करते रहे हैं. 1977 में संसदीय राजनीति में एंट्री के बाद से शिबू सोरेन ने कई बार ऐसे मौकों पर वापसी की जब विरोधी उन्हें चूका हुआ मान चुके थे. संसद रिश्वत कांड, शशि नाथ झा हत्याकांड के केस बाद भी शिबू सोरेन ने न सिर्फ दुमका सीट पर वापसी की थी बल्कि राज्य में भी अपनी पार्टी की सरकार बनायी थी. 

Latest and Breaking News on NDTV

जेएमएम के पुराने कार्यकर्ताओं में सीता सोरेन की रही है पकड़
सीता सोरेन के पति दुर्गा सोरेन लंबे समय तक जेएमएम के संगठन को देखते रहे थे. पिछले कुछ सालों में सीता सोरेन की को दोनों बेटियों ने 'दुर्गा सोरेन सेना' का गठन कर उनके पुराने समर्थकों को एकजुट किया था. माना जा रहा है कि पूरे राज्य में दुर्गा सोरेन के साथ साहनभूति रखने वाले उनके समर्थकों के विरोध का असर इंडिया गठबंधन को देखने को मिल सकता है. 

Latest and Breaking News on NDTV

ये भी पढ़े-:

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
तीन चक्र की सुरक्षा, छूना भी मना, दलित ऐंगल... बाबा के 10 रहस्य
पहले हेमंत को जेल, अब JMM कुनबे में टूट : झारखंड की 14 सीटों पर 'INDIA' की कितनी बड़ी चुनौती
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का क्या जवाब देंगे पीएम नरेंद्र मोदी, एनडीए सांसदों की बैठक में दिए संकेत
Next Article
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का क्या जवाब देंगे पीएम नरेंद्र मोदी, एनडीए सांसदों की बैठक में दिए संकेत
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com