संदेशखाली मामले में पश्चिम बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. सीबीआई ही मामले की जांच करती रहेगी. हाई कोर्ट के आदेश पर फिलहाल कोई रोक नहीं लगाई गई है. सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य सरकार किसी व्यक्ति के हित की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख कैसे कर सकती है? अब गर्मियों की छुट्टियों के बाद अदालत में इस मामले की सुनवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने आज कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार की उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें महिलाओं के खिलाफ अपराध और संदेशखाली में भूमि कब्जा करने के आरोपों की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने का निर्देश दिया गया है. अप्रैल के दूसरे सप्ताह में पारित एक आदेश में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सीबीआई को उस उद्देश्य के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाकर मामले में जांच शुरू करने का निर्देश दिया था.
हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने जांच एजेंसी से उसे एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा, जिसके बाद अदालत आगे की कार्रवाई पर फैसला करना था. इसने सीबीआई को एक अलग पोर्टल और ईमेल खोलने का निर्देश दिया, जिस पर संदेशखाली के पीड़ित भूमि हड़पने और जबरन वसूली से संबंधित अपनी शिकायतें दर्ज करा सकें.
अदालत ने केंद्रीय एजेंसी को शिकायतकर्ताओं की पहचान के संबंध में पूर्ण गोपनीयता बनाए रखने का भी आदेश दिया था. इससे पहले मार्च में, सुप्रीम कोर्ट ने 5 जनवरी को उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में ईडी और सीएपीएफ टीमों पर हमले की सीबीआई जांच को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी थी.
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