
सबरीमाला मंदिर (फाइल फोटो)
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सबरीमाला मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई.
एमिकस ने दलितों के साथ छुआछूत की तरह बताया.
केरल सरकार पाबंदी हटाने के पक्ष में.
सबरीमाला मंदिर मामले में CJI की टिप्पणी, अगर पुरुषों को प्रवेश की अनुमति है, तो महिलाओं को भी मिलनी चाहिए
केरल त्रावणकोर देवासम बोर्ड की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि भारत के शायद इस इकलौते मन्दिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी का मामला भेदभाव भरा हो सकता है. लेकिन इसमें संवैधानिक पहलू भी हैं. दुनिया भर में अयप्पा के हज़ारों मन्दिर हैं पर वहां कोई पाबन्दी नहीं है. लेकिन सबरीमला के स्वामी अय्यपा ब्रह्मचारी देव हैं. वहीं वकील नरीमन ने कहा कि अगर कोई महिला को 45 साल में मेनोपॉज हो जाय या किसी लड़की को 9 साल में मासिक धर्म शुरू हो जाय तो आप क्या करेंगे?
इसके जवाब में सिंघवी ने कहा कि आप ठीक कह रहे हैं. लेकिन हम परम्परा की बात कर रहे हैं, जिसमें ये स्टैंडर्ड आयु सीमा तय की हुई है. बता दें कि बुधवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने टिप्पणी की थी कि देश में प्राइवेट मंदिर का कोई सिद्धांत नहीं है, ये सार्वजनिक संपत्ति है. सावर्जनिक संपत्ति में अगर पुरुषों को प्रवेश की इजाजत है तो फिर महिला को भी प्रवेश की इजाजत मिलनी चाहिए. मंदिर खुलता है तो उसमें कोई भी जा सकता है.
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केरल सरकार की ओर से दलील दी गई कि विज्ञान की तरक्की के बावजूद 50-55 साल से ज़्यादा जीवन होगा ही, इसकी कोई गारंटी नहीं ले या दे सकता. बहुत सी महिलाएं दर्शन करना चाहती हैं. केरल सरकार उनकी भावनाएं समझती हैं. महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी की जिस परम्परा को सदियों से माना जा रहा है वो आज के हिसाब से अपराध है.
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