सुप्रीम कोर्ट में एक लड़की के 29 हफ्ते के गर्भ को गिराने की याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एएसजी ऐश्वर्या भाटी से कहा कि वो पीड़ित किशोरी से बात कर उसे सलाह दें. कोर्ट अब इस मामले पर अब 2 फरवरी को सुनवाई करेगा.
AIIMS के विशेषज्ञों की रिपोर्ट के मुताबिक गर्भावस्था की इस स्थिति में गर्भपात दोनों की सेहत के लिए उचित नहीं होगा. साथ ही बच्चे के जीवित होने के ज्यादा आसार हैं. जस्टिस जेबी पारदीवाला ने पूछा कि क्या पीड़ित किशोरी को रिपोर्ट के बारे में जानकारी है? इस पर याचिकाकर्ता और पीड़ित लड़की के परिजनों ने कहा लड़की अभी परीक्षा दे रही है. अभी 28 जनवरी तक हैं. लिहाजा अब कोर्ट ने दो फरवरी गुरुवार को इस मामले की सुनवाई की तारीख तय की है.
इससे पहले 20 वर्षीय अविवाहित बीटेक छात्रा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एम्स डॉक्टरों की टीम गठित करने के निर्देश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि क्या 29 सप्ताह बाद सुरक्षित तरह से गर्भ गिराया जा सकता है. मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एम्स निदेशक को 20 जनवरी को डॉक्टरों की टीम गठित कर जांच के आदेश दिए और महिला का चिकित्सकीय परीक्षण कर रिपोर्ट जमा करने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल सितंबर में गर्भपात मामले में बड़ा फैसला सुनाया था. कोर्ट ने कहा था कि महिला चाहें विवाहित हो या अविवाहित सभी को गर्भपात का अधिकार है. आदेश के बाद 24 सप्ताह तक सभी महिलाओं को गर्भपात कराने की इजाजत मिल गई.
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (MTP) एक्ट के तहत विवाहित महिलाओं की विशेष श्रेणी, जिसमें रेप पीड़िता व दिव्यांग और नाबालिग जैसी अन्य संवेदनशील महिलाओं के लिए गर्भपात की ऊपरी समय सीमा 24 सप्ताह थी, जबकि अविवाहित महिलाओं के लिए यही समय सीमा 20 सप्ताह थी. कोर्ट ने इसी अंतर को खत्म करने का आदेश दिया था.
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