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This Article is From Nov 03, 2020

हाथरस मामला : अदालत ने जिलाधिकारी पर सरकार की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं होने पर चिंता जाहिर की

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने सोमवार को हाथरस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए जांच की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार के खिलाफ सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किए जाने पर चिंता जाहिर की.

हाथरस मामला : अदालत ने जिलाधिकारी पर सरकार की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं होने पर चिंता जाहिर की
अदालत ने सीबीआई से इस मामले में अपनी जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए भी कहा है
लखनऊ:

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने सोमवार को हाथरस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए जांच की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार के खिलाफ सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किए जाने पर चिंता जाहिर की. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 25 नवंबर नियत करते हुए उस दिन सीबीआई से इस मामले में अपनी जांच की स्थिति रिपोर्ट पेश करने को भी कहा है. हाथरस मामले कि पीड़िता का कथित रूप से जबरन अंतिम संस्कार करने के मुद्दे का स्वत: संज्ञान लेने वाली न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति राजन रॉय की पीठ ने इस मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.

पीठ ने मामले की निष्पक्ष जांच के लिए हाथरस के जिला अधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार के खिलाफ सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किए जाने पर चिंता व्यक्त की. हालांकि राज्य सरकार ने अपने वकील के माध्यम से अदालत को भरोसा दिलाया कि वह इस सिलसिले में 25 नवंबर तक कोई फैसला लेगी. अदालत ने बंद कमरे में हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से पूछा कि उसने पूर्व में दिए गए आदेश पर हाथरस के जिला अधिकारी के बारे में क्या निर्णय लिया. इस पर सरकार के वकील ने यह कहते हुए जिलाधिकारी का बचाव किया कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया था.

जहां तक हाथरस के पुलिस अधीक्षक के निलंबन का सवाल है तो उनके खिलाफ यह कार्यवाही कथित सामूहिक बलात्कार मामले में समुचित कार्रवाई करने में लापरवाही के आरोप में की गई थी, ना कि अंतिम संस्कार के मामले को लेकर. इसके पूर्व, राज्य सरकार, जिलाधिकारी लक्षकार और हाथरस के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर ने अदालत में अपने-अपने हलफनामे दाखिल किए. अपर महाधिवक्ता ने वीके साही ने अदालत से कहा कि राज्य सरकार के हलफनामे में हाथरस जैसी स्थिति में अंत्येष्टि से संबंधित दिशानिर्देशों का एक मसविदा शामिल किया गया है.

वहीं, जिलाधिकारी और तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने अपने पुराने रुख को दोहराते हुए कहा कि तात्कालिक परिस्थितियों के मद्देनजर मृतका का अंतिम संस्कार किया गया था और दाह संस्कार में केरोसिन का इस्तेमााल नहीं हुआ था. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत में अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार, गृह सचिव तरूण गाबा और हाथरस के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर मौजूद थे. सुनवाई के दौरान अदालत ने सीबीआई के वकील अनुराग सिंह से मामले की अगली सुनवाई पर एजेंसी द्वारा की जा रही जांच की स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा. हाथरस मामले में गिरफ्तार चार अभियुक्तों के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने अदालत से गुजारिश की कि वह अपने आदेश में ऐसी कोई टिप्पणी न करें जिससे जांच प्रभावित होने की आशंका पैदा हो. इस बीच, पीड़िता की वकील सीमा कुशवाहा ने मामले की जांच को उत्तर प्रदेश के बाहर स्थानांतरित करने की मांग दोहराई.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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