हरियाणा में गहराया राजनीतिक संकट
नई दिल्ली:
हरियाणा में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं. तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद विधानसभा में बीजेपी का नंबर गेम बिगड़ सकता है. हालांकि, सीएम सिंह के अनुसार बीजेपी के पास अभी भी पूर्ण बहुमत है. आइये जानतें हैं कि हरियाणा में कब क्या क्या हुआ...
- जननायक जनता पार्टी (JJP) नेता और हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने बुधवार को नायब सैनी सरकार को गिराने के लिए कांग्रेस को खुला ऑफर दिया है.
- दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि अगर अल्पमत में आई हरियाणा की सरकार को अगर गिराया जाता है, तो वह बाहर से समर्थन करेंगे. हम चाहते हैं कि सूबे में कोई ना कोई सरकार सत्ता में जरूर रहे और चुनाव समय पर ही हों.
- हरियाणा में सात मई से ही सियासी हलचल तेज है. हरियाणा की मौजूदा सरकार से नाराजगी के चलते निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान (दादरी), रणधीर सिंह गोलन (पुंडरी) और धर्मपाल गोंदर (नीलोखेड़ी) ने अपना समर्थन वापस ले लिया है.
- हरियाणा विधानसभा में अगर सीटों का गणित समझें तो सत्ताधारी दल के पास 45 विधायक होने जरूरी हैं. फिलहाल नायब सिंह सैनी सरकार के पास 43 विधायक थे. जिसमें से अब 3 विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया है, जिसके बाद उनके पास अब 40 विधायक रह गए हैं.
- नायब सिंह सैनी ने हरियाणा के नए मुख्यमंत्री के तौर पर 12 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.
- मनोहर लाल खट्टर के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद जाटों के दबदबे वाले हरियाणा में बीजेपी ने अपने ओबीसी चेहरे नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया था.
- मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफा देने के बाद ही सूबे में बीते चार सालों से चला आ रहा है बीजेपी और जेजेपी के बीच का गठबंधन खत्म हो गया था.
- दुष्यंत चौटाला ने गठबंधन टूटने के बाद कहा था कि जननायक जनता पार्टी (JJP) के किसी भी सदस्य ने पार्टी नहीं छोड़ी है. उन्होंने संकेत दिया कि BJP-JJP के बीच दरार लोकसभा सीट शेयरिंग के समझौते पर असहमति का नतीजा है.
- चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री को बदलने का फैसला बीजेपी का सोची समझी रणनीति मानी जा रही थी.
- हरियाणा से पहले बीजेपी ऐसा गुजरात और दूसरे राज्यों में भी कर चुकी थी. गुजरात में विजय रूपाणी को पद से हटाने के बाद भूपेंद्र पटेल को नया सीएम बनाया गया था.