
- HAL को तेजस मार्क 1ए लड़ाकू विमान के लिए तीसरा अमेरिकी इंजन प्राप्त हुआ है, चौथा भी जल्द मिलेगा
- अमेरिकी इंजन की आपूर्ति में देरी के कारण एचएएल तेजस मार्क 1ए विमान वायुसेना को समय पर सौंप नहीं पाया था
- एचएएल का दावा है कि अगले साल मार्च तक 12 तेजस मार्क 1ए लड़ाकू विमान वायुसेना को सौंप दिए जाएंगे
हिन्दुस्तान एरोनेटिक्स लिमिटेड को तेजस मार्क 1 ए लड़ाकू विमान के लिए अब तीसरा अमेरिकी इंजन मिल गया है. यह इंजन भारतीय वायुसेना को एचएएल द्वारा मिलने वाले तीसरे मार्क 1ए एयरक्राफ्ट के लिये मिला है. चौथा इंजन भी इस महीने के अंत तक एचएएल को मिलने की उम्मीद है. इसी इंजन के मिलने देरी की वजह से एचएएल वायुसेना को समय पर तेजस मार्क 1 ए नहीं दे पाई जिसको लेकर वायुसेना प्रमुख सार्वजनिक तौर पर एचएएल की आलोचना भी कर चुके हैं. वायुसेना को यह विमान दो साल पहले ही मिल जाने चाहिए थे पर अमेरिकी इंजन समय पर ना मिलने की वजह से इसकी आपूर्ति में देरी हुई.
एचएएल के सूत्रों का कहना है कि अगले महीने दो तेजस मार्क 1ए भारतीय वायुसेना को मिल जाएंगे. इतना ही नही एचएएल का कहना है कि दस तेजस मार्क 1 बनकर तैयार हैं जैसे ही अमेरिका से इंजन की सप्लाई होगी वैसे ही यह विमान पूरी तरह तैयार हो जाएगा. अगले साल मार्च तक एचएएल को 12 अमेरिकी इंजन मिल जायेंगे. इसी आधार पर एचएएल का दावा है कि वह भारतीय वायुसेना को अगले साल मार्च तक 12 तेजस मार्क 1ए लड़ाकू विमान सौंप देगी. फिलहाल एचएएल सूत्रों ने बताया कि तेजस मार्क 1ए के फायरिंग परीक्षण हो रहे हैं.
तेजस से वीवीआर यानी बियॉन्ड विजुवल रेंज मिसाइल अस्त्र और शॉर्ट रेंज मिसाइल ASRAM और लेजर गाइडेड बॉम्ब के फायरिंग टेस्ट भी होने जा रहे हैं. ये टेस्ट सफल होने के बाद ही अंततः तेजस मार्क 1ए विमान वायुसेना को दिए जाएंगे. अब उम्मीद करनी चाहिए कि एचएएल को बाकी एफ404-आईएन 20 इंजन मिलने में सालों का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा. दरअसल लड़ाकू विमान के एयरफ्रेम में इंजन लगाने का काम सबसे अंत में किया जाता है. विमान में इंजन लग जाने के बाद उसे कई तरह के ट्रायल से गुजरना पड़ता है. तब जाकर उसे वायुसेना में शामिल होने की फाइनल हरी झंडी मिलती है.
बता दें कि अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक के साथ अगस्त 2021 में 5,375 करोड़ की लागत से 99 एफ404-आईएन 20 इंजन को लेकर समझौता हुआ था. पहला इंजन मार्च 2025 में और दूसरा इंजन जुलाई 2025 में एचएएल को सौंपा गया है और तीसरा इंजन अब जाकर मिला है. अमेरिकी कंपनी के समय पर डिलीवरी नहीं किये जाने पर रक्षा मंत्रालय से लेकर वायुसेना भी नाराजगी जता चुकी है. खास बात यह है कि देश में बने लड़ाकू विमान होने से कोई भी बदलाव अपने जरुरत के मुताबिक किया जा सकता है. इसके लिये किसी और से अनुमति लेने की जरुरत नहीं होती है. साथ ही स्वदेशी उद्योग को फायदा होता है सो अलग. ग़ौरतलब है कि हाल ही में सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा था कि अगला युद्ध देश में बने हथियारों के दम ही जीता सकता है. यही वजह है अब सरकार की भरसक कोशिश है रक्षा क्षेत्र में देश की विदेशी हथियारों पर निर्भरता ना के बराबर हो.
तेजस मार्क 1 ए देश में बनाये गये लाइट कॉम्बेट एयरकाफ्ट का एडवांस वर्जन है. यह एक चौथी पीढ़ी का मल्टी रोल लड़ाकू विमान है. जो काफी हल्का और ताकतवर कॉम्बेट विमान है. तेजस आठ से नौ टन भार के हथियार लेकर जा सकता है. एक साथ कई टारगेट को हिट कर सकता है. यह विमान इलेक्ट्रानिक राडार, दृश्य सीमा से परे यानी वियॉन्ड विज़ुअल रेंज मिसाइल, इलेक्ट्रानिक वॉरफेयर सूट और हवा से हवा में ईंधन भरने की क्षमताओं से लैस है. पाकिस्तान और चीन के किलाफ टू फ्रंट वॉर की संभावनाओं को देखते हुए वायुसेना को तेजस मार्क 1ए का जल्द आना इन दोनों पड़ोसियों की नींद उड़ाने के लिये काफी है. तेजस दुनिया में अपनी श्रेणी का सबसे बेहतरीन एयरकाफ्ट है जिस पर दुनिया के कई देशों की निगाहें लगी हैं.
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