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This Article is From May 31, 2025

HAL नहीं छीन रहा, वे क्यों परेशान हैं? आंध्र-कर्नाटक विवाद पर चंद्रबाबू नायडू

सीएम चंद्रबाबू नायडू ने कहा, 'हम सिविल और डिफेंस, दोनों तरह के एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज की मांग कर रहे हैं. यही भविष्य है. हमको ज्यादा से ज्यादा उड़ानों की जरूरत है. हम इंपोर्ट कर रहे हैं.'

HAL नहीं छीन रहा, वे क्यों परेशान हैं? आंध्र-कर्नाटक विवाद पर चंद्रबाबू नायडू
HAL को लेकर आंध्र-कर्नाटक विवाद पर चंद्रबाबू नायडू.
नई दिल्ली:

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने कर्नाटक के साथ हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड विवाद (Andhara-Karnataka HAL Row) के बीच अपने रुख को साफ किया. एनडीटीवी को दिए एक खास इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "मैं HAL को किसी से नहीं छीन रहा हूं, मैं रक्षा और एयरोस्पेस समेत एक प्रौद्योगिकी केंद्र बनाना चाहता हूं.'

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क्या है आंध्र-कर्नाटक HAL विवाद?

सीएम चंद्रबाबू नायडू ने हाल ही में आंध्र प्रदेश में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की एक नई ग्रीनफील्ड फेसिलिटी स्थापित करने का प्रस्ताव रखा था. इस पर कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने नाराजगी जताते हुए कहा कि बेंगलुरु और तुमकुरु में एचएएल प्रतिष्ठान, जहां लड़ाकू जेट, हेलीकॉप्टर और एलसीए (हल्के लड़ाकू विमान) तेजस जैसे विमान बनाए जाते हैं, उन्हें कहीं और स्थानांतरित नहीं किया जा सकता. 

HAL को किसी से नहीं छीन रहे

इस विवाद के बारे में पूछे जाने पर सीएम चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि वह HAL को किसी से नहीं छीन रहे. वह तो रायलसीमा में एयरोस्पेस, रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, ड्रोन और सैटेलाइट पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक प्रौद्योगिकी केंद्र बनाना चाहते हैं. आंध्र प्रदेश के भीतर वह इसी पर काम कर रहे हैं. कर्नाटक को इस पर परेशान क्यों होना चाहिए.

ज्यादा उड़ानों की जरूरत

सीएम नायडू ने कहा कि वह सिविल और डिफेंस, दोनों तरह के एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज की मांग कर रहे हैं. यही भविष्य है. हमको ज्यादा से ज्यादा उड़ानों की जरूरत है. हम इंपोर्ट कर रहे हैं. दूसरी परेशानी ये है कि सिर्फ दो -तीन कंपनी ही इनको बना रही हैं. से कैसे हैंडल किया जाए, ये सोचा जा रहा है. एयरक्राफ्ट (निर्माण) और हर चीज के साथ भारत कल सबसे बड़ा देश होगा. इसलिए, विकास की बहुत ज्यादा गुंजाइश है. 

उन्होंने कहा यहां तक कि भारत सरकार ने भी प्राइवेट सेक्टर्स के लिए सैटेलाइट बनाने की घोषणा की है, कॉम्पटिशन तगड़ा है. वह कमर्शियल या हर तरह से हो सकता है. पहले सिर्फ इसरो ही सैटेलाइट लॉन्च करता था. अब कोई भी कर सकता है.


 

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