गुवाहाटी:
गुवाहाटी में एक लड़की के साथ हुई बदसलूकी से देश भर में लोग गुस्से में हैं। असम सरकार से केंद्र जवाब तलब करने की तैयारी में है। सोमवार को हुई इस घटना के बाद भी पुलिस अभी तक सिर्फ चार आरोपियों को ही पकड़ पाई है।
"पुलिस कोई एटीएम मशीन नहीं", यह दलील देने वाले असम के डीजीपी ने कहा है कि वह फूंक-फूंक कर पांव आगे बढ़ा रहे हैं। वहीं असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने इस पूरी घटना की निंदा करते हुए कहा है कि यह एक बड़ा अपराध है और बेहद शर्म की बात है। तरुण गोगोई ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
इस पूरे मामले की तस्वीरें सामने आने के बाद ये सवाल भी उठने लगे हैं कि कहीं जानबूझकर तो ऐसा नहीं किया गया या फिर कैमरामैन ने फोटो लेने की बजाय मदद की होती, तो बेहतर होता। लेकिन इतना तय है कि आरोपियों को इंसाफ के कठघरे तक पहुंचाने में इन्हीं तस्वीरों का अहम रोल है।
एक सवाल यह भी है कि अगर बम धमाका होता है, तो मीडिया की भूमिका क्या होनी चाहिए, राहत और बचाव का काम करना या फिर उसकी तस्वीरें आम लोगों तक पहुंचाना। लेकिन तस्वीरों को दुनिया के सामने लाने वाले चैनल न्यूजलाइव का कहना है कि कैमरामैन की सूझबूझ की वजह से ही आरोपियों को इंसाफ के कठघरे में खड़ा करना मुमकिन हुआ।
दरअसल घटना के वक्त किसी ने चैनल के दफ्तर में फोन कर जानकारी दी, जो घटनास्थल के पास ही था। उस वक्त रिपोर्टर नहीं था, तो सिर्फ कैमरामैन को ही भेज दिया गया। कैमरामैन ने पहले तो अपनी ओर से बचाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन जब पुलिस वाले लाचार दिखे, तो उस अकेले शख्स की भला क्या औकात थी।
लिहाजा कैमरामैन उन लोगों की तस्वीरें उतारने में लग गया, जो लड़की से बदसलूकी कर रहे थे, ताकि बाद में ये तस्वीरें तफ्तीश और आरोपियों की पहचान में काम आ सके। लड़की को वक्त पर मदद नहीं पहुचाने का अफसोस कैमरामैन को भी है, लेकिन बाद की तमाम कार्रवाई में इन तस्वीरों का ही रोल अहम रहा, इसमें किसी को शक नहीं होना चाहिए।
"पुलिस कोई एटीएम मशीन नहीं", यह दलील देने वाले असम के डीजीपी ने कहा है कि वह फूंक-फूंक कर पांव आगे बढ़ा रहे हैं। वहीं असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने इस पूरी घटना की निंदा करते हुए कहा है कि यह एक बड़ा अपराध है और बेहद शर्म की बात है। तरुण गोगोई ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
इस पूरे मामले की तस्वीरें सामने आने के बाद ये सवाल भी उठने लगे हैं कि कहीं जानबूझकर तो ऐसा नहीं किया गया या फिर कैमरामैन ने फोटो लेने की बजाय मदद की होती, तो बेहतर होता। लेकिन इतना तय है कि आरोपियों को इंसाफ के कठघरे तक पहुंचाने में इन्हीं तस्वीरों का अहम रोल है।
एक सवाल यह भी है कि अगर बम धमाका होता है, तो मीडिया की भूमिका क्या होनी चाहिए, राहत और बचाव का काम करना या फिर उसकी तस्वीरें आम लोगों तक पहुंचाना। लेकिन तस्वीरों को दुनिया के सामने लाने वाले चैनल न्यूजलाइव का कहना है कि कैमरामैन की सूझबूझ की वजह से ही आरोपियों को इंसाफ के कठघरे में खड़ा करना मुमकिन हुआ।
दरअसल घटना के वक्त किसी ने चैनल के दफ्तर में फोन कर जानकारी दी, जो घटनास्थल के पास ही था। उस वक्त रिपोर्टर नहीं था, तो सिर्फ कैमरामैन को ही भेज दिया गया। कैमरामैन ने पहले तो अपनी ओर से बचाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन जब पुलिस वाले लाचार दिखे, तो उस अकेले शख्स की भला क्या औकात थी।
लिहाजा कैमरामैन उन लोगों की तस्वीरें उतारने में लग गया, जो लड़की से बदसलूकी कर रहे थे, ताकि बाद में ये तस्वीरें तफ्तीश और आरोपियों की पहचान में काम आ सके। लड़की को वक्त पर मदद नहीं पहुचाने का अफसोस कैमरामैन को भी है, लेकिन बाद की तमाम कार्रवाई में इन तस्वीरों का ही रोल अहम रहा, इसमें किसी को शक नहीं होना चाहिए।
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Guwahati Molestation, Mob Molests Women, Molestation, गुवाहाटी में लड़की से बदसलूकी, लड़की से छेड़छाड़, गुवाहाटी का शर्मनाक कांड