इन दिनों हरियाणा के कई जिले हिंसा से प्रभावित हैं. गुरुग्राम में मंगलवार को हुई हिंसा के दौरान भीड़ ने एक मस्जिद को आग लगा दी. इस घटना में वहां के इमाम की मौत हो गई है. अब इस मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है. मिल रही जानकारी के अनुसार भीड़ ने मस्जिद पर हमला करते समय वहां के इमाम को मस्जिद छोड़कर जाने की बात कही थी लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया.
इस घटना को लेकर अब बिहार में अलग-अलग मांगे उठने लगी हैं. बता दें कि गुरुग्राम में जिस इमाम की हत्या हुई है वह बिहार का ही रहने वाला था. और नायब इमाम घटना के अगले दिन अपने परिवार के सदस्यों के साथ बिहार जाने वाले थे. मृतक इमाम मूल रूप से बिहार के सीतामढ़ी के रहने वाले थे. अब मृतक हाफिज साद की मौत के बाद उनके गांव के लोग उनके लिए न्याय की मांग कर रहे हैं.
नायब इमाम के मामा इब्राहिम अख्तर ने बताया कि साद बाबू अपने बड़े भाई शादाब के साथ अगले दिन ट्रेन से बिहार लौटने वाले थे. शादाब ने हमें शिकायत करने के लिए फोन किया था कि उनका छोटा भाई कल सुबह तक मस्जिद छोड़ने के लिए तैयार नहीं है.उन्होंने बताया कि मस्जिद के मुख्य इमाम वहां से बाहर गए हुए थे और वह अगले दिन लौटने वाले थे. साद ने मुख्य इमाम के अनुपस्थित रहने के कारण सुबह की नमाज पढ़ाने के अपने कर्तव्य के निर्वहन को ध्यान में रखकर उनके वापस आने तक परिसर नहीं छोड़ने की बात कही थी.
गौरतलब है कि मंगलवार रात को गुरुग्राम के सेक्टर 70 में कई दुकानों और झोपड़ियों में आग लगा दी गई. अधिकारियों ने पूरे जिले में निषेधाज्ञा लागू कर दी है, जिसमें खुले पेट्रोल या डीजल की बिक्री पर प्रतिबंध भी शामिल है. गुरुग्राम पुलिस ने कहा कि शहर में छिटपुट झड़पें हुई हैं, अभी तक कोई बड़ी घटना नहीं हुई है. पुलिस ने कहा, "आज आगजनी और झड़प की कुछ घटनाएं हुई हैं. लेकिन कोई बड़ी घटना नहीं हुई है."
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