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वो गुमनाम खत... रणजीत सिंह की कहानी, जिनके मर्डर केस से आज बरी हुए गुरमीत राम रहीम

Gurmeet Ram Rahim: डेरा के पूर्व मैनेजर रणजीत सिंह मर्डर केस में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरमीत राम रहीम के साथ अन्‍य 4 लोगों को बरी कर दिया है. हालांकि, गुरमीत राम रहीम दो अन्‍य मामलों में भी दोषी हैं.

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वो गुमनाम खत... रणजीत सिंह की कहानी, जिनके मर्डर केस से आज बरी हुए गुरमीत राम रहीम
राम रहीम फिलहाल, जेल में बंद है...
हरियाणा:

डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. गुरमीत राम रहीम को रणजीत सिंह हत्या के मामले में बरी कर दिया गया है. रणजीत सिंह डेरा के पूर्व प्रबंधक थे, जिनकी हत्‍या कर दी गई थी. इस हत्याकांड के मामले में राम रहीम को उम्रकैद की सजा मिली थी, जिसके खिलाफ राम रहीम ने अपील दाखिल की थी. राम रहीम को पंचकूला स्थित हरियाणा की विशेष सीबीआई कोर्ट ने अक्टूबर 2021 उम्रकैद की सजा में सुनाई थी. 

साल 2002 में यह हत्याकांड हुआ था और बाद में मामला सीबीआई को सौंपा गया था. जानकारी के अनुसार, 22 साल पुराना यह मामला है, जिसमें 19 साल बाद सीबीआई कोर्ट ने डेरा मुखी राम रहीम को दोषी करार दिया था. राम रहीम फिलहाल, जेल में बंद है और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड और दो साध्वियों के दुष्कर्म के मामले में उसे सजा हुई है.

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हमें यकीन था...: राम रहीम के वकील  

गुरमीत राम रहीम के वकील जतिंदर खुराना ने बताया, "...माननीय पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को बदल दिया है और इसमें शामिल सभी पांच लोगों को बरी कर दिया गया है. इसमें गुरमीत राम रहीम के साथ 4 अन्‍य लोगों को आरोपी बनाया गया. लेकिन गुरमीत राम रहीम को न्‍यायपालिका पर पूरा भरोसा था. हम इस फैसले का स्वागत करते हैं."

हत्‍या के मामले की टाइमलाइन 

  • अप्रैल 2002: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को दो महिला शिष्यों (साध्वियों) द्वारा लिखे गए गुमनाम पत्र मिले.
  • मई 2002: हाई कोर्ट ने सिरसा जिला एवं सत्र न्यायाधीश को मामले की जांच करने का निर्देश दिया.
  • जुलाई 2002: पूर्व डेर प्रबंधक, रणजीत सिंह की डेरा कार्यकर्ताओं द्वारा रहस्यमय तरीके से हत्या कर दी गई.
  • सितंबर 2002: उच्च न्यायालय ने मामला सीबीआई को सौंप दिया. 
  • अक्टूबर 2002: सिरसा स्थित पत्रकार राम चंद्र छत्रपति की कथित तौर पर डेरा समर्थकों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई.
  • दिसंबर 2002: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख पर सीबीआई ने बलात्कार, आपराधिक धमकी और एक महिला की गरिमा को नुकसान पहुंचाने के इरादे की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया.
  • नवंबर 2003: उच्च न्यायालय ने संप्रदाय प्रमुख द्वारा साध्वियों के साथ बलात्कार और यौन शोषण की सीबीआई जांच का आदेश दिया.
  • दिसंबर 2003: सीबीआई ने डेरा प्रमुख के खिलाफ बलात्कार मामले की जांच शुरू की.
  • जुलाई 2007: सीबीआई ने बलात्कार मामले में डेरा प्रमुख के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया. 
  • 2009-2010: गुरमीत राम रहीम सिंह द्वारा दुर्व्यवहार की पहली रिपोर्ट दर्ज होने के लगभग सात साल बाद, दो शिकायतकर्ताओं ने अदालत के समक्ष अपने बयान दर्ज कराए.
  • अप्रैल 2011: सीबीआई अदालत अंबाला से पंचकुला ट्रांसफर हो गई.
  • जुलाई 2017: पंचकुला की सीबीआई अदालत ने गुरमीत राम रहीम सिंह के खिलाफ मामले की दैनिक सुनवाई का आदेश दिया.
  • 17 अगस्त, 2017: अभियोजन और बचाव पक्ष ने दलीलें पूरी कीं. सीबीआई जज जगदीप सिंह ने फैसले की तारीख 25 अगस्त तय की.
  • 25 अगस्त, 2017: सीबीआई अदालत ने गुरमीत राम रहीम सिंह को दोषी ठहराया. सजा की मात्रा 28 अगस्त को घोषित की जाएगी.
  • 28 अगस्त, 2017: गुरमीत राम रहीम सिंह को सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश जगदीप सिंह ने प्रत्येक मामले के लिए 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई. कुल कारावास अवधि 20 साल.

वो गुमनाम चिट्ठी... जो बनी कत्‍ल की वजह 

रणजीत सिंह की हत्‍या के मामले में गुरमीत राम रहीम समेत 5 लोगों को सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. ये बात 2002 की है. गुरमीत राम रहीम की लोकप्रियता सातवें आसमान पर थी, रणजीत सिंह के साथ-साथ उसका पूरा परिवार भी डेरे से जुड़ा हुआ था. इन्‍हीं दिनों एक गुमनाम चिट्ठी पंजाब के आला अधिकारियों के पास पहुंची, जिसमें आरोप लगाया गया कि डेरे में एक साध्‍वी का यौन शोषण हुआ है. ऐसे में गुरमीत राम रहीम के खिलाफ एक अलग माहौल बनने लगा. इस दौरान कई लोगों ने गुरमीत राम रहीम के डेरे में आना छोड़ दिया. ऐसे में रणजीत सिंह ने भी मैनेजर की पोस्‍ट छोड़ दी और अपने घर वापस चले गए. 

गुरमीत राम रहीम का शक बना हत्‍या...

रणजीत सिंह के साथ उसका परिवार भी डेरे से अलग हो गया. इधर, गुरमीत राम रहीम यह खोजने में लगे थे कि आखिर वो गुमनाम चिट्ठी किसने भेजी है? गुरमीत राम रहीम का पहला शक रणजीत सिंह पर गया, क्‍योंकि वह डेरे से तुरंत अलग हो गए थे. साथ ही गुरमीत राम रहीम को शक था कि चिट्ठी को रणजीत सिंह ने अपनी बहन से लिखवाई है. इसी दौरान 10 जुलाई 2002 को कुछ अज्ञात लोगों ने रणजीत सिंह की हत्‍या कर दी. इस हत्‍या का शक पुलिस को गुरमीत राम रहीम पर था, जिसे सीबीआई ने बाद में साबित भी कर दिया. इस मामले में गुरमीत राम रहीम को 20 साल की सजा सुनाई गई थी. 

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