जाकिया जाफरी ने कोर्ट में अर्जी दायर कर जानना चाहा है कि सीलबंद लिफाफे में सिर्फ रिपोर्ट है या रिपोर्ट को सपोर्ट करने वाले दस्तावेज भी हैं। इस पर 13 फरवरी को सुनवाई होगी।
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रिपोर्ट में निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के आरोपों को साबित करने के सबूत भी नहीं मिले हैं। भट्ट ने आरोप लगाया था कि नरेंद्र मोदी ने दंगाइयों को खुली छूट देने का आदेश दिया था।
उधर, जाकिया जाफरी ने कोर्ट में एक याचिका दायर कर यह जानना चाहा है कि सीलबंद लिफाफे में सिर्फ रिपोर्ट है या इस रिपोर्ट को सपोर्ट करने वाले दस्तावेज भी हैं। जाकिया के वकील ने बताया कि मेट्रोपोलिटन कोर्ट ने उनकी याचिका मंजूर करते हुए सुनवाई के लिए 13 फरवरी की तारीख तय की है और उस दिन एसआईटी को भी अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया जा रहा है। इस बीच गुलबर्ग सोसायटी दंगा मामले में एक गवाह अंबरीश पटेल ने भी एसआईटी की रिपोर्ट अचानक दाखिल करने पर हैरानी जताते हुए रिपोर्ट की कॉपी मांगी है।
गौरतलब है कि गुजरात दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसायटी को दंगाइयों ने जला दिया था, जिसमें कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की मौत हो गई थी। एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने इस मामले में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मुख्य आरोपी बताते हुए कुल 62 लोगों पर आरोप लगाए थे। अब जकिया जाफरी का कहना है कि वह रिपोर्ट देखने और पढ़ने के बाद ही इस मामले में अपनी राय देंगी।
वहीं नरेंद्र मोदी के धुर विरोधी निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने इस खबर के बाद ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है, 'जुल्म की बात ही क्या, जुल्म की औकात ही क्या, जुल्म बस जुल्म है, आगाज से अंजाम तक…'।
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