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This Article is From Oct 31, 2022

मोरबी ब्रिज हादसा: मरम्मत करने वाली फर्म का था दावा- 100% रेनोवेशन किया, 8-10 साल चलेगा पुल

Gujarat Morbi Bridge Collapse: ओरेवा कंपनी से अगले 15 साल यानी 2037 तक के लिए पुल की मरम्मत, रख-रखाव और ऑपरेशन का समझौता किया गया था. पुल पर कंपनी के नाम का बोर्ड तो मौजूद था, लेकिन क्षमता को लेकर दोनों छोरों पर कोई सूचना या चेतावनी नहीं लिखी गई थी.

मोरबी की पहचान कहा जाने वाला यह ब्रिज 143 साल पुराना था.

गुजरात के मोरबी में रविवार को केबल ब्रिज गिरने के हादसे  (Gujarat's Morbi Bridge Tragedy) में अब तक 134 लोगों की मौत हो चुकी है. अभी भी रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. इस बीच ब्रिज की मरम्मत करने वाली निजी कंपनी का बयान सामने आया है. कंपनी ने दावा किया था कि ब्रिज की मरम्मत संशोधित तकनीकी विशिष्टताओं के साथ की गई थी. 100 फीसदी काम पूरा हो गया था. ब्रिज कम से कम 8 से 10 साल तक चलेगी.

दरअसल, मोरबी का यह ऐतिहासिक पुल शहर की नगर पालिका के अधिकार में था. नगर पालिका ने इसकी मरम्मत की जिम्मेदारी अजंता ओरेवा ग्रुप ऑफ कंपनीज को सौंपी थी. ओरेवा कंपनी से अगले 15 साल यानी 2037 तक के लिए पुल की मरम्मत, रख-रखाव और ऑपरेशन का समझौता किया गया था. पुल पर कंपनी के नाम का बोर्ड तो मौजूद था, लेकिन क्षमता को लेकर दोनों छोरों पर कोई सूचना या चेतावनी नहीं लिखी गई थी.

ओरेवा कंपनी इलेक्ट्रॉनिक घड़ियों, कैलकुलेटर, घरेलू उपकरणों और एलईडी बल्ब बनाने वाली कंपनी है. ओरेवा ने ही देश में सबसे पहले एक साल की वारंटी के साथ एलईडी बल्ब बेचने की शुरुआत की थी. एक बल्ब बनाने वाली कंपनी को ब्रिज के रेनोवेशन का काम क्यों दिया गया, ये समझ से परे है.

ओरेवा समूह के मैनेजिंग डायरेक्टर ने 24 अक्टूबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था, "अगर लोग संपत्ति को नुकसान पहुंचाए बिना जिम्मेदारी से काम करते हैं, तो यह नवीनीकरण अगले 15 वर्षों तक जारी रह सकता है." उन्होंने कहा कि पुल का "100 प्रतिशत" रेनोवेशन केवल 2 करोड़ रुपये में किया गया था.


इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का मोरबी में स्थानीय समाचार पोर्टलों द्वारा सीधा प्रसारण किया गया. स्थानीय पत्रकारों के सवालों के जवाब में ओरेवा के मैनेजिंग डायरेक्टर जयसुखभाई पटेल ने गुजराती में कहा, "जैसा कि हम जानते हैं, पुल का निर्माण ऐसे समय में किया गया था जब बहुत अधिक रेनोवेशन की टेक्नोलॉजी नहीं थी. पुल को बनाने के लिए केवल लकड़ी के तख्तों और बीम का इस्तेमाल किया गया था." उन्होंने कहा कि कंपनियों (जैसे जिंदल) को इसकी जरूरतों के लिए लिखा गया था और तकनीकी विशिष्टताओं के अनुसार कच्चा माल प्राप्त किया गया था.


पटेल ने आगे बताया कि वे पुल में प्रवेश को सीमित करने और भीड़ को प्रबंधित करने के लिए एंट्री फीस लेंगे. उन्होंने कहा था, "हम भी पुल की मजबूती को प्रभावित नहीं करना चाहते हैं. छात्रों के लिए और बड़े समूहों में आने वालों के लिए हम छूट देंगे. मुझे सटीक समझौता याद नहीं है, लेकिन हम इसमें संशोधन करेंगे. अगले सात साल तक एंट्री फीस में हर साल एक-दो रुपये की बढ़ोतरी करेंगे."

पटेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि ओरेवा ने देव प्रकाश सॉल्यूशंस नाम की कंपनी के एक पार्ट 'प्रकाश भाई' को रेनोवेशन प्रोजेक्ट का सब-कॉन्ट्रैक्ट दिया था. क्योंकि उस कंपनी ने 2007 में भूकंप के बाद मरम्मत का काम किया था. पटेल ने कहा कि उनकी कंपनी संचालन और रखरखाव को संभालेगी, जबकि लाइटिंग की जिम्मेदारी अहमदाबाद की एक कंपनी को दी गई थी.

एनडीटीवी द्वारा एक्सेस किए गए मोरबी नगर निकाय और अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड के बीच डील के अनुसार, रखरखाव और मरम्मत के लिए पुल को कम से कम आठ से 12 महीने के लिए बंद करना पड़ा. कंपनी ने नागरिक अधिकारियों से फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं लिया, जिसकी पुष्टि मोरबी नगरपालिका एजेंसी के प्रमुख संदीपसिंह जाला ने रविवार को एनडीटीवी से की. घड़ी बनाने वाली कंपनी अजंता, ओरेवा समूह का हिस्सा है, जिसने पुल के लिए 17 रुपये प्रति टिकट बेचा.

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