गुजरात की आनंदीबेन पटेल सरकार की ओर से विश्वविद्यालयों को ऐसे 82 विषयों की सूची दी गई है।
अहमदाबाद:
गुजरात सरकार ने एक सर्कुलर जारी करके विश्वविद्यालयों को 82 विषयों की सूची दी है। राज्य सरकार चाहती है कि पीएचडी छात्र इन विषयों पर अपने शोध निबंध तैयार करें। इनमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पसंदीदा स्वच्छ भारत अभियान, गुजरात सरकार की कन्या केळवणी और गुणोत्सव जैसी योजनाएं शामिल हैं। गुजरात सरकार की नॉलेज कंसोर्टियम ने यूनिवर्सिटीज को ये विचार दिया है कि सरकारी योजनाओं पर छात्र शोध करें।
योजनाओं की कमियां और फायदे पता चल सकेंगे
कंसोर्टियम के डायरेक्टर एयू पटेल कहते हैं कि अच्छा ही है अगर छात्र अपने तौर पर सरकारी योजनाओं की समीक्षा करते हैं। अगर वे इन योजनाओं के लाभकर्ताओं से बात करेंगे तो ये योजनाएं सफल रही हैं या विफल और इनमें क्या कमियां और फायदे हैं, इसे परखा जा सकेगा।
शिक्षाविद् बोले, यह तानाशाही के सिवा कुछ नहीं
लेकिन कई शिक्षाविद् कहते हैं कि ये शिक्षा की स्वतंत्रता पर आघात है। इस तरह सरकार अपने पसंदीदा विषय छात्रों पर थोपे, यह नुकसानदेह साबित हो सकता है। अध्यापक और शिक्षाविद् हेमंतकुमार शाह कहते हैं, 'आप रिसर्चर हैं इसलिए आप इसी विषय पर रिसर्च करो... ये तो तानाशाही के सिवा कुछ नहीं है। विद्यार्थियों और अध्यापकों की जो स्वतंत्रता है, स्वायत्तता है, उसको छीनने का प्रयास है।पीएचडी के छात्र कहते हैं कि हो सकता है सरकार के इरादे गलत न हों, लेकिन ये छात्रों की स्वतंत्रता से सीधा खिलवाड़ है। महत्वपूर्ण है कि गुजरात सरकार पहले ही हायर एजुकेशन काउंसिल के जरिये सभी यूनिवर्सिटी पर अपने प्रभुत्व को स्थापित करने के लिए विवादों में घिरी है। ऐसे में यह विवाद सरकार और शिक्षाविदों के बीच की खाई को और बढ़ाएगा।
योजनाओं की कमियां और फायदे पता चल सकेंगे
कंसोर्टियम के डायरेक्टर एयू पटेल कहते हैं कि अच्छा ही है अगर छात्र अपने तौर पर सरकारी योजनाओं की समीक्षा करते हैं। अगर वे इन योजनाओं के लाभकर्ताओं से बात करेंगे तो ये योजनाएं सफल रही हैं या विफल और इनमें क्या कमियां और फायदे हैं, इसे परखा जा सकेगा।
शिक्षाविद् बोले, यह तानाशाही के सिवा कुछ नहीं
लेकिन कई शिक्षाविद् कहते हैं कि ये शिक्षा की स्वतंत्रता पर आघात है। इस तरह सरकार अपने पसंदीदा विषय छात्रों पर थोपे, यह नुकसानदेह साबित हो सकता है। अध्यापक और शिक्षाविद् हेमंतकुमार शाह कहते हैं, 'आप रिसर्चर हैं इसलिए आप इसी विषय पर रिसर्च करो... ये तो तानाशाही के सिवा कुछ नहीं है। विद्यार्थियों और अध्यापकों की जो स्वतंत्रता है, स्वायत्तता है, उसको छीनने का प्रयास है।पीएचडी के छात्र कहते हैं कि हो सकता है सरकार के इरादे गलत न हों, लेकिन ये छात्रों की स्वतंत्रता से सीधा खिलवाड़ है। महत्वपूर्ण है कि गुजरात सरकार पहले ही हायर एजुकेशन काउंसिल के जरिये सभी यूनिवर्सिटी पर अपने प्रभुत्व को स्थापित करने के लिए विवादों में घिरी है। ऐसे में यह विवाद सरकार और शिक्षाविदों के बीच की खाई को और बढ़ाएगा।
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