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This Article is From Jun 16, 2023

बिपरजॉय की तबाही से एशियाई शेरों को बचाने के लिए गुजरात सरकार ने किए ऐसे उपाय

इस तरह की प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए हाई-टेक मॉनिटरिंग सिस्टम तैयार किया गया है. यह सिस्टम समूहों में रहने वाले चुनिंदा शेरों को रेडियो कॉलर से लैस करती है, जिससे मॉनिटरिंग सेल द्वारा सैटेलाइट लिंक के माध्यम से उनके मूवमेंट को ट्रैक किया जा सकता है.

बिपरजॉय की तबाही से एशियाई शेरों को बचाने के लिए गुजरात सरकार ने किए ऐसे उपाय
अहमदाबाद:

अरब सागर से उठा चक्रवात 'बिपरजॉय' ​​​​​​का गुजरात के तट पर लैंडफॉल हो चुका है. यह तूफान 13 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है. गुजरात में बिपरजॉय की तबाही के बीच राज्य सरकार ने लुप्तप्राय एशियाई शेरों और अन्य जानवरों को बचाने के भी खास उपाय किए हैं. राज्य सरकार बिपरजॉय तूफान को लेकर 'जीरो कैसुअल्टी' का दृष्टिकोण अपना रही है. इसके तहत गिर वन, कच्छ में नारायण सरोवर अभयारण्य, माता नो मध, बरदा और नारायण सरोवर में बचाव दलों को रणनीतिक रूप से तैनात किया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, वाइल्ड लाइफ सैंचुरी में लुप्तप्राय एशियाई शेरों पर काफी ध्यान दिया जा रहा है. 9 डिवीजनों के तहत 184 टीमों और उनके लिए 58 कंट्रोल रूम बनाए गए हैं. एक स्पेशल टीम गिर वन और तटीय क्षेत्रों में 40 शेरों के स्थान और गतिविधि की निगरानी कर रही है.

इस तरह की प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए हाई-टेक मॉनिटरिंग सिस्टम तैयार किया गया है. यह सिस्टम समूहों में रहने वाले चुनिंदा शेरों को रेडियो कॉलर से लैस करती है, जिससे मॉनिटरिंग सेल द्वारा सैटेलाइट लिंक के माध्यम से उनके मूवमेंट को ट्रैक किया जा सकता है. स्पेशल टीमें जानवरों को ट्रैक करती रहेंगी और गिरे हुए पेड़ों को हटा देंगी.

राज्य सरकार ने एक बयान में कहा, "जंगली जानवरों से संबंधित आपातकालीन एसओएस संदेशों को कुशलतापूर्वक संभालने के लिए 58 नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं. जूनागढ़ वन्यजीव और प्रादेशिक सर्कल में गिर पूर्व, गिर पश्चिम, सासन, पोरबंदर, सुरेंद्रनगर, जामनगर, भावनगर, मोरबी और जूनागढ़ वन प्रभाग शामिल हैं." 

चूंकि शेर क्षेत्र में सात नदियां और जल निकाय हैं. इसलिए भारी बारिश और जल प्रवाह के मामले में बचाव अभियान चलाने के लिए विशेष टीमों को भी तैनात किया गया है. गिर में रहने वाले मालधारी (देहाती समुदाय) को एहतियात के तौर पर सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है.

इसके अलावा 13 ऑपरेशनल टीमों, छह विशेष वन्यजीव बचाव दलों को कच्छ के अभयारण्य क्षेत्र में भेजा गया है. गुजरात के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन नित्यानंद श्रीवास्तव ने कहा, 'चक्रवात से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार पूरी तरह से तैयार है. उन्होंने कहा, "हम हाई अलर्ट पर हैं. इस चक्रवात का सामना करने के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं..."

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