‘आंधी में दीप जले' और ‘विनाश के बीच सृजन' जैसे कई वाक्य हमने सुने होंगे, लेकिन गुजरात में ‘बिपरजॉय' चक्रवात के दौरान सुख देने वाले ये वाक्य सार्थक और साकार भी होते देखे गए.‘बिपरजॉय' के गुजरात तट की ओर बढ़ने के दौरान और टकराने से पहले राज्य के 8 ज़िलों में जनजीवन में भीषण भय और आशंकाएं थीं. लेकिन इस दौरान भी गुजरात में ‘बिपरजॉय' के बीच बर्थजॉय के दृश्य भी देखने को मिले. दहशत के बीच कई परिवारों में किलकारियां गुंजीं.
राज्य सरकार ने चक्रवात ‘बिपरजॉय'के ख़तरे से निपटने के मामले में लोगों के सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरण को सबसे पहली प्राथमिकता दी. यही कारण है कि राज्य के आठ तटवर्ती ज़िलों में ‘बिपरजॉय' के आगमन से पहले तेज़ आंधी और भारी वर्षा के बावजूद तटवर्ती क्षेत्रों से लगभग 1 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया. इसमें भी बच्चों, महिलाओं और वृद्धों को सबसे पहले सुरक्षित आसरा दिया गया. सरकार ने उन महिलाओं की विशेष चिंता की, जो अपनी जान के साथ अपनी कोख में एक नवजीवन को भी पाले हुए थीं.
राज्य सरकार की सतर्कता के कारण जहां चक्रवात के इस संकट में एक भी गर्भवती महिला प्रभावित नहीं हुई, वहीं राज्य सरकार की संवेदनशीलता के चलते तूफ़ानी कुदरत की गोद में 709 किलकारियां भी गूंजीं. 709 नवजात शिशुओं में 2 शिशुओं ने राज्य सरकार की ‘108' एम्बुलेंस में जन्म लिया.
मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल द्वारा चक्रवात संकट के लिए दिया गया ‘ज़ीरो कैज़ुअल्टी' ध्येय जहां तटवर्ती ज़िलों के हज़ारों लोगों के लिए वरदान सिद्ध हुआ, वहीं गर्भवती महिलाओं के लिए एक नहीं, बल्कि दो-दो जीवनदान सिद्ध हुआ.
प्रशासन ने ‘108' एम्बुलेंस को बड़ी संख्या में लगाया था. इसी के चलते प्रशासन ने संभावित चक्रवात प्रभावित ज़िलों में रहने वाली 1171 में से 1152 गर्भवती महिलाओं को चक्रवात की भयावहता से पहले ही सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया था. इतना ही नहीं, इनमें से 707 महिलाओं की तो सफल प्रसूति भी कराई गई. जिसके चलते प्रशासन एक नहीं, बल्कि दो-दो जानें बचाने में सफल रहा, जिससे उनके परिवारों में चक्रवात के संकट के बीच भी किलकारियां गूंजीं और आनंद छाया.
जाफ़राबाद ‘108' की टीम ने तत्काल वांढ गांव पहुंच कर गर्भवती महिला को तुरंत अस्पताल ले जाने के लिए निकल पड़े. लेकिन एम्बुलेंस अस्पताल पहुंचती, उससे पहले ही जाफ़राबाद-राजूला रोड के पास स्थित चार नाला चौकड़ी के पास महिला की प्रसव पीड़ा तीव्र हो गई. एम्बुलेंस के ईएमटी व स्वास्थ्य कर्मचारियों ने ‘108' में ही महिला की प्रसूति कराई. बाद में महिला को आगे के इलाज के लिए अस्पताल पहुंचा दिया गया.
उल्लेखनीय है कि गुजरात सरकार ने चक्रवात प्रभावित ज़िलों में पहले से ही गर्भवती महिलाओं की परिचय सूची तैयार कर ली थी. इसके बाद चक्रवात से पहले ही इन महिलाओं के एम्बुलेंस के माध्यम से अस्पाल या सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया था. प्रशासन ने जिन 1152 गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया था, उनमें कच्छ की सर्वाधिक 552, राजकोट की 176, देवभूमि द्वारका की 135, गीर सोमनाथ की 94, जामनगर की 62, जूनागढ की 58, पोरबंदर की 33, राजकोट महानगर पालिका क्षेत्र की 26, जूनागढ मनपा क्षेत्र की 8, मोरबी तथा जामनगर मनपा क्षेत्र की 4-4 गर्भवती महिलाएं शामिल हैं.
इस समग्र अभियान को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य प्रशासन के साथ-साथ 302 सरकारी और 202,'108' एम्बुलेंस दिन-रात सेवारत रहीं. सरकार ने गर्भवती महिलाओं के लिए अस्पतालों व स्वास्थ्य केन्द्रों में ज़रूरी दवाइयां उपलब्ध कराईं, तो 100 प्रतिशत डीज़ल संचालित 197 आधुनिक जनरेटर सेट की व्यवस्था की थी.
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