‘बिपरजॉय’ के बीच ‘बर्थजॉय', चक्रवात की तबाही के बीच गूंजीं 709 किलकारियां

‘बिपरजॉय’ चक्रवात के आगमन से लेकर टकराने से पहले तक की समयावधि के दौरान राज्य सरकार ने प्रभावित ज़िलों से 1152 गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया, जिससे न केवल उन महिलाओं को बचाया जा सके, बल्कि उनके गर्भ में पल रहे अजन्मे बच्चे को भी इस धरती पर आने का अवसर मिले.

‘बिपरजॉय’ के बीच ‘बर्थजॉय', चक्रवात की तबाही के बीच गूंजीं 709 किलकारियां

प्रतीकात्मक फोटो.

गांधीनगर:

‘आंधी में दीप जले' और ‘विनाश के बीच सृजन' जैसे कई वाक्य हमने सुने होंगे, लेकिन गुजरात में ‘बिपरजॉय' चक्रवात के दौरान सुख देने वाले ये वाक्य सार्थक और साकार भी होते देखे गए.‘बिपरजॉय' के गुजरात तट की ओर बढ़ने के दौरान और टकराने से पहले राज्य के 8 ज़िलों में जनजीवन में भीषण भय और आशंकाएं थीं. लेकिन इस दौरान भी गुजरात में ‘बिपरजॉय' के बीच बर्थजॉय के दृश्य भी देखने को मिले. दहशत के बीच कई परिवारों में किलकारियां गुंजीं.

राज्य सरकार ने चक्रवात ‘बिपरजॉय'के ख़तरे से निपटने के मामले में लोगों के सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरण को सबसे पहली प्राथमिकता दी. यही कारण है कि राज्य के आठ तटवर्ती ज़िलों में ‘बिपरजॉय' के आगमन से पहले तेज़ आंधी और भारी वर्षा के बावजूद तटवर्ती क्षेत्रों से लगभग 1 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया. इसमें भी बच्चों, महिलाओं और वृद्धों को सबसे पहले सुरक्षित आसरा दिया गया. सरकार ने उन महिलाओं की विशेष चिंता की, जो अपनी जान के साथ अपनी कोख में एक नवजीवन को भी पाले हुए थीं.

‘बिपरजॉय' चक्रवात के आगमन से लेकर टकराने से पहले तक की समयावधि के दौरान राज्य सरकार ने प्रभावित ज़िलों से 1152 गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया, जिससे न केवल उन महिलाओं को बचाया जा सके, बल्कि उनके गर्भ में पल रहे अजन्मे बच्चे को भी इस धरती पर आने का अवसर मिले.

राज्य सरकार की सतर्कता के कारण जहां चक्रवात के इस संकट में एक भी गर्भवती महिला प्रभावित नहीं हुई, वहीं राज्य सरकार की संवेदनशीलता के चलते तूफ़ानी कुदरत की गोद में 709 किलकारियां भी गूंजीं. 709 नवजात शिशुओं में 2 शिशुओं ने राज्य सरकार की ‘108' एम्बुलेंस में जन्म लिया.

मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल द्वारा चक्रवात संकट के लिए दिया गया ‘ज़ीरो कैज़ुअल्टी' ध्येय जहां तटवर्ती ज़िलों के हज़ारों लोगों के लिए वरदान सिद्ध हुआ, वहीं गर्भवती महिलाओं के लिए एक नहीं, बल्कि दो-दो जीवनदान सिद्ध हुआ.

प्रशासन ने ‘108' एम्बुलेंस को बड़ी संख्या में लगाया था. इसी के चलते प्रशासन ने संभावित चक्रवात प्रभावित ज़िलों में रहने वाली 1171 में से 1152 गर्भवती महिलाओं को चक्रवात की भयावहता से पहले ही सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया था. इतना ही नहीं, इनमें से 707 महिलाओं की तो सफल प्रसूति भी कराई गई. जिसके चलते प्रशासन एक नहीं, बल्कि दो-दो जानें बचाने में सफल रहा, जिससे उनके परिवारों में चक्रवात के संकट के बीच भी किलकारियां गूंजीं और आनंद छाया. 

गुरुवार को जब पूरा गुजरात ‘बिपरजॉय' चक्रवात के गुजरात तट से टकराने की उल्टी गिनती गिन रहा था, तटवर्ती ज़िलों में कुदरत ने तूफ़ानी रूप धारण किया हुआ था और हर ओर मृत्यु का भय मंडरा रहा था; तभी अमरेली ज़िले के जाफ़राबाद में ‘108' एम्बुलेंस को देर रात 2 बज कर 7 मिनट पर वांढ गांव से एक कॉल आई. ठीक 13 मिनट बाद यानी 2 बज कर 20 मिनट पर राजूला ‘108' एम्बुलेंस को भयादर गांव से एक कॉल आई. ये कॉल्स प्रसव पीड़ा से कराह रही गर्भवती महिलाओं के परिजनों ने किए थे.

जाफ़राबाद ‘108' की टीम ने तत्काल वांढ गांव पहुंच कर गर्भवती महिला को तुरंत अस्पताल ले जाने के लिए निकल पड़े. लेकिन एम्बुलेंस अस्पताल पहुंचती, उससे पहले ही जाफ़राबाद-राजूला रोड के पास स्थित चार नाला चौकड़ी के पास महिला की प्रसव पीड़ा तीव्र हो गई. एम्बुलेंस के ईएमटी व स्वास्थ्य कर्मचारियों ने ‘108' में ही महिला की प्रसूति कराई. बाद में महिला को आगे के इलाज के लिए अस्पताल पहुंचा दिया गया.

उल्लेखनीय है कि गुजरात सरकार ने चक्रवात प्रभावित ज़िलों में पहले से ही गर्भवती महिलाओं की परिचय सूची तैयार कर ली थी. इसके बाद चक्रवात से पहले ही इन महिलाओं के एम्बुलेंस के माध्यम से अस्पाल या सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया था. प्रशासन ने जिन 1152 गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया था, उनमें कच्छ की सर्वाधिक 552, राजकोट की 176, देवभूमि द्वारका की 135, गीर सोमनाथ की 94, जामनगर की 62, जूनागढ की 58, पोरबंदर की 33, राजकोट महानगर पालिका क्षेत्र की 26, जूनागढ मनपा क्षेत्र की 8, मोरबी तथा जामनगर मनपा क्षेत्र की 4-4 गर्भवती महिलाएं शामिल हैं.

राज्य सरकार, स्वास्थ्य तथा सम्बद्ध ज़िला प्रशासन की व्यापक सुरक्षा तैयारियों के चलते इन 1152 गर्भवती महिलाओं में से 709 महिलाओं के घरों में आंधी के बीच भी दीप जले. अमरेली ज़िले की 2 महिलाओं की प्रसूति जहां ‘108' एम्बुलेंस में हुई, वहीं शेष 707 महिलाओं ने अस्पतालों में बच्चों को जन्म दिया। इनमें कच्छ की 348, राजकोट की 100, देवभूमि द्वारका की 93, सोमनाथ की 69, पोरबंदर की 30, जूनागढ की 25, जामनगर की 17, राजकोट मनपा की 12, जूनागढ मनपा की 8, जामनगर मनपा की 4 महिलाएँ और मोरबी की 1 महिला शामिल हैं.
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इस समग्र अभियान को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य प्रशासन के साथ-साथ 302 सरकारी और 202,'108' एम्बुलेंस दिन-रात सेवारत रहीं. सरकार ने गर्भवती महिलाओं के लिए अस्पतालों व स्वास्थ्य केन्द्रों में ज़रूरी दवाइयां उपलब्ध कराईं, तो 100 प्रतिशत डीज़ल संचालित 197 आधुनिक जनरेटर सेट की व्यवस्था की थी.