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GRAP-4 Reality Check: दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर पर क्यों फंसे हैं BS-6 वाहन? नियमों की सख्ती में दबी एक पिता की पुकार

दिल्ली-NCR की दमघोंटू हवा को बचाने के लिए कड़े नियम लागू हैं, लेकिन दिल्ली-गुरुग्राम (सरहौल) बॉर्डर पर जो तस्वीर आज दिखी, वह नियमों और मजबूरी के बीच छिड़ी एक जंग जैसी है.

GRAP-4 Reality Check: दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर पर क्यों फंसे हैं BS-6 वाहन? नियमों की सख्ती में दबी एक पिता की पुकार
GRAP-4 Ground Report: दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर पर BS-6 ट्रकों की एंट्री भी बंद, नियमों की सख्ती में फंसीं ड्राइवर की मजबूरियां
NDTV Reporter

Delhi News: आज सुबह 7 बजे जब पूरा गुरुग्राम कोहरे की चादर में लिपटा था, दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर पर तापमान हड्डियों को कंपा रहा था. लेकिन मुस्तैदी में कोई कमी नहीं थी. हरियाणा पुलिस, दिल्ली पुलिस और MCD की संयुक्त टीमें हर एक पहिए की जांच कर रही हैं. केवल कागजात नहीं, बल्कि m-Parivahan ऐप पर डिजिटल वेरिफिकेशन के जरिए वाहनों की कैटेगरी देखी जा रही है. इस दौरान अगर वाहन BS-6 मानकों से नीचे मिल रहा है, तो कोई बहस नहीं, सीधा उसे 'यू-टर्न' कराया जा रहा है.

तकनीकी रूप से 'पास', फिर भी 'नो एंट्री'

बॉर्डर पर फंसे राजस्थान के करीब 20 ट्रकों की कहानी नियमों के पेच को उलझाती है. ये ट्रक BS-6 और CNG इंजन वाले हैं. लेकिन इनके अंदर सीमेंट (निर्माण सामग्री) लदी है. चूंकि GRAP-4 के तहत दिल्ली में गैर-जरूरी निर्माण सामग्री का प्रवेश वर्जित है, इसलिए क्लीन इंजन होने के बावजूद ये ड्राइवर पंजाबी बाग नहीं जा पा रहे. ये ड्राइवर अब न तो आगे बढ़ सकते हैं और न ही पीछे मुड़ना उनके लिए आसान है.

दिल्ली बॉर्डर पर कोहरे और GRAP-4 के बीच फंसे सैकड़ों ट्रक ड्राइवर

दिल्ली बॉर्डर पर कोहरे और GRAP-4 के बीच फंसे सैकड़ों ट्रक ड्राइवर
Photo Credit: NDTV Reporter

घर पास है, पर पहुंच नहीं सकता: एक ड्राइवर

नियमों की फाइलों में दबे इन इंसानों की व्यथा दिल पसीजने वाली है. बॉर्डर पर फंसे एक ड्राइवर की आंखों में नमी और डर साफ दिखा. उन्होंने बताया, '21 दिसंबर को पत्नी की डिलीवरी है. मैं दिल्ली का ही रहने वाला हूं, घर बिल्कुल पास है. लेकिन गाड़ी के साथ एंट्री नहीं मिल रही. जेब में पैसे खत्म हो रहे हैं, दिन में एक बार खाना खाकर ठंड काट रहे हैं.' 

यह अकेले उस ड्राइवर की कहानी नहीं है. बॉर्डर पर फंसे दर्जनों ड्राइवर इसी असमंजस में हैं कि जब वे चले थे तब नियम अलग थे, और अब जब वे दहलीज पर हैं, तो रास्ते बंद हैं.

ऐसे हालात में रास्ता क्या है?

इसमें कोई दो राय नहीं कि दिल्ली को 'गैस चैंबर' बनने से रोकने के लिए GRAP-4 की सख्ती जरूरी है, लेकिन बॉर्डर पर आज वह तस्वीर भी दिखी जहां नियमों की सख्ती में कुछ लोग अनजाने में फंस गए हैं. सवाल यही है कि ऐसे हालात में उनके लिए रास्ता क्या है? क्या उन ड्राइवरों के लिए कोई 'बफर जोन' या 'इमरजेंसी हेल्पलाइन' होनी चाहिए जो बीच रास्ते में नियमों के बदलाव का शिकार हो जाते हैं?

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