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This Article is From May 25, 2016

बिना टॉरपीडो के ही आएंगी भारत की नई पनडुब्बियां! सरकार ने रद्द किया टेंडर

बिना टॉरपीडो के ही आएंगी भारत की नई पनडुब्बियां! सरकार ने रद्द किया टेंडर
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर
नई दिल्‍ली: सरकार ने स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के लिए 98 टॉरपीडो खरीदने की निविदा को वापस ले लिया है जिसका सौदा यूपीए सरकार में फिनमेकानिका कंपनी की एक सहायक कंपनी से हुआ था। इटली की कंपनी फिनमेकानिका हेलीकॉप्टर सौदे के घोटाले में दागी है।

सरकार की कार्रवाई का अर्थ है कि 1200 करोड़ रुपये के सौदे के लिए फिनमेकानिका के नाम पर विचार नहीं किया जाएगा और नये सिरे से निविदा निकाली जा सकती है। इतालवी कंपनी की सहायक इकाई नये नियमों के तहत नयी चयन प्रक्रिया में योग्य नहीं होगी।

सरकार जरूरत को देखते हुए टॉरपीडो की सीधी खरीद कर सकती है चूंकि पहली पनडुब्बी सितंबर के अंत में नौसेना को सौंपी जा सकती है।

रक्षा सूत्रों ने कहा, ‘‘भारी वजनी टॉरपीडो के लिए निविदा वापस ली जा रही है।’’ उन्होंने कहा कि इसके विकल्प पर काम किया जा रहा है।

सूत्रों ने कहा कि जर्मनी की एटलस इलेक्ट्रॉनिक के सीहेक टॉरपीडो और फ्रांस के एफ21 टॉरपीडो पर विचार किया जा रहा है जो अंततोगत्वा एक ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम बन सकता है।

फिनमेकानिका की सहायक कंपनी व्हाइटहैड एलेनिया सिस्टेमी सूबाक्वी (डब्ल्यूएएसएस) द्वारा बनाये गये ब्लैक शॉर्क टॉरपीडो स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के लिए सबसे कम बोली लगाने वाले रहे थे। पहली स्कॉर्पीन पनडुब्बी इस साल सितंबर तक नौसेना को सौंपी जाएगी।

हालांकि इन टॉरपीडो को खरीदने का प्रस्ताव लंबे समय से अटका है। सौदे से अनेक विवाद जुड़े रहे जिस पर पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने दस्तखत नहीं किये थे।

सूत्रों ने कहा कि सौदा अंतत: वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे के घोटाले की वजह से उलझ गया।

नौसेना परिचालन संबंधी जरूरत का हवाला देते हुए इसके लिए जोर दे रही है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने विकल्प के बारे में सोचने का फैसला कर लिया है।

अगर मुद्दे का जल्द समाधान नहीं हुआ तो नौसेना पहली स्कॉर्पीन पनडुब्बी को इसकी प्रमुख ‘पोत हमला रोधी प्रणाली’ के बिना शामिल करेगी।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)

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