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This Article is From Nov 09, 2021

समुद्री सीमाओं पर भारत की बढ़ी ताकत, नौसेना को मिली चौथी स्कॉर्पीन पनडुब्बी 'वेला' 

पनडुब्बी बनाना काफी मुश्किल भरा काम है. सभी उपकरण को बहुत छोटे रुप में बनाना होता है. साथ में यह भी देखना होता है कि गुणवत्ता में किसी भी लिहाज से कम ना हो. वेला की नैसेना में शामिल होने से नौसेना की ताकत में काफी इजाफा हुआ है.

समुद्री सीमाओं पर भारत की बढ़ी ताकत, नौसेना को मिली चौथी स्कॉर्पीन पनडुब्बी 'वेला' 
स्कॉर्पीन पनडुब्बी वेला की नैसेना में शामिल होने से ताकत काफी बढ़ी है.
नई दिल्ली:

मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने परियोजना पी-75 के तहत बनायी जा रही चौथी स्कॉर्पीन पनडुब्बी नौसेना को सौप दी है. इस परियोजना के तहत फ्रांस की मदद से 23000 करोड़ की लागत से एमडीएल मुंबई में छह पनडुब्बी बना रही है. अब तक नौसेना में कलवरी, खंडेरी, करंज और अभी वेला पनडुब्बी शामिल हो चुकी है. पांचवी पनडुब्बी वागीर का भी अभी से ट्रायल हो रहा है. उम्मीद है इसे इसी साल दिसंबर तक शामिल कर लिया जाए. छठी पनडुब्बी वागशीर में अभी आउटफिटिंग का काम चल रहा है. कोविड प्रतिबंधों के बावजूद एमडीएल नौसेना की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं पर पूरी तरह खरा उतरा है.

पनडुब्बी बनाना काफी मुश्किल भरा काम है. सभी उपकरण को बहुत छोटे रुप में बनाना होता है. साथ में यह भी देखना होता है कि गुणवत्ता में किसी भी लिहाज से कम ना हो. वेला की नैसेना में शामिल होने से नौसेना की ताकत में काफी इजाफा हुआ है. वेला डीजल इलेक्ट्रिक युद्धक पनडुब्बी है जो समुद्र की गहराई में सरहद की हिफाजत करेगी और दुश्मनों पर नजर रखेगी.

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