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This Article is From Nov 12, 2020

दुश्मन के रडार को चकमा देने वाली पनडुब्बी ‘वजीर’ दुश्मन के दांत खट्टे करने को तैयार, हिन्द महासागर में बढ़ेगी ताकत

समुद्री क्षेत्र में दुश्मन की गतिविधियों की खुफिया जानकारी जुटाने में इसका कोई मुकाबला नहीं है. स्कॉर्पीन श्रेणी की 5वीं पनडुब्बी ‘वजीर’ समुद्र में बारूदी सुरंग बिछाने और बड़े इलाके में निगरानी करने के लिए जानी जाती है.

दुश्मन के रडार को चकमा देने वाली पनडुब्बी ‘वजीर’ दुश्मन के दांत खट्टे करने को तैयार, हिन्द महासागर में बढ़ेगी ताकत
मझगांव डॉक शिपबिल्डिंग लिमिटेड (MDL) ने इन पनडुब्बियों का निर्माण किया.
मुंबई:

दुश्मन के रडार को चकमा देने वाली और बारूदी सुरंगों का जाल बिछाने वाली स्कॉर्पीन (Scorpene submarine) श्रेणी की 5वीं पनडुब्बी ‘वजीर' का गुरुवार को समुद्र में उतारा गया. यह पनडुब्बी हिन्द महासागर (Indian Ocean) में भारतीय नौसेना की ताकत को बढ़ाएगी और पैठ बनाने की कोशिश कर रहे चीन की चालों को नाकाम करेगी.

ये पनडुब्बी समुद्री सतह के साथ पनडुब्बी रोधी युद्ध में कारगर है. खुफिया जानकारी जुटाने, समुद्र में बारूदी सुरंग बिछाने और इलाके में निगरानी करने में भी स्कॉर्पीन बेजोड़ है. नौसेना ने का दक्षिण मुंबई स्थित मझगांव गोदी से गुरुवार को इसका जलावतरण किया. रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाइक की पत्नी विजया ने वीडियो कान्फ्रेंस के जरिये पनडुब्बी का जलावतरण किया. ‘वजीर' पनडुब्बी भारत में बन रहीं छह कलावेरी श्रेणी की पनडुब्बियों में से एक है. इस पनडुब्बी को फ्रांसीसी समुद्री रक्षा और ऊर्जा कंपनी डीसीएनएस ने डिजाइन किया है. भारतीय नौसेना (Indian Navy) की परियोजना-75 के तहत इनका देश में निर्माण हो रहा है.

अत्याधुनिक तकनीक से लैस ये पनडुब्बी सतह के साथ दुश्मन की पनडुब्बियों के साथ पानी के अंदर युद्ध में सक्षम है. समुद्री क्षेत्र में दुश्मन की गतिविधियों की खुफिया जानकारी जुटाने में इसका कोई मुकाबला नहीं है. स्कॉर्पीन श्रेणी की 5वीं पनडुब्बी ‘वजीर' समुद्र में बारूदी सुरंग बिछाने और बड़े इलाके में निगरानी करने के लिए जानी जाती है.
इस पनडुब्बी का नाम हिंद महासागर की शिकारी मछली ‘वजीर' के नाम पर रखा गया है. पहली ‘वजीर' पनडुब्बी रूस से प्राप्त की गई थी. इसे नौसेना में 3 दिसंबर 1973 को शामिल किया गया था. पुरानी वजीर पनडुब्बी को 7 जून 2001 को तीन दशक की सेवा के बाद तैनाती से हटा दिया गया था.

मझगांव डॉक शिपबिल्डिंग लिमिटेड (एमडीएल) ने कहा, स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का निर्माण चुनौतीपूर्ण था क्योंकि कम स्थान में पूरा करने की वजह से चुनौतीपूर्ण बन गया था.रडार से बचने की काबिलियत रखने वाली पनडुब्बी वजीर में आधुनिकतम तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. इसमें किसी भी ध्वनि को सोखने वाली तकनीक, कम आवाज और पानी में तेज गति से चलने की ताकत है. इसमें दुश्मन पर सटीक निर्देशित हथियारों से हमले की भी क्षमता है.

यह पनडुब्बी टॉरपीडो से हमला करने के साथ और ट्यूब से लांच की जाने वाली पोत रोधी मिसाइलों को पानी के अंदर और सतह से छोड़ सकती है. पानी के भीतर दुश्मन से छिपने की क्षमता इसकी खासियत का कोई मुकाबला नहीं है. इस पनडुब्बी को नौसेना की सभी तरह की जरूरतों और अभियानों को ध्यान में रखकर बनाया गया है. भारत में पनडुब्बी का निर्माण मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के अभियान को भी मजबूत करता है.

दो पनडुब्बियों कलावेरी और खंडेरी को पहले ही नौसेना में शामिल कर लिया गया हैं. तीसरी पनडुब्बी करंज समुद्री परीक्षण के आखिरी दौर में है. चौथी स्कॉर्पीन पनडुब्बी ‘वेला' ने समुद्री परीक्षण की शुरुआत कर दी है. छठी पनडुब्बी ‘वागशीर' जलावतरण के लिए तैयार हो रही है.
 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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