वित्त मंत्रालय ने तय किया है कि 1 जनवरी से कपड़े पर GST(गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स) को 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया जाएगा लेकिन इससे व्यापारी नाराज़ हैं. उनका कहना है कि इससे व्यापार में कमी आएगी, विदेशी कपड़े ज़्यादा बिकेंगे और टैक्स की चोरी भी बढ़ेगी. मुंबई के कालबादेवी इलाके में जगह-जगह पर बैनर लगाकर व्यापारी केंद्र सरकार की ओर से कपड़े पर जीएसटी बढ़ाए जाने के फैसले का विरोध कर रहे हैं. कपड़ों पर अब तक 5 फीसदी जीएसटी लग रही है जिसे 1 जनवरी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया जाएगा. स्वदेशी बाज़ार में कपड़ा व्यापारी मितेश ओनारकट बताते हैं कि कपड़ा बाज़ार में अधिकांश व्यापार उधार का होता है और इसका असर व्यापार पर पड़ेगा...
मितेश कहते हैं, 'हमारा काम क्रेडिट का है. 3 से 5 महीने का क्रेडिट देना होता है, तभी सामान बिकता है. ऐसे में 5 महीने का रोल ओवर है, वो कहां से लाएंगे? बैंक पैसे देती है लेकिन ब्याज नहीं छोड़ती है.ज़्यादा से ज्यादा वो मोहलत देते हैं, ब्याज नहीं छूटता.' व्यापारियों के साथ-साथ ग्राहक भी जीएसटी बढ़ाए जाने के फैसले से प्रभावित होंगे. कपड़े पर बढ़ाए जा रहे GST का सबसे ज़्यादा असर ग्राहकों पर होगा क्योंकि उन्हें अब महंगी दर पर कपड़े खरीदने होंगे. साथ ही व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी दर बढ़ाए जाने की वजह से टैक्स चोरी की आशंका बढ़ जाएगी. साथ ही अगर व्यापार कम होता है, तो कई कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है..
कपड़ा व्यापारी नीलेश वैश्य कहते हैं, ' आप सोचिए कि अगर मुझ पर ज़्यादा बोझ आएगा, तो मैं भी चाहूंगा कि कोई दूसरे रास्ते तलाशूं. कायदे से ऐसा नहीं होना नहीं चाहिए, लेकिन सरकार चाह रही है कि रास्ते तलाशूं. अगर टैक्स कम होगा तो ज़्यादा काम होगा. 5 फीसदी से ज़्यादा टैक्स नहीं होना चाहिए.' एक अन्य व्यापारी अक्षत सिंघानिया ने कहा, 'अगर 5 फीसदी पर 50 हज़ार का हम व्यापार करते हैं तो 5 फीसदी के हिसाब से 2500 का टैक्स लगेगा, लेकिन अब 12 फीसदी से वो बढ़कर 6 हज़ार हो जाएगा. इसे कवर करने के लिए 3500 का ज़्यादा सेल करना होगा और हमें लॉस ज़्यादा होगा.' बढ़ते टैक्स के विरोध में व्यापारियों के संगठन, भारत मर्चेंट चेम्बर की ओर से प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और कपड़ा मंत्री को पत्र भी लिखा गया है. इनका कहना है कि अगर सरकार उनकी मांग पर विचार नहीं करती है, तो इनकी हड़ताल पर जाने की तैयारी भी है.
भारत मर्चेंट चेंबर के ट्रस्टी राजीव सिंघल कहते हैं, 'यह बहुत बड़ी तकलीफ की बात है. आप महंगाइ की दर देखिए. सब्ज़ी, अनाज और दूसरी चीजों की तरह अब कपड़ा भी सुई के हिसाब से तेज़ भागेगा.आखिर सरकार की मंशा क्या है? मुझे लगता है कि सरकार ने बिना सोचे समझे यह फैसला किया है.' चेंबर के अध्यक्ष विजय लोहिया ने चेतावनीभरे लहजे में कहा, 'अगर हमारी बात नहीं सुनी जाती तो हम सब मिलकर कपड़ा बाज़ार बंद करने का भी सोच सकते हैं.'
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