पीएम मोदी की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
केंद्र सरकार अपने सरकारी विज्ञापनों के प्रभाव को लेकर जल्द ही एक अध्ययन कराने की तैयारी मे है. केंद्र सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार मंत्रालय इन विज्ञापनों का लोगों पर पड़ने वाले प्रभाव को मापने की योजना बना रहा है. ताकि वह विज्ञापन पर खर्च होने वाली रकम को लेकर कोई ठोस योजना बना पाए. गौरतलब है कि सरकार की यह पहल 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सामने आई है.
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सरकार आम चुनाव से पहले अपने कामों को आम लोगों तक पहुंचाने की कोशिशों में जुटी है. यही वजह है कि अब विज्ञापनों के असर के आधार पर ही आगे की योजना तैयार करने पर जोर दिया जा रहा है. मालूम हो कि केंद्र सरकार की तरफ से विभिन्न मंत्रालयों, विभागों , सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सरकारी सहायता प्राप्त स्वायत्त संस्थानों के प्रचार के लिये विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय (डीएवीपी) नोडल एजेंसी है.
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ये विज्ञापन प्रिंट और विजुअल मीडिया में विभिन्न मंचों पर लिये जाते हैं. केंद्र सरकार को अब इस अध्ययन से इस बात को समझने में मदद मिलेगी कि बेहतर प्रभाव के लिये किस सरकारी योजना का इस्तेमाल किस माध्यम में किया जाना चाहिए. पिछले साल डीएवीपी को क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय (डीएफपी) और गीत एवं नाटक प्रभाग के साथ मिलाकर एक नई संस्था ब्यूरो ऑफ आउटरीच कम्यूनिकेशन बनाया गया था, जिससे सरकार के प्रचार के काम को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिये बेहतर तालमेल हो सके.
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गौरतलब है कि यह पहला मौका होगा जब केंद्र सरकार विज्ञापनों का असर जानने के लिए इस तरह के सर्वे कराने जा रही है. जानकारों के अनुसार इस तरह के सर्वे की मदद से सरकार अपने उन्हीं कामों को आगे रखने की तैयारी कर सकती है जिन्हें लेकर आम लोगों में सकारात्मक रुख हो. (इनपुट भाषा से)
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सरकार आम चुनाव से पहले अपने कामों को आम लोगों तक पहुंचाने की कोशिशों में जुटी है. यही वजह है कि अब विज्ञापनों के असर के आधार पर ही आगे की योजना तैयार करने पर जोर दिया जा रहा है. मालूम हो कि केंद्र सरकार की तरफ से विभिन्न मंत्रालयों, विभागों , सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सरकारी सहायता प्राप्त स्वायत्त संस्थानों के प्रचार के लिये विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय (डीएवीपी) नोडल एजेंसी है.
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ये विज्ञापन प्रिंट और विजुअल मीडिया में विभिन्न मंचों पर लिये जाते हैं. केंद्र सरकार को अब इस अध्ययन से इस बात को समझने में मदद मिलेगी कि बेहतर प्रभाव के लिये किस सरकारी योजना का इस्तेमाल किस माध्यम में किया जाना चाहिए. पिछले साल डीएवीपी को क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय (डीएफपी) और गीत एवं नाटक प्रभाग के साथ मिलाकर एक नई संस्था ब्यूरो ऑफ आउटरीच कम्यूनिकेशन बनाया गया था, जिससे सरकार के प्रचार के काम को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिये बेहतर तालमेल हो सके.
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गौरतलब है कि यह पहला मौका होगा जब केंद्र सरकार विज्ञापनों का असर जानने के लिए इस तरह के सर्वे कराने जा रही है. जानकारों के अनुसार इस तरह के सर्वे की मदद से सरकार अपने उन्हीं कामों को आगे रखने की तैयारी कर सकती है जिन्हें लेकर आम लोगों में सकारात्मक रुख हो. (इनपुट भाषा से)
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