कारागारों में भीड़ को कम करने के लक्ष्य से केन्द्र सरकार ने महज जुर्माना भरने या जमानत की राशि देने में अक्षम होने के कारण जेल में बंद कैदियों के लिए विशेष आर्थिक सहायता योजना शुरू करने का फैसला लिया है. गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, ‘‘यह गरीब कैदियों के लिए, जिनमें से अधिकांश सामाजिक रूप से वंचित या कम शिक्षित और निम्न आय वर्ग से हैं, जेल से बाहर आने में सहायक सिद्ध होगा.''
बयान में कहा गया है कि ‘‘यह सुनिश्चित करने के लिए कि बजट का लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुँचे, बजट की प्राथमिकताओं में से एक है-अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना. इसके तहत एक घोषणा है, 'गरीब कैदियों को समर्थन'.''
मंत्रालय ने बयान में कहा है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि लाभ गरीब कैदियों तक पहुंचे, प्रौद्योगिकी-आधारित समाधान अमल में लाए जाएंगे; ई-प्रिज़न प्लेटफार्म को सशक्त बनाया जाएगा; जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को मजबूत किया जाएगा और जरूरतमंद गरीब कैदियों आदि को गुणवत्तापूर्ण कानूनी सहायता की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हितधारकों को संवेदनशील बनाने के साथ ही उनका क्षमता निर्माण किया जाएगा.
गौरतलब है कि जुर्माने की राशि या जमानत राशि भरने में अक्षम कैदियों को वित्तीय सहायता मुहैया कराने संबंधी इस योजना की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल अपने बजट भाषण में की थी. गृहमंत्रालय ने बयान में कहा, सरकार जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की समस्याओं के समाधान के लिए समय-समय पर विभिन्न कदम उठाताी रही है. इसके तहत एक घोषणा है, 'गरीब कैदियों को समर्थन'. अन्य कदम हैं सीआरपीसी एक्ट में धारा 436ए को शामिल करना और एक नया अध्याय XXIए 'प्ली बार्गेनिंग' जोड़ना आदि शामिल हैं.
बयान के अनुसार, विभिन्न स्तरों पर विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से गरीब कैदियों को निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान की जा रही है. मंत्रालय ने कहा, कारागार आपराधिक न्याय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और कानून के प्रभाव को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. गृह मंत्रालय समय-समय पर विभिन्न परामर्श के माध्यम से राज्य सरकारों के साथ महत्वपूर्ण दिशा-निर्देशों को साझा करता रहता है. उसमें कहा गया है कि गृह मंत्रालय जेलों में सुरक्षा ढांचे को बेहतर और आधुनिक बनाने के लिए राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता भी प्रदान कर रहा है.
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