ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे को लेकर कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार पर लगातार हमलावर है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार को चाहिए कि वो पहले ये बताए कि इस दुर्घटना की जवाबदेही किसकी है. ऐसा लग रहा है कि केंद्र सरकार घटना को लेकर जवाबदेही तय करने से बच रही है. जबकि सरकार को चाहिए कि वो जवाबदेही तय करने के साथ-साथ दुर्घटना किस वजह से हुई इसके सभी पहलुओं की जांच कराए और सच्चाई को सबके सामने लाए.
मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम को लिखा पत्र
खरगे ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में इस हादसे की सीबीआई जांच कराने के फैसले पर भी सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सीबीआई आपराधिक मामलों की जांच के लिए बनी है, रेल हादसे जैसे घटनाओं में तकनीकी,संस्थागत और राजनीतिक विफलता की जवाबदेही तय नहीं कर सकती है.
सरकार के फैसलों से रेल यात्री असुरक्षित हुए
खरगे ने अपने पत्र में आगे कहा कि ओडिशा के बालासोर में हुई भारतीय इतिहास की भयावह रेल दुर्घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. रेल लोगों के लिए परिवहन का सबसे भरोसेमंद और सस्ता साधन है. सरकार के कई ऐसे फैसले इस बीच लिए गए हैं, जिनसे रेल यात्रा असुरक्षित हो गई है और जनता की समस्याएं बढ़ती गई हैं.
"रेलवे में कई पद अभी भी हैं खाली"
खरगे ने कहा कि रेलवे में क़रीब तीन लाख़ पद खाली हैं. जिस क्षेत्र में यह दुर्घटना हुई, वहां पूर्व तट रेलवे में भी 8,278 पद ख़ाली हैं. यही हाल उच्च पदों का है, जिनकी भर्ती में प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट कमेटी की भूमिका होती है. 1990 के दशक में 18 लाख से अधिक रेल कर्मचारी थे, जो अब 12 लाख हैं और इनमें से 3.18 लाख कर्मचारी ठेके पर हैं.
उन्होंने कहा कि खाली पदों के कारण अनुसूचित जाति जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के युवाओं के लिए सुनिश्चित नौकरियों को भी खतरा पैदा होता है.रेलवे बोर्ड ने हाल ही में खुद माना है कि रिक्तियों के कारण लोको पायलटों को लंबे समय तक काम करना पड़ा है. फिर भी ये पद क्यों नहीं भरे गये ?
खरगे ने रेलवे बोर्ड की आलोचना की
खरगे ने कहा कि संसद की परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने अपनी 323 वीं रिपोर्ट (दिसंबर 2022) में रेलवे संरक्षा आयोग (सीआरएस ) की सिफारिशों पर रेलवे बोर्ड द्वारा दिखाई जाने वाली बेरूखी और उपेक्षा के लिए रेलवे बोर्ड की आलोचना की है. रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि CRS केवल 8 से 10 प्रतिशत रेल हादसों की ही जांच करता है. सीआरएस को और मज़बूत तथा स्वायत्त बनाने का प्रयास क्यों नहीं किया गया? कैग की ताज़ा ऑडिट रिपोर्ट में इस बात का खास उल्लेख है कि 2017-18 से 2020-21 के बीच 10 में से करीब सात रेल दुर्घटनाएं रेलगाड़ियों के पटरी से उतरने की वजह से हुईं। लेकिन इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया.
"राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष में 79 प्रतिशत फंडिंग कम की गई"
उन्होंने दावा किया कि कैग की रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष में 79 प्रतिशत फंडिंग कम की गई. कांग्रेस अध्यक्ष ने सवाल किया कि अभी तक भारतीय रेल के महज चार प्रतिशत रेल मार्गों को ही 'कवच' से रक्षित क्यों किया जा सका है ? क्या कारण है कि 2017-18 में रेल बजट को आम बजट के साथ जोड़ा गया ? क्या इससे भारतीय रेल की स्वायत्तता और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित नहीं हुई ? क्या ऐसा काम रेलवे की स्वायत्तता को दरकिनार कर निजीकरण को बढावा देने के लिए किया गया था ?
खरगे ने कहा कि 2016 में हुए कानपुर रेल हादसे के समय सरकार ने एनआईए से उसकी जांच करने को कहा. इसके बाद, आपने स्वयं 2017 में एक चुनावी रैली में इसे ‘साजिश' करार दिया था, और देश को ये भरोसा दिलाया था कि घटना में शामिल लोगों को सख्त से सख्त सजा दी जाएगी. 2018 में एनआईए ने जांच बंद कर दी और आरोप पत्र दाखिल करने से इनकार कर दिया. देश अभी भी जानना चाहता है कि उन 150 मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है, जिनको टाला जा सकता था? '
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