वित्त मंत्रलय ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर अपनी ताज़ा रिपोर्ट में इंटरनेशनल मॉनीटरी फंड के आंकलन का हवाला दिया है जिसके मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था 2020-21 में 4.5% तक सिकुड़ सकती है. वित्त मंत्रलय के डिपार्टमेंट ऑफ़ इकोनॉमिक अफेयर्स की "मैक्रोइकॉनॉमिक रिपोर्ट - जून 2020" में कहा गया है कि कोवीड-19 संकट और करीब 2 महीने के लॉकडाऊन के दौरान अर्थव्यवस्था को काफी नुक्सान हुआ. अर्थव्यवस्था में सप्लाई और डिमांड दोनों पर इसका काफी बुरा असर पड़ा. एक तरफ लेबर का संकट रहा, वहीं दूसरी तरफ जरूरी सामानों और सेवाओं की डिमांड घटी जिस वजह से इकोनॉमिक आउटपुट काफी घट गया. इस संकट के दौरान आम लोगों की कमाई घटी, जिससे कंज़म्प्शन और कम हुआ और इकोनॉमिक आउटपुट और नीचे गिर गया.
वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि इंटरनेशनल मोनेटरी फंड ने जून के अपने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में प्रोजेक्ट किया है कि भारत में इकोनॉमिक आउटपुट 2020-21 में 4.5% तक सिकुड़ सकती है.
हालांकि रिपोर्ट में ये भी कहा गया है अर्थव्यवस्था में सुधार के भी संकेत मिलने लगे हैं. खरीफ फसलों की बुआई में पिछले साल के मुकाबले 104.3 % बढ़ोतरी हुयी है; पेट्रोलियम पदार्थों की खपत में अप्रैल से मई के बीच 47% बढ़ोतरी हुयी है; जबकि डिजिटल रिटेल फाइनेंसियल ट्रांजैक्शन्स NPCI प्लेटफार्म के जरिये अप्रैल 2020 के 6.71 लाख करोड़ से बढ़कर मई 2020 में 9.65 लाख करोड़ पहुंच गयी. इस दौरान भारत पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट्स की मैन्युफैक्चरिंग में सिर्फ 2 महीने में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश हो गया है.
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