सरकार ने छत्तीसगढ़ में माओवाद से बुरी तरह प्रभावित बस्तर संभाग में नक्सल विरोधी अभियान के लिए 11,000 अतिरिक्त अर्द्धसैनिक तैनात करने का निर्णय लिया है। इस क्षेत्र में हाल ही में माओवादियों के घातक हमले में सीआरपीएफ के 14 जवान शहीद हो गए थे।
इन 11 नई बटालियनों में से, सीआरपीएफ की 10 और सीमा सुरक्षाबल की एक बटालियन के साथ छत्तीसगढ़ के सबसे दक्षिणी हिस्से में तैनात सुरक्षाकर्मियों की संख्या अधिकतम हो जाएगी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में अभियानों में शामिल करने के लिए सीआरपीएफ की दस और बीएसएफ की एक अतिरिक्त बटालियन तैनात करने की मंजूरी प्रदान कर दी है। यह क्षेत्र हाल ही में राज्य और सुरक्षाबलों के खिलाफ नक्सली हिंसा का प्रमुख केन्द्र बन गया है।’’
इन 11 बटालियनों में से तीन बटालियन सात जिलों में शामिल बस्तर संभाग के घने जंगलों और ग्रामीण इलाकों में पहले ही पहुंच गई हैं। माओवादियों के खिलाफ सुरक्षा बलों के अभियानों में बस्तर एक रणनीतिक स्थल है क्योंकि यह तीन अन्य नक्सल प्रभावित राज्यों महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और ओड़िशा के त्रिकोण से घिरा है।
अधिकारी ने बताया, ‘‘अगले साल अप्रैल तक इन 11 बटालियनों को पूरी तरह से तैनात कर दिए जाने की संभावना है।’’ बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा, बस्तर, कोनडागांव, नारायणपुर और कांकेर सहित बस्तर क्षेत्र में सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो की दो विशेष इकाइयों के अतिरिक्त केन्द्रीय सुरक्षा बलों की 31 बटालियन या लगभग 31,000 कर्मी पहले से ही तैनात हैं।
अधिकारी ने बताया कि 11 अतिरिक्त बटालियनों की तैनाती के बाद बस्तर में 40,000 वर्ग किलोमीटर के इलाके में राज्य पुलिस बल के अलावा 41 इकाई हो जाएंगी। सुकमा और दंतेवाड़ा जिलों में सीआरपीएफ की 10 नयी इकाइयों को तैनात किया जाएगा जबकि कांकेर में बीएसएफ की एक यूनिट तैनात की जाएगी जहां बल की पहले से ही सात बटालियन तैनात हैं।
बस्तर संभाग के जंगलों में नक्सल हमलों में अप्रैल 2010 में घात लगा कर किए गए हमले में दंतेवाड़ा में 76 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गये थे। पिछले साल के ‘जिराम घाटी’ नरसंहार में प्रदेश कांग्रेस का समूचा शीर्ष नेतृत्व खत्म हो गया था। सुकमा में हुए हालिया हमले में सीआरपीएफ के 14 जवान शहीद हुए हैं।
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